ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन में वित्त मंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार श्री सुरेश कुमार खन्ना जी पधारे। उन्होंने परमार्थ निकेतन द्वारा राजाजी नेशनल पार्क बाघखाला में कावंडियों के लिये लगाये जाने वाले निःशुल्क चिकित्सा एवं जागरूकता शिविर का विधिवत उद्घाटन करते हुये कहा कि पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी प्रतिवर्ष कावंड़ियों के लिये शुद्ध पेयजल, दवाईयाँ, पपेट शो के माध्यम से पर्यावरण के प्रति जागरूकता तथा पौधों का वितरण व रोपण जैसे अनके दिव्य पहलों का आयोजन करते हैं।     

श्री सुरेश खन्ना जी ने कहा कि वर्ष 2022 में मैने राजाजी नेशनल पार्क में लगे परमार्थ कावंड शिविर का अवलोकन किया था तथा वहां पर परमार्थ टीम के साथ रूद्राक्ष के पौधें का रोपण भी किया था। मुझे प्रसन्नता होती है जब छोटे-छोटे बच्चे पपेट शो के माध्यम से पर्यावरण के प्रति जागरूक करते हैं। वास्तव में ये बच्चे पूज्य स्वामी जी के संदेशों को आत्मसात कर जीवन जी रहे हैं।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने श्रावण माह की शुभकामनायें देते हुये सभी की सफल, सुखद और सुगम कावंड यात्रा हेतु शिव जी से प्रार्थना की। उन्होंने कहा कि श्रावण चतुर मास का पहला और सबसे शुभ, पवित्र, श्रेष्ठ एवं विशिष्ट महिना है। श्रावण माह भगवान शिव को समर्पित है। भगवान शिव ‘संहारक’ भी हैं तथा सृजन कर्ता व ‘नव निर्माण कर्ता’ भी है। ‘शिव’ अर्थात कल्याणकारी, सर्वसिद्धिदायक, सर्वश्रेयस्कर ‘कल्याणस्वरूप’ और ‘कल्याणप्रदाता’ है। जो हमेशा योगमुद्रा में विराजमान रहते है और हमें जीवन में योगस्थ, जीवंत और जागृत रहने की शिक्षा देते है।

भगवान शिव ने समुद्र मंथन के दौरान निकले विष के विनाशकारी प्रभावों से इस धरा को सुरक्षित रखने के लिये उस हलाहल विष को अपने कंठ में धारण किया और पूरी पृथ्वी को विषाक्त होने से; प्रदूषित होने से बचा लिया इसलिये वे नीलकंठ कहलायें। भगवान शिव ने विष शमन करने के लिये अपने सिर पर अर्धचंद्राकार चंद्रमा को धारण किया तथा सभी देवताओं ने माँ गंगा का पवित्र जल उनके मस्तक पर डाला ताकि उनका शरीर शीतल रहे तथा विष की उष्णता कम हो जाये इसलिए श्रावण में शिवजी को माँ गंगा का पवित्र जल अर्पित कर शिवाभिषेक किया जाता है, कांवड यात्रा इसी का प्रतीक है। शिवाभिषेक से तात्पर्य दिव्यता को आत्मसात कर आत्मा को प्रकाशित करना है तथा धरा को प्रदूषित होने से बचाना।

श्रावण माह प्रकृति और पर्यावरण की समृद्धि, नैसर्गिक सौन्दर्य के संवर्धन और संतुलित जीवन का संदेश देता है। नैसर्गिक सौन्द्रर्य के संवर्द्धन के लिये शिवाभिषेक के साथ धराभिषेक; धरती अभिषेक नितांत आवश्यक है। वास्तव में देखे तो श्रावण मास प्रकृति को सुनने, समझने और प्रकृतिमय जीवन जीने का संदेश देता है।

स्वामी जी ने सभी कावंडियों का आह्वान करते हुये कहा कि उत्तराखंड के नैसर्गिक सौन्द्रर्य को बनाये रखने के लिये आपकी यात्रा सिंगल यूज प्लास्टिक मुक्त यात्रा हो। उत्तराखंड की धरती पर सभी का अभिनन्दन है, यहां के कण-कण में देवत्व हैं इसलिये यहां पर तीर्थाटन की दृष्टि से आईये! इस धरती का आनन्द नशे में नहीं बल्कि होश में रहकर लें। इस अवसर पर आचार्य दीपक शर्मा व परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमार उपस्थित थे।

 

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