देहरादून। ब्रह्माकुमारीज का मीडियाविंग पत्रकारिता को आध्यात्मिकता से जोड़ने की वकालत करता रहा है। ब्रह्माकुमारीज मुख्यालय माउंट आबू के समन्वयक बीके शांतनु के संयोजन में देशभर से चुनिंदा पत्रकारो,मीडिया प्राध्यापको व संस्थान प्रमुखों के माध्यम से मीडिया की वर्तमान दशा व दिशा पर चिंतन के लिए ,पत्रकारों को आध्यात्मिकता से जोड़कर उनके चारित्रिक उत्थान के लिए व स्वस्थ व सुखी समाज की पुनः स्थापना के लिए यह मीडिया सेमिनार आयोजित की जा रही है।ब्रह्माकुमारीज मीडियाविंग के चेयरपर्सन बीके करुणा भाई की इस मीडिया सेमिनार रूपी यज्ञ के आयोजन में महती भूमिका है। वे मानते है कि मीडिया अपनी सार्थक जिम्मेदारी निभा रहा है और मीडिया का राष्ट्रीय व सामाजिक सरोकारों को आमजन के सामने लाने में अहम योगदान है। ब्रह्माकुमारीज संस्थान पिछले 27 वर्षों से पत्रकारिता को आध्यात्मिकता से जोड़कर देश विदेश के पत्रकारों को मूल्यनिष्ठ पत्रकारिता के लिए प्रशिक्षित करता रहा है। स्वस्थ और सुखी समाज के लिए आध्यात्मिक सशक्तिकरण : मीडिया की भूमिका’विषय पर ब्रह्माकुमारीज संस्था 26 से 30 सितंबर तक माउंट आबू के आनंद सरोवर में राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन कर रही है। इस राष्ट्रीय मीडिया सेमिनार में बड़ी संख्या में मीडिया कर्मियों के भाग लेने की व्यवस्था की गई है । इस राष्ट्रीय मीडिया सेमिनार का मुख्य उद्देश्य मीडिया के क्षेत्र में नकारात्मकता को दूर कर सकारात्मक पत्रकारिता की ओर पत्रकारों को प्रेरित करना है, साथ ही पत्रकारों के मानसिक तनाव को राजयोग के अभ्यास से कम करना है। ब्रह्माकुमारीज प्रेरित करती है कि पत्रकार ऐसे लोगों की आवाज को उठाएं जो असक्त हैं और अपनी स्वयं की रक्षा नहीं कर सकते। यदि पत्रकारों को मूल्यनिष्ठ ,कर्तव्यनिष्ठ व चरित्रवान बनाने के लिए समय समय पर प्रशिक्षित किया जाए तो मीडिया जगत में सच परोसने वालो की संख्या बढ़ सकती है।

वर्तमान दौर में मीडिया के माध्यम से परोसे जा रहे सत्य की सारगर्भित विवेचना होने और देश की अर्थव्यवस्था, चुनाव, राजनीति व मीडिया की स्वतंत्रता को भी रेखांकित किया गया है। मीडिया की विभिन्न चुनोतियो की ओर ध्यानाकर्षण कराने और मिडिया पर आए संकट को भी परिभाषित करने की सोच बनी है। देश मे सच लिखने वाले अच्छे पत्रकारों की आज भी कमी नही है ,लेकिन अगर ब्रह्माकुमारीज जैसी संस्थाओं के माध्यम से पत्रकारों को समय समय पर मिशनरी पत्रकारिता के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है,उन्हें राजयोग का नियमित अभ्यास कराकर उन्हें उनका कर्तव्य बोध कराया जाता है तो अप्रमाणिक ख़बर परोसने वालो की संख्या घट सकती है और सत्य आधारित मूल्यपरक पत्रकारों की संख्या में आशातीत बढ़ोतरी हो सकती है।राजयोगिनी उषा बहन मीडिया के संदर्भ में युवा पत्रकारों के चरित्रनिर्माण पर जोर देती है ,उनका कहना है कि देश और समाज को उन्नत करने के लिए मूल्यो को समझना व उनपर चलना जरूरी है। मीडिया में अपेक्षित सुधार के लिए ब्रह्माकुमारीज के द्वारा आयोजित की जाने वाली नेशनल मीडिया सेमिनारों की आज के दौर में सबसे ज्यादा आवश्यता है।

