ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन में राजस्थान राज्य के ऊर्जा मंत्री श्री हीरालाल नागर जी (कैबिनेट मंत्री) सपरिवार आये। उन्होंने परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी से भेंट का आशीर्वाद लिया। माननीय श्री हीरालाल नागर जी ने अपने पूरे परिवार के साथ स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और मानस कथाकर संत मुरलीधर जी के पावन सान्निध्य में गंगा आरती में सहभाग किया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि अद्भुत है भारतीय संस्कृति जिसने हमें शक्ति व शान्ति प्रदान करने वाले मंत्र दिये। प्रकृति के संरक्षण व पूजन का अद्भुत संदेश दिया, जहां हम घन्टों नदियों के तटों पर बैठकर साधन करते हैं। ऐसा ही अद्भुत है माँ गंगा का यह पावन तट जो सदियों से हमारे जीवन को ऊर्जा प्रदान करता आ रहा है।
स्वामी जी ने कहा कि जल से ही हमारे जीवन को ऊर्जा मिलती है। जल ही हमारे प्राणों का पोषण करता है; जल के कारण ही यह धरती हरी-भरी है। जल नहीं होगा तो न तो कुम्भ होगा, न ही संगम होगा, पानी नहीं होगा तो प्रयाग नहीं होगा अर्थात जल की महिमा अद्भुत है। जल को बनाया तो नही जा सकता परन्तु बचाया जा सकता है; संरक्षण किया जा सकता है।
स्वामी जी ने कहा कि एक छोटे से बीज की यात्रा पेड़ बनने तक होती है, एक नदी की यात्रा सागर में समा जाने तक होती है और जीवन की यात्रा परमात्मा को प्राप्त करना है। जीवन में जब तक परमात्मा की प्राप्ति हो जाती है तो जीवन मस्त हो जाता है, जीवन के भीतर की मस्ती जाग जाती है और तब जीवन वास्तव में जागृत हो उठता है।
कथा व्यास संत श्री मुरलीधर जी ने आज मानस कथा की पीठ से राजा प्रतापभानु का प्रसंग सुनाते हुये संदेश दिया कि सत्कर्मों का निरूपण तभी होता है जब हम उन कर्मों को प्रभु को समर्पित कर दे।
उन्होंने कहा कि जीवन का अंश हमारे हाथ से धीरे-धीरे निकल रहा है इसलिये प्रभु ध्यान, स्मरण और चिंतन जरूरी है। हम इस जीवन से, इस शरीर से जो कर्म करते हैं उसका प्रतिफल भी हमें इसी शरीर से भोगना पड़ता है। हम अक्सर झुठे प्रभाव को देखकर सम्मोहित हो जाते है और भगवान में विश्वास नहीं करते। जब हमें पद मिल जाता है तो हम स्वयं भगवान बन जाते हैं और फिर जो होता है वही संदेश हमें राजा प्रताप भानु का प्रसंग देता है। हमारा मन संसार के विषयों निकले इसलिये जीवन में भजन जरूरी है।
कैबिनेट मंत्री श्री हीरालाल नागर जी ने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड की चार धाम यात्रा के पश्चात परमार्थ निकेतन पूज्य स्वामी जी का आशीर्वाद, गंगा स्नान और मानस कथा व्यासपीठ के दर्शन हेतु सपरिवार आये हैं। परमार्थ निकेतन गंगा तट पर पूज्य संतों के सान्निध्य में माँ गंगा जी की आरती में सहभाग कर लग रहा है अब चार धाम की यात्रा पूर्ण हुई।
माननीय नागर जी ने कहा कि हमारी 10 दिवसीय देवभूमि की यात्रा अद्भुत रही। यहां आकर जो ऊर्जा प्राप्त हुई वह विलक्षण है जिसे शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि मुझे राजस्थान राज्य में ऊर्जा मंत्री की जिम्मेदारी मिली है, मैं आज इस दिव्य गंगा के तट से आह्वान कर रहा हूँ कि आने वाले पांच वर्षों में राजस्थान राज्य ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन कर उभरेगा साथ ही अन्य राज्यों को ऊर्जा देने वाला राज्य होगा ऐसा हमारा प्रयास है क्योंकि राजस्थान में सौर ऊर्जा की अनेक सम्भावनायें हैं।
उन्होंने कहा कि पूज्य स्वामी जी गंगा जी के तट से प्रतिदिन संकल्प कराते हैं हम उस संकल्प को अपना संकल्प बनाये और अधिक से अधिक पौधों का रोपण करे। हम अपने प्रयासों से ऊर्जा तो बना सकते हैं लेकिन जल को नहीं बना सकते इसलिये पौधों का रोपण कर जल का संरक्षण करे। स्वामी जी प्रतिदिन गंगा आरती के माध्यम से संदेश देते हैं कि अपने-अपने जन्मदिवस व विवाह दिवस पर पौधों का रोपण व संरस्क्षण करे। इस संदेश को अपना संकल्प मानकर गंगा जी के पावन तट से यह बात प्रसाद स्वरूप लेकर जाये।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और संत मुरलीधर जी ने श्री हीरालाल नागर जी को रूद्राक्ष का दिव्य पौधा आशीर्वाद स्वरूप भेंट किया।

 

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