हरिद्वार। वैदिक संस्कृति कला केंद्र ऋषिकेश के तत्वाधान में सोमवार 27 अक्तूबर से 31 अक्टूबर तक सप्त सरोवर मार्ग स्थित व्यास आश्रम में योगनृत्ये ब्रह्मसंवाद कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। संगीत कला के साधकों का समागम होने जा रहा है। प्रैस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता में पत्रकारों को कार्यक्रम की जानकारी देते हुए वैदिक संस्कृति कला केंद्र के संस्थापक आचार्य प्रसन्न महाराज ने बताया कि संगीत नृत्य कला के साधकों के इस समागम में पदमश्री शोभना नारायण सहित देश के कई प्रतिष्ठत कलाकार प्रतिभाग करेंगे। उन्होंने कहा कि वैदिक संस्कृति भारतीय जीवन की आत्मा है और सभ्यता की वह अमर धारा है। जिसमें अनादि काल से प्रवाहित हो रही ज्ञान, अध्यात्म और कला की चेतना विद्यमान है। इसमें वह सनातन दृष्टि समाई है जो मानव जीवन को उच्चतम आदर्श की ओर प्रेरित करती है। अध्यात्म और कला की चेतना को संवर्धित करने के लिए देश भर के विभिन्न राज्यों से संगीत और नृत्य की प्रख्यात हस्तियों की उपस्थिति में नव साधको को दीक्षित किया जाएगा। उन्हें संगीत और नृत्य की बारीकियों से अवगत कराने के साथ प्रयोगात्मक शैली में प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। गुजरात बड़ोदरा से आई कत्थक की प्रख्यात नृत्यांगना डा.स्मृति वाघेला ने बताया कि व्यास आश्रम में प्रशिक्षण के पश्चात 29 अक्टूबर को ऋषिकेश में नृत्य कला संस्कृति संध्या का आयोजन किया जाएगा। जिसमें प्रतिभागी अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने युवाओं से आह्वान करते हुए कहा कि वर्तमान समय में जहां पाश्चात्य संस्कृति का प्रचार प्रसार हो रहा है। वहीं हमारी प्राचीन संस्कृति, संगीत और नृत्य कला संकट के दौर से गुजर रही है। ऐसे में युवाओं से आग्रह है कि वह इस कार्यक्रम में शामिल होकर राष्ट्र धर्म निभाये। महर्षि वेदव्यास प्रतिष्ठान के संस्थापक गोविंद गिरी देव के शिष्य एवं अधिवक्ता विजय उपाध्याय ने बताया कि अपना पूरा जीवन संस्कृत, अध्यात्म को समर्पित करने वाले गुरुदेव की प्रेरणा से ही वैदिक संस्कृति कला केंद्र की स्थापना हुई है। उन्हीं की प्रेरणा से समस्त उत्तराखंड में वैदिक संस्कृति के उत्थान के लिए यह अनूठा प्रयास किया जा रहा है। पत्रकार वार्ता में आचार्य अंकित, प्रशांत, प्रदीप अवस्थी भी मौजूद रहे।
