*संवाद व विकास के लिये विश्व सांस्कृतिक विविधता दिवस*
*परमार्थ निकेतन में आयोजित 34 दिवसीय श्रीराम कथा का 7 वां दिन*
*स्वामी चिदानन्द सरस्वती की प्रेरणा, मार्गदर्शन व संरक्षण में मानस कथाकार संत श्री मुरलीधर जी महाराज के मुखारविंद से श्रीराम कथा की ज्ञान गंगा परमार्थ गंगा तट पर हो रही प्रवाहित*
*माँ गंगा के पावन तट, परमार्थ निकेतन में पर्यावरण संरक्षण व गंगा जी को समर्पित श्रीराम नाम की ज्ञान धारा निरंतर हो रही प्रवाहित*
ऋषिकेष। परमार्थ निकेतन में संत श्री मुरलीधर जी के मुखारविंद से आयोजित 34 दिवसीय श्रीराम कथा के आज 7 वें दिन प्रभु श्रीराम का प्राक्ट्य उत्सव मनाया। सभी ने धूमधाम से नाच-गाकर खुषियां मनायी।
मानस कथा श्रवण कर रहें भक्तों को आज स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी का पावन सान्निध्य, उद्बोधन व मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। स्वामी जी ने देशवासियों का आह्वान करते हुये कहा कि भारत में यह समय मतदान का है। देश में चुनाव के पांच चरण पूरे हुये, दो चरण अभी और बाकी हैं, सात चरणों में चुनाव हो रहा है। मतदान चाहे कितने भी चरणों में हो लेकिन हमारा मत; हमारा वोट श्री राम के चरणों में ही पड़ना चाहिये अर्थात् हमारी संस्कृति, हमारे संस्कार और जो राष्ट्र की संस्कृति को प्रथम रखें उन्हीं को मतदान करें। सही चुने व सभी चुनें। पहले मतदान और फिर जलपान क्योंकि यह राष्ट्र को सषक्त व समर्थ बनाने के लिये बहुत आवष्यक है। यह समय की मांग है और इसे पूरा करे। राष्ट्र प्रथम का संकल्प करते हुये देश प्रथम की भावना से मतदान के इन दो चरणों में सब जुड़ें और सब को जोड़ें।
स्वामी चिदानन्द सस्वती जी ने कहा कि कथा समाज को सद्भाव, समरसता और समता का संदेश देती है जिसकी वर्तमान समय में पूरे विष्व को आवश्यकता है। आज संवाद व विकास के लिये विश्व सांस्कृतिक विविधता दिवस के अवसर पर स्वामी जी ने कहा कि विविधता में विशिष्टता कैसे हो वह प्रभु श्री राम का चरित्र और महाग्रंथ रामायण हमें संदेश देता है। भारत की धरती पर प्रभु श्री राम का प्राक्ट्य ही नहीं हुआ बल्कि उसके साथ एक संस्कृति का उद्भव भी हुआ जो न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व के विकास को एक नई दिशा प्रदान कर रहा है। वर्तमान समय में भारत एक नये भारत के निर्माण की दिशा में अग्रसर हो रहा है।
स्वामी जी ने कहा कि शो (दिखावा) के लिये बहुत कुछ है, शोर के लिये भी बहुत कुछ है परन्तु शान्ति के लिये कुछ चाहिये तो वह भगवान श्री राम की शरण, उनके चरण और उनका आचरण ही हमारे जीवन का पाथेय बने। कथा करना, कथा सुनना और कथा को आत्मसात करना भी प्रभु कृपा से ही सम्भव है। श्री राम कथा संशय को दूर करने वाली है। श्री राम कथा का आषय ही यह है कि कथा के माध्यम से प्रभु के गुणानुवाद को सुनना, उनकी शरण में बैठना और स्वयं को प्रभु के चरणों में समर्पित कर देना। साथ ही कथा को इतने भाव से सुनना कि दुनिया का कुछ पता न लगे। स्वयं को प्रभु के चरणों में समर्पित करने से जो प्राप्त होता है वह कभी भी प्रश्न करने से नहीं मिलता। प्रभु को पता है कि हमें क्या चाहिये। कथा इसलिये की जाती है कि हमारे धन की शुद्धि हो, विचारों व मन की शुद्धि हो और तन की शुद्धि के लिये गंगा स्नान, क्या अद्भुत रचना है प्रभु की। यह हम सभी का सौभाग्य है कि हमें प्रभु श्री राम जैसा चरित्र प्राप्त हुआ। उनके चित्र पर नजर जाये तो नजर नहीं हटती है और चरित्र पर नजर जाये तो हमारा जीवन भी विलक्षण हो जाता है।
संवाद व विकास के लिये विश्व सांस्कृतिक विविधता दिवस के अवसर पर स्वामी जी बताया कि दुनिया में लगभग तीन-चैथाई संघर्षों का मुख्य कारण सांस्कृतिक आयाम है इसलिये कुछ ऐसा करना बहुत जरूरी है जिससे मानवाधिकारों और मौलिक स्वतंत्रता को बढ़ावा दिया जा सके। एकीकृत संस्कृति और सतत विकास, स्थायी संस्कृति पहलों का समर्थन सभी संस्कृतियों द्वारा प्राप्त हो क्योंकि संतुलित सांस्कृतिक अर्थव्यवस्था प्राप्त करना जरूरी है। शान्ति, स्थिरता और विकास के लिये विभिन्न संस्कृतियों के बीच के समरसता पूर्ण संबंधों को बनाये रखना भी जरूरी है।
सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों की विविधता के संरक्षण और संवर्धन हेतु एकजुटता आवश्यक है क्योंकि सांस्कृतिक विविधता न केवल आर्थिक विकास के संबंध में, बल्कि बौद्धिक, भावनात्मक, नैतिक और आध्यात्मिक जीवन के साधन के रूप में भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।