तभी मीडिया अच्छे काम करके देश व समाज मे अपनी सार्थक भूमिका निभा सकता है।वरिष्ठ राजयोगी एवं ज्ञानामृत के संपादक ओमप्रकाश भाई का मानना है कि लोकतंत्र में मीडिया के महत्व को नकारा नही जा सकता और ब्रह्माकुमारीज के इस विषयक योगदान की सराहना होनी ही चाहिए।क्योंकि ब्रह्माकुमारीज के माध्यम से पत्रकारों को निरन्तर मूल्याधारित पत्रकारिता का प्रशिक्षण देकर हालात बदले जा रहे है,जो सार्थक परिणामो का असर है।ओमशांति मीडिया के संपादक बीके गंगाधर भाई कहते है कि पत्रकारों द्वारा की गई सामाजिक सेवा व सामाजिक मूल्यों को बचाये रखने के पत्रकारों के योगदान के भुलाया नही जा सकता।साथ ही वे अच्छी सोच विकसित करने पर भी जोर देते है ,तभी हम मीडिया को अच्छा बना सकते है। मीडिया में आये दिन हो रहे बदलाव और उसके प्रभाव को लेकर भी इस मीडिया सेमिनार में भी चर्चा होगी,ऐसी उम्मीद है।पत्रकारिता के क्षेत्र में नए विद्यार्थियों की अपेक्षाओं और इस दिशा में आमजनमानस की सोच को रेखांकित करते हुए बाजारवाद के बाद भी मूल्यों का बचा रहना ब्रह्माकुमारीज जैसी संस्थाओं के माध्यम से ही संभव हो पा रहा है।मीडिया सम्मेलन में देशभर से हर एक साल में 2 बार भाग लेने वाले पत्रकार संकल्प लेते है कि वे ब्रह्माकुमारीज से जाकर अपनी लेखनी के माध्यम से सकारात्मक खबरों को बढ़ावा देंगे,क्योंकि पत्रकारिता में आध्यात्म के समावेश से ही समृद्ध भारत की तस्वीर बनेगी। पत्रकार अपने समाचार के माध्यम से समाज में आशा जगाने वाली सकारात्मक खबरों को प्रस्तुत करने की पहल भी ब्रह्माकुमारीज से प्रेरित होकर करते है। इससे ही मीडिया समाज को मानसिक स्वास्थ्य परोस सकता है। समाज और जीवन को प्रभावित करने वाली जो भी गतिविधियां हमारे समाज में हैं, उसमें समाज को प्रभावित करने के लिए मीडिया एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मीडिया समाज लोक मंगल कार्य में बहुत प्रभावकारी है। जैसे डॉक्टर शरीर के स्वास्थ्य के लिए है, उसी प्रकार मीडिया मानसिक स्वास्थ्य समाज को दे सकता है। अगर देश को सही मायने में स्वर्णिम भारत बनाना है तो मीडिया को सच्चाई दिखाने के दरवाजे खोलने पड़ेंगे।गोड़लीवुड स्टूडियो के वरिष्ठ राजयोगी हरिलाल भाई मानते है कि ब्रह्माकुमारीज के पवित्र वातावरण में आकर पत्रकारों को पवित्रता का सुखद अनुभव होता है और उनके मन को शांति मिलती है,जो उनके सेवाकार्य में मददगार सिद्ध होती है।वे संस्था के अतीत पर प्रकाश डालते हुए बताते है कि वर्ष 1937 में बहुत छोटे स्तर पर सिंध प्रांत कराची में ब्रह्माकुमारीज संस्थान की नींव ओम मंडली के रूप में रखी गई थी और अपनी इतने वर्षों की यात्रा में आज यह संस्था विश्व के 140 देशों में 8500 से अधिक सेवाकेंद्रों के माध्यम से राजयोग मेडिटेशन और आध्यात्म का संदेश दे रहा है । ब्रह्माकुमारीज में पचास हजार ब्रह्माकुमारी बहनें तन-मन-धन से समर्पित रूप से सेवाएं दे रही हैं,वही दुनियाभर में संस्था के 20 लाख विद्यार्थी नियमित राजयोग ध्यान करते हैं। जो अपने आप मे सुखद व विश्व शांति का कारक है।ब्रह्माकुमारीज से देश की राष्ट्रपति जहां सीधे जुड़ी है वही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी ब्रह्माकुमारीज के विश्व स्तरीय योगदान से प्रभावित है।ब्रह्माकुमारीज संस्था की मुख्य प्रशासिका रतनमोहिनी दादी के नेतृत्व में मिडियाविंग का यह प्रयास पत्रकारिता के सुखद भविष्य का कारक है। इस मीडिया सेमिनार में उत्तराखंड के सूचना विभाग उपनिदेशक डॉ मनोज श्रीवास्तव व शिप्रा मिश्रा की पुस्तक ‘खुशी’ का विमोचन भी होने जा रहा है।

 

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