*शुद्ध, सात्विक, शुचिता से युक्त सनातन धर्म के वास्तविक स्वरूप ज्ञान पूरे विश्व को कराने पर हुई विशेष चर्चा*
*भोजन को आधा-अधूरा खाकर कूड़ेदान में फेंक देना भारतीय संस्कृति नहीं*
ऋषिकेश। बीएपीएस, भावनगर, गुजरात स्वामी नारायण संस्था के पूज्य संत, भावनगर गुजरात से परमार्थ निकेतन पधारे। 20 से अधिक पूज्य संतों और 700 से अधिक भक्तों ने परमार्थ निकेेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी से भेंट की। स्वामी जी ने कहा कि स्वामी नारायण संस्था पूरे विश्व में सेवा व साधना को लेकर अद्भुत कार्य कर रही हैं, अबूधाबी, यूएई में बना हिन्दू मन्दिर किसी चमत्कार से कम नहीं है। बीएपीएस, भावनगर, गुजरात, स्वामी नारायण संस्था के पूज्य संतों व भक्तों ने परमार्थ निकेतन गंगा आरती की दिव्यता का आनंद लिया तत्पश्चात सभी ने परमार्थ प्रांगण में सात्विक भंडारा ग्रहण किया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने स्वामी नारायण संस्था के विषय में जानकारी देते हुये बताया कि इस संस्था ने अनुशासन, श्रद्धा और समर्पण भाव से अबूधाबी, यूएई, अक्षरधाम दिल्ली, गांधीनगर सहित पूरे विश्व में संस्थाओं व दिव्य मन्दिरों का निर्माण कर सनातन धर्म के आदर्शो पर चलते हुये शुद्ध, सात्विक भारतीय संस्कृति व संस्कारों का पूरे विश्व में अलख जगा रहे हैं। स्वामी जी ने मंगल कामनायें करते हुये कहा कि इसी प्रकार शुद्धता, शुचिता वा सात्विकता के साथ प्रचार-प्रसार होता रहे। इस अवसर पर स्वामी जी ने प्रमुख स्वामी जी महाराज का स्मरण करते हुये कहा कि पूज्य स्वामी जी भी 1987 में 450 से अधिक पूज्य संतों व भक्तों के साथ परमार्थ निकेतन आये थे वह दृश्य भी अद्भुत था। ज्ञात हो कि पूरे विश्व से स्वामी नारायण संस्थान के पूज्य संत परमार्थ निकेतन, गंगा तट पर आते हैं।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आज विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस के अवसर पर कहा कि अन्न देवता का सम्मान कर ही हम एक समृद्ध व सुरक्षित भविष्य का निर्माण कर सकते हैं। भोजन को आधा-अधूरा खाकर कूड़ेदान में फेंक देना भारतीय संस्कृति नहीं है, हम तो अन्न को देवता मानने वाले लोग हैं इसके बावजूद भी हमारे देश में भोजन की बर्बादी की समस्या बहुत गम्भीर है। वैश्विक आंकड़ों के अनुसार वर्तमान समय में 80 करोड़ से अधिक लोग भूखे पेट सोने के लिये मजबूर हैं इसलिये कम से कम हमारी थाली में भोजन की बर्बादी न हो इसका विशेष ध्यान रखना होगा। भोजन की बर्बादी को रोकना ना सिर्फ़ भूखे पेट रहने वालांे के लिये जरूरी है, बल्कि यह हमारी पृथ्वी, हमारी धरती माता के भविष्य के लिये भी जरूरी है।
वैश्विक स्तर पर देखे तो हम कुल उत्पादित भोजन का लगभग 14 प्रतिशत भोजन बर्बाद कर देेेते हैं जो हमारी धरती के लिये एक बहुत बड़ा संकट है, भोजन को उत्पादित करने के लिये हमारा मूल्यवान जल व अन्य प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग होता है। ना खाए जाने वाले भोजन के लिये भी तो अनेकों की मेहनत, बहुमूल्य संसाधन, भूमि, जल, कृषि सामग्री, व ऊर्जा की बर्बादी होती हैं और इसका सीधा असर हमारे पर्यावरण पर भी पड़ता है।
स्वामी जी ने कहा कि अन्न को उगाने के लिये खेत से लेकर खाने की थाली तक न जाने कितने लोगों की कड़ी मेहनत लगती है। हम एक हैल्थ कान्सियस वर्ल्ड में रहते हैं जहां पर हम अपनी प्रत्येक गतिविधि पर निगरानी रखते हैं। हम अपनी नींद, योग, एक्सरसाइज, माइंडफुलनेस एक्टिविटी सभी को मोनिटर करते हैं ताकि हम स्वस्थ रहे। दूसरी ओर हमें यह भी ध्यान रखना है कि हम जो भोजन खाते हैं वह सुरक्षित तो है ना, यह हमारे स्वास्थ्य को नुकसान तो नहीं पहुँचाएगा। आकंडों के अनुसार दस में से एक व्यक्ति दूषित भोजन से बीमार पड़ता है।
देखा जाये तो 200 से ज्यादा बीमारियाँ दूषित भोजन ग्रहण करने से होती हैं और उसमें भी 40 प्रतिशत बीमारियां 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को होती हैं इसलिये बहुत जरूरी हैं यह ध्यान रखना कि क्या खाये, कैसे कैसे खाये और कब खाये। हमारे शास्त्रों में तो बड़े प्यारे-प्यारे मंत्र है जिनके माध्यम से समझाया गया है कि क्या, कब और कैसे बनाये व खाये, क्योंकि आहार ही स्वास्थ्य की कुंजी हैं। सभी के पास सुरक्षित, पौष्टिक और पर्याप्त भोजन उपलब्ध हो इसके लिये हम सभी को एकजुट होना होगा और भोजन की बर्बादी को रोकना होगा। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने परमार्थ निकेतन गंगा आरती के माध्यम से भोजन को बर्बाद न करने हेतु प्रेरित करते हुये संकल्प कराया।