-श्री जय अमितभाई शाह जी, अध्यक्ष, एशियाई क्रिकेट परिषद का सपरिवार परमार्थ निकेतन में आगमन
-स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने शाह परिवार को हिमालय की हरित भेंट रूद्राक्ष का पौधा किया भेंट

ऋषिकेश। एशियाई क्रिकेट परिषद के अध्यक्ष, श्री जय अमितभाई शाह जी अपने परिवार सहित परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश पधारे। उनके साथ उनकी धर्मपत्नी श्रीमती ऋषिता पटेल, माताजी श्रीमती सोनल अमित शाह जी का भी आगमन हुआ। शाह परिवार ने परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष, स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के दिव्य सान्निध्य में माँ गंगा की आरती में सहभाग किया और परमार्थ की आध्यात्मिक व पर्यावरणीय यात्रा का अनुभव प्राप्त किया।
गंगा तट पर संध्या समय की वह पावन वेला जब सूर्य अस्त हो रहा हो और चारों ओर गंगा तट घंटियों, भजनों और दीपों की रौशनी से गूंज रहा, उन दिव्य क्षण में शाह परिवार ने माँ गंगा की आरती की। गंगाजी की आरती की ऊर्जा और पवित्रता ने सभी के हृदय को छू लिया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने शाह परिवार का परमार्थ निकेतन में अभिनन्दन करते हुए उन्हें हिमालय की हरित भेंट रुद्राक्ष का पौधा भेंट किया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि जब राष्ट्र निर्माण और आध्यात्मिक चेतना एक साथ चलती है, तो देश में विकास टिकाऊ, संतुलित और सशक्त होता है। आज भारत के पास ऐसा नेतृत्व है जो आध्यात्मिक मूल्यों को आत्मसात कर, आधुनिकता और संस्कृति के बीच संतुलन बना कर आगे बढ़ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि जय शाह, एक ऐसे दूरदर्शी, कर्मठ और युवा नेतृत्व के प्रतीक हैं, जिन्होंने भारतीय एवं एशियाई क्रिकेट को नई दिशा और नई ऊँचाइयाँ प्रदान की हैं। आपके संगठकीय कौशल और निर्णायक नेतृत्व में क्रिकेट प्रशासन ने पारदर्शिता, नवाचार और व्यावसायिकता के नए मानदंड स्थापित किए हैं।

आपका योगदान मैदान पर खिलाड़ियों के सशक्त भविष्य को सुनिश्चित करने के साथ क्रिकेट के बुनियादी ढाँचे, जमीनी स्तर पर प्रतिभा विकास, और वैश्विक मंच पर भारत की प्रभावी उपस्थिति को सुदृढ़ करने में भी है। चाहे वह घरेलू क्रिकेट को सशक्त बनाना हो या अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों का सुचारु आयोजन, आपने हर क्षेत्र में अपनी दक्षता का परिचय दिया है।
एशियाई क्रिकेट परिषद के अध्यक्ष के रूप में आपका नेतृत्व समूचे एशिया में क्रिकेट के विकास और समावेशी विस्तार का मार्ग प्रशस्त कर रहा है। आपकी युवा ऊर्जा, स्पष्ट दृष्टि और राष्ट्र के प्रति प्रतिबद्धता सम्पूर्ण खेल जगत के लिए प्रेरणादायी है।
स्वामी जी ने कहा कि युवा ऊर्जा और युवा नेतृत्व किसी भी राष्ट्र के भविष्य की सबसे मजबूत नींव होते हैं। जब युवाओं का उत्साह, नवीन सोच और साहस अनुभव, मार्गदर्शन और दूरदर्शिता के साथ जुड़ते हैं, तो विकास की एक नई, सकारात्मक और सशक्त धारा प्रवाहित होती है।
आज का युवा केवल बदलाव की आकांक्षा नहीं रखता, बल्कि वह स्वयं बदलाव का वाहक बन रहा है। वह अपनी ऊर्जा, नवाचार और प्रतिबद्धता के साथ समाज, देश और विश्व को नई दिशा देने के लिए तत्पर है। आधुनिक तकनीक, डिजिटल ज्ञान, वैश्विक दृष्टिकोण और सामाजिक संवेदनशीलता से सुसज्जित यह पीढ़ी, अब केवल समर्थ नहीं बल्कि संकल्पबद्ध भी है।
भारत जैसे देश में, जहाँ 65 प्रतिशत जनसंख्या युवा है, वहाँ यह ऊर्जा यदि सही दिशा में प्रवाहित हो, तो राष्ट्र को आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया जा सकता है। खेल, विज्ञान, शिक्षा, उद्यमिता, पर्यावरण, प्रशासन और संस्कृति हर क्षेत्र में युवा नेतृत्व अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
स्वामी जी ने देश के युवाओं का आह्वान करते हुये उन्हें 4 आई, इनफॉर्मेशन, इंस्पिरेशन, इम्प्लीमेंटेशन, इनोवेशन और 4 टी, टाइम, टैलेंट, टेक्नोलॉजी, टेनेसिटी के माध्यम से राष्ट्र सेवा करने हेतु प्रेरित किया।

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