*राजस्थान की धरती से आयी उच्च न्यायालय की उच्चन्याधीश से राजस्थान की धरती पर पौधा रोपण के विषय में हुई विशेष चर्चा*

*अब केवल पैसों की पेनल्टी नहीं पौधों के रोपण व संरक्षण की भी पेनल्टी*

*पौधों के रोपण व संरक्षण पर मिले पैरोल का रखा प्रस्ताव*

ऋषिकेश। अंतर्राष्ट्रीय उष्णकटिबंधीय दिवस उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों की असाधारण विविधता का उत्सव है, परन्तु वर्तमान समय में ये क्षेत्र जलवायु परिवर्तन, वनों की कटाई, बढ़ते शहरीकरण और जनसांख्यिकीय परिवर्तन जैसी कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन वैश्विक स्तर पर सबसे बड़ी चुनौती है और इससे निपटना वर्तमान समय की बड़ी आवश्यकता भी है। हमारा सम्पूर्ण अस्तित्व प्रकृति पर निर्भर है। पेड़-पौधें हैं इसलिये हम हैं और हमारा अस्तित्व है।

जंगलों के कटने, नदियों, जलस्रोतों के प्रदूषित होने से हम साँस लेने योग्य हवा आक्सीजन को खो रहे हैं। हम पेड़ों को खो रहे हैं जिससे मिट्टी, जल चक्र, जैव विविधता भी प्रभावित हो रही हैं। जिससे हमारा शारीरिक व मानसिक दोेनों स्वास्थ्य प्रभावित हो रहे हैं। साथ ही हम हवा, जल और मृदा को प्रदूषित कर आने वाली पीढ़ियों को एक प्रदूषित धरा सौंप कर एक बड़ा अपराध कर रहे हैं।

वर्तमान पीढ़ी प्रकृति के प्रति अपनी संवेदनशीलता को खो रही हैं जिसके परिणाम स्वरूप हीट वेव्स आ रही है, मौसम गर्म हो रहा है, जलवायु परिवर्तन हो रहा है, ग्लोबल वार्मिग हो रही है जिससे प्रकृति का सामान्य चक्र भी टूट रहा है।

स्वामी जी ने कहा कि वनों की कटाई का इतिहास बहुत दुखद है फिर भी हम प्रतिदिन उसे दोहरा रहे हैं। जंगलों की कटाई करके हमने न केवल जंगली और सुंदर परिदृश्यों को खो दिया है, बल्कि उसमें मौजूद अनेक वन्यजीवों को भी खो रहे हैं।

स्वामी जी ने कहा कि अब समय वनों की कटाई का नहीं बल्कि पुनर्वनीकरण का है। भारत में वन देश के भूमि क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा कवर करते थे और दुनिया के सबसे अधिक जैव विविधता वाले वनों में से एक थे। वन हमें कई महत्वपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएँ प्रदान करते हैं, जैसे मिट्टी के कटाव से सुरक्षा, जल चक्र को विनियमित करना और विभिन्न प्रकार के पौधों और प्राणियों की प्रजातियों के लिए घर के रूप में कार्य करते हैं।

स्वामी जी ने कहा कि वनों व प्रकृति के संरक्षण के लिये हम सभी अपने-अपने स्तर पर कुछ न कुछ कर सकते हैं। अवसर कोई भी हो, जब भी और जहाँ भी संभव हो पेड़ लगाएँ, पुनः उपयोग करने और पुनर्चक्रण को अपनायें, कागज का उपयोग कम से कम करने का प्रयास करें क्योंकि यह पेड़ों से प्राप्त होता है, वनरोपण के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाएँ, प्लास्टिक का उपयोग कम से कम करें और ऐसे उत्पादों को बढ़ावा दें जो वनों की कटाई को कम या बिलकुल न होने दें क्योंकि विभिन्न उपयोगों के लिए हर साल लगभग 18 मिलियन एकड़ जंगल साफ किए जाते हैं, जिससे हमारे पर्यावरण को भारी नुकसान होता है। ग्लोबल वार्मिंग का वर्तमान मुद्दा मुख्य रूप से वनों की कटाई से संबंधित है इसलिये आईये आज संकल्प लें कि अवसर कोई भी पौधों का रोपण व संरक्षण कर उत्सव मनायें।

परमार्थ निकेतन गंगा आरती के माध्यम से स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी प्रतिदिन पर्यावरण संरक्षण का संदेश प्रसारित करते हैं जिससे आश्रम आने वाले छोटे – छोटे बच्चे भी पौधा रोपण का संकल्प लेकर जाते है।

 

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