ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी अयोध्या धाम पहुंचे। उन्होंने अयोध्या धाम पहुंचते ही श्रीराम मंदिर के उद्घाटन समारोह की दिव्य स्मृतियों का स्मरण करते हुये वहां के वरिष्ठ पूज्य संतों से दिव्य भेंटवार्ता की। स्वामी जी ने कहा कि 15 अगस्त व 26 जनवरी को हम ऐतिहासिक दिनों के रूप मनाते हैं और मनाते रहेंगे परन्तु 22 जनवरी, 2024 श्रीरामलला की प्राणप्रतिष्ठा का दिन स्वर्णिम अक्षरों में लिखा गया और इसे स्वर्णिम अध्याय की तरह युगों-युगों तक याद किया जायेगा। यह दिन भारत के भविष्य का नूतन सूर्योदय लेकर आया था।        वह दिन भारत के जीवन का युगान्तकारी क्षण था जिसके हम सभी साक्षी हुये थे। 22 जनवरी के दिन हम सभी की वर्षों की प्रतीक्षा का अमृत फल हमें प्राप्त हुआ था। यह सब कारसेवकों, बलिदानियों, आस्थावानों, सनातन संस्कृति के अनुयायियों, पूज्य संतों, न्यायालय और संस्कारी सरकार के कारण ही सम्भव हो सका।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा, “श्रीराम मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं है, बल्कि यह हमारी संस्कृति, परंपरा और आस्था का प्रतीक है। यह मंदिर हमें हमारे मूल्यों और आदर्शों की याद दिलाता है और हमें एकता, प्रेम और सेवा के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।”

स्वामी जी ने श्रीराम मंदिर के आध्यात्मिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा, “यह मंदिर हमें आत्म-साक्षात्कार और ईश्वर के प्रति समर्पण की प्रेरणा देता है। अब अयोध्या आकर शांति और आनंद की अनुभूति होती है।” पहले लगता था कि श्री राम लला टाट में है परन्तु अब प्रभु श्री राम अपने पूरे गौरव और गरिमा के साथ अपने दिव्य धाम में विराजमान है। यह देखकर मन गद्गद हो गया।

स्वामी जी ने कहा, “श्रीराम मंदिर हमारी सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह हमें हमारी संस्कृति और परंपराओं की याद दिलाता है और हमें उन्हें संरक्षित और संजोने की प्रेरणा देता है।” “प्रभु श्रीराम का दिव्य मन्दिर हमारे धार्मिक इतिहास का एक महत्वपूर्ण अध्याय है जो हमें भगवान श्रीराम के आदर्शों और शिक्षाओं को उनके जीवन से सीखने की प्रेरणा देता है।”

स्वामी जी ने कहा कि “श्रीराम मंदिर के निर्माण से अयोध्या में पर्यटन व तीर्थाटन में अद्भुत रूप से वृद्धि हुई है। जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था भी मजबूत हो रही है। यह मंदिर न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह आर्थिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।”

स्वामी जी ने पूज्य संतों से चर्चा करते हुये कहा, “श्रीराम मंदिर का उद्घाटन समारोह हम सभी के जीवन का एक अविस्मरणीय क्षण था। यह हमें हमारे धर्म, संस्कृति और परंपराओं का स्मरण कराता रहेगा और समाज को एकता, प्रेम और सेवा के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता रहेगा।”

स्वामी जी ने अयोध्या यात्रा की स्मृति में रूद्राक्ष के पौधों का रोपण करते हुये कहा कि इससे हमारी आस्था के साथ पर्यावरण संरक्षण की परंपराओं को भी और मजबूत किया जा सकता है। प्रकृति के प्रति हमारे कर्तव्यों का निर्वहन करने हेतु पौधारोपण अत्यंत आवश्यक है। आज स्वामी जी के पावन सान्निध्य में माँ सरयू के तट पर दिव्य व भव्य गंगा जी की आरती सम्पन्न हुई।

भारत ने चंद्रयान-3 मिशन की ऐतिहासिक सफलता के बाद पहली बार राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस मनाया। इस दिन भारत ने चंद्रमा पर सफलतापूर्वक लैंडिंग करके चैथा देश बनने का गौरव हासिल किया और पहली बार दक्षिणी ध्रुव के निकट उतरने का अद्वितीय कारनामा कर इतिहास रच दिया था, इस विलक्षण कार्य के लिये इसरो की पूरी टीम को साधुवाद। भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम साराभाई, मिसाइल मैन व पूर्व राष्ट्रपति ए॰ पी॰ जे॰ अब्दुल कलाम साहब से लेकर इसरो के अध्यक्ष श्री एस. सोमनाथ और वैज्ञानिकों की पूरी टीम के विलक्षण कार्यों की स्वामी जी ने भूरि-भूरि प्रशंसा की। एस सोमनाथ व इसरो के वैज्ञानिकों की पूरी टीम की लगन, दूरदर्शिता और कड़ी मेहनत से भारत को यह ऐतिहासिक सफलता हासिल हुई। वास्तव में यह अध्यात्म से अंतरिक्ष की यात्रा है।

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