ऋषिकेश। अन्तर्राष्ट्रीय बेटी दिवस व विश्व नदी दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने संदेश दिया कि नदी और नारी के बिना सृष्टि अधूरी है। नदियाँ और नारियाँ दोनों ही जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। नदियाँ हमारे पर्यावरण का आधार हैं, और नारियाँ समाज के जीवन की नींव हैं। नारी, जीवन की क्यारी और फुलवारी की तरह हैं, जो माता, बहन, पत्नी और बेटी के रूप में परिवार को सुंदर और समृद्ध बनाती हैं।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि नदियाँ हैं तो दुनिया है इसलिये हमें अपनी नदियों की स्वच्छता और संरक्षण के लिए सामूहिक प्रयास करने होंगे क्योंकि यह न केवल पर्यावरण की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि हमारे स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए भी आवश्यक है। नारियाँ हमारे समाज का आधार हैं, और उनका सम्मान और संरक्षण हमारी जिम्मेदारी है।
स्वामी जी ने कहा कि बेटियां हमारे समाज का भविष्य हैं, उनके अधिकारों का संरक्षण और अवसरों को बढ़ावा देना पूरे समाज की साझा जिम्मेदारी है।
स्वामी जी ने कहा कि स्वस्थ नदियाँ न केवल हमारे जीवन के लिए जल का स्रोत हैं, बल्कि वे हमारी संस्कृति और परंपराओं का भी अभिन्न अंग हैं। स्वस्थ नदियां, स्वस्थ जीवन का संदेश हमें यह याद दिलाता है कि हमें अपनी नदियों की स्वच्छता और संरक्षण के लिए सामूहिक प्रयास करना होगा।
परमार्थ निकेतन की वरिष्ठ योगाचार्य साध्वी आभा सरस्वती जी के 75 वें जन्मदिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन में कन्या पूजन किया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने बताया कि साध्वी आभा सरस्वती जी का पूरा जीवन ही कन्याओं को समर्पित है उन्होंने कन्याओं को आगे बढ़ाने हेतु अद्भुत कार्य किये। आज उनका सम्मान किया और सात्विकता के साथ उनका जन्मदिवस धूमधाम से मनाया।
स्वामी जी और साध्वी आभा सरस्वती जी ने पूरा दिन कन्याओं के साथ बिताया। साथ ही कन्याओं को जीवन में आगे बढ़ने हेतु प्रेरित किया।
स्वामी जी ने कहा कन्याओं का सम्मान अर्थात भारत की पूरी नारी शक्ति का सम्मान। नारियों से ही जन्म, जीवन, संस्कार, संस्कृति व भाषा की गंगा प्रवाहित होती हैं। नारियां, भाव से इस जगत को आगे बढ़ा रही हैं।
दो कन्याओं ने परमार्थ निकेतन में भरतनाट्यम कर अपनी प्रतिभा के सभी को दर्शन करायें। सभी नृत्य देखकर अत्यंत ऊर्जावान व आन्नदित हुये। स्वामी जी कहा कि नृत्य एक अद्भुत कला है इसे अपने जीवन में आगे बढ़ाते रहें क्योंकि नारियाँ हैं तो दुनिया है, दुनिया की खूबसूरती है, संसार में प्रेम, दया, करूणा, ममता और संदेवनशीलता है।
इस अवसर पर स्वामी जी ने सभी से आग्रह किया कि वे नदियों और नारियों के सम्मान व संरक्षण के लिए अपने-अपने स्तर पर योगदान दें।