-परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, सीडीएस जनरल श्री अनिल चौहान जी, उत्तराखंड के सांसद श्री अनिल बलूनी जी, हरिद्वार के सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत जी, लेफ्टिनेंट जनरल श्री विकास लखेरा जी, श्री रविन्द्र सिंह जी, डा मनोहर सिंह चौहान जी, श्री प्रसून जोशी, पदमश्री बसंती बिष्ट जी, श्री अजय टम्टा जी और अन्य विशिष्ट अतिथियों ने किया सहभाग
-प्रखर राष्ट्रवादी स्वतंत्रता सैनानी पंजाब केसरी लाला लाजपत राय जी, कुशल राजनेता बाला साहेब ठाकरे जी और राष्ट्रसेवा को समर्पित जीवन जीने वाले उत्कृष्ट राष्ट्रभक्त श्री अशोक सिंघल जी की पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि
ऋषिकेष। उत्तराखंड के रैबार-6 ब्रांड के तहत मेल नामक एक विशिष्ट कार्यक्रम का आयोजन दिल्ली में किया गया। जिसमें परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी की गरिमामय उपस्थिति रही। इस कार्यक्रम का उद्देश्य पहाड़ों की ओर लौटने, पहाड़ी संस्कृति, परंपराओं और उत्पादों को बढ़ावा देना है।
इस कार्यक्रम में हस्तशिल्प, कृषि उत्पाद, हिमालयन व्यंजन, पर्व और संस्कृति प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। जिसमें हरिद्वार के सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत जी और अन्य विशिष्ट अतिथियों की सहभागिता रही।
इस आयोजन का प्रमुख लक्ष्य उत्तराखंड की समृद्ध संस्कृति और विविधता को प्रदर्शित करना और उसे बढ़ावा देना है। इस मेल के माध्यम से लोग पहाड़ों की ओर लौटने और उनकी समृद्ध विरासत को संजोने का संदेश प्राप्त करेंगे।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि उत्तराखंड की परंपराओं और संस्कृति को एक नई पहचान देना अत्यंत आवश्यक है। वर्तमान समय में, जब आधुनिकता और वैश्वीकरण की आंधी हमारे चारों ओर चल रही है ऐसे में हमारी सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं को संजोना और उनका संरक्षण करना अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि उत्तराखंड की अनूठी परंपराएं और सांस्कृतिक विविधता को संरक्षित करना और इसे आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी का मानना है कि उत्तराखंड की परंपराएं और संस्कृति हमारी पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। ये न केवल हमारी ऐतिहासिक धरोहर को दर्शाती हैं बल्कि हमें हमारे मूल्यों और विश्वासों से भी जोड़ती हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि यदि हम अपनी परंपराओं और संस्कृति को भूल जाते हैं, तो हम अपनी जड़ों से कट जाएंगे, जो हमें कमजोर बना देगा।
उन्होंने आगे कहा कि उत्तराखंड की संस्कृति में निहित पर्व, त्यौहार, नृत्य और संगीत हमारी जीवन शैली का अभिन्न हिस्सा हैं। इन परंपराओं को जीवित रखना और उन्हें बढ़ावा देना न केवल हमारी संस्कृति को संरक्षित करेगा बल्कि हमारी सामाजिक बुनियाद को भी मजबूत करेगा। उन्होंने विशेष रूप से युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें अपनी सांस्कृतिक धरोहर से जुड़ने और इसे आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने के लिए सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।
इस पहल के माध्यम से उत्तराखंड की परंपराओं और संस्कृति को एक नई पहचान मिलेगी और इसे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रमोट किया जाएगा। सभी से अनुरोध है कि इस महत्वपूर्ण पहल में शामिल होकर इसका हिस्सा बनें और उत्तराखंड की संस्कृति को संजोने में योगदान दें।
रैबार-6 में उत्तराखंड के पारंपरिक हस्तशिल्प और कला का प्रदर्शन किया गया जिससे स्थानीय कारीगरों को प्रोत्साहन मिलेगा और उनकी कला को पहचान मिलेगी।
उत्तराखंड के कृषि उत्पादों, जैसे कि जड़ी-बूटियाँ, मसाले, और औषधीय पौधों का प्रदर्शन किया गया। यह प्रदर्शनी किसानों के उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में पहुँचाने का अवसर प्रदान करेगी।
हिमालयन व्यंजन स्थानीय स्वादिष्ट व्यंजनों का प्रदर्शन और चखने का अवसर लोगों को प्राप्त हुआ। इसमें पिथौरागढ़ के पारंपरिक भोजन से लेकर गढ़वाल के प्रसिद्ध पकवान शामिल थे।
उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और पर्वों का जीवंत प्रदर्शन इस प्रदर्शनी में देखने को मिला। इसमें पारंपरिक नृत्य, संगीत, और लोककथाएं शामिल थी जो हमारी सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखेंगी।