हरिद्वार। मुख्य विकास अधिकारी आकांक्षा कोंडे ने शुक्रवार की देर सांय विकास भवन सभागार में चोयल इनोवेटिव ग्राइंडिंग सॉल्यूशंस, राजस्थान की टीम के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक ली। इस बैठक की अध्यक्षता मुख्य विकास अधिकारी महोदया ने की, जिसमें पीडी, डीआरडीए और जिला परियोजना प्रबंधक, ग्रामोत्थान परियोजना भी उपस्थित रहे। बैठक का मुख्य उद्देश्य हरिद्वार जिले में नवीनतम एआई आधारित तकनीकों से युक्त सिंघाड़ा प्रोसेसिंग यूनिट्स और मसाला ग्राइंडिंग यूनिट्स की स्थापना के लिए विस्तृत जानकारी प्राप्त करना था।

बैठक के दौरान चोयल इनोवेटिव ग्राइंडिंग सॉल्यूशंस की टीम ने अपनी नवीनतम तकनीकों और उनके फायदों का विवरण प्रस्तुत किया। इन तकनीकों का उद्देश्य न केवल पर्यावरण के अनुकूल समाधान प्रदान करना है, बल्कि इनका संचालन समुदाय आधारित और स्वामित्व वाली इकाइयों के माध्यम से किया जाएगा। इन तकनीकों का उपयोग उत्पादों की गुणवत्ता और मूल्य बढ़ाने के साथ ही व्यावसायिक संभावनाओं में वृद्धि करेगा।

चर्चा के दौरान मुख्य विकास अधिकारी महोदया ने इस पहल को हरिद्वार जिले की विभिन्न क्लस्टर लेवल फेडरेशन्स (सीएलएफ) के साथ पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू करने पर जोर दिया। यह कदम क्षेत्रीय किसानों और उद्यमियों को सशक्त बनाने के साथ-साथ उन्हें आधुनिक तकनीकों से जोड़ने में सहायक सिद्ध होगा। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि पायलट परियोजनाओं के अनुभवों के आधार पर बड़े पैमाने पर इन तकनीकों को अपनाया जाएगा।

बैठक के पश्चात, मुख्य विकास अधिकारी महोदया के निर्देशानुसार जिला परियोजना प्रबंधक, ग्रामोत्थान परियोजना ने चोयल इनोवेटिव ग्राइंडिंग सॉल्यूशंस की टीम के साथ खानपुर विकासखंड में प्रस्तावित सिंघाड़ा प्रोसेसिंग यूनिट का निरीक्षण किया। इस निरीक्षण का उद्देश्य प्रस्तावित इकाई की वास्तविक स्थिति का आकलन करना और इसके क्रियान्वयन के लिए आवश्यक कदमों का निर्धारण करना था। टीम ने यूनिट की स्थापना के लिए स्थल और मौजूदा बुनियादी ढांचे का जायजा लिया और आवश्यक सुझाव प्रस्तुत किए।

इस परियोजना के माध्यम से सिंघाड़ा उत्पादन और मसाला ग्राइंडिंग से जुड़े किसानों और उद्यमियों को उनकी उत्पादन क्षमता में वृद्धि करने का अवसर मिलेगा। एआई आधारित तकनीकों के उपयोग से उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार होगा और उन्हें बाजार में बेहतर दाम प्राप्त होंगे। साथ ही, इन यूनिट्स के संचालन में स्थानीय समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित कर इसे स्वावलंबन और टिकाऊ विकास का एक मॉडल बनाया जाएगा।

यह पहल न केवल हरिद्वार जिले की आजीविका परियोजनाओं में एक नया आयाम जोड़ेगी, बल्कि ग्रामीण उद्योगों को प्रोत्साहन देने में भी सहायक होगी। इस परियोजना का उद्देश्य न केवल किसानों की आय में वृद्धि करना है, बल्कि हरिद्वार जिले को कृषि और खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में एक अग्रणी मॉडल के रूप में स्थापित करना भी है।

अंत में, यह बैठक और निरीक्षण एक महत्वपूर्ण कदम है, जो स्थानीय समुदाय के साथ साझेदारी में आधुनिक तकनीकों को लागू करने के माध्यम से जिले के समग्र विकास को गति देगा। परियोजना से जुड़े सभी अधिकारी और तकनीकी विशेषज्ञ इस पहल को सफल बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

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