-महाकुम्भ के दिव्य अवसर पर प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता राजकुमार राव, अभिनेत्री पत्रलेखा, योगाचार्य इरा त्रिवेदी, प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक, पटकथा लेखक और निर्माता मधुर भंडारकर, मेदांता – द मेडिसिटी, गुरुग्राम के अध्यक्ष, प्रबंध निदेशक, हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. नरेश त्रेहन, उनकी धर्मपत्नी श्रीमती मधु त्रेहन और डा संदीप देसाई का परमार्थ निकेतन शिविर, प्रयागराज में आगमन
-साध्वी भगवती सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में किया संगम में स्नान और गंगा जी की आरती में किया सहभाग
-पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और पूज्य साध्वी भगवती सरस्वती जी से दिव्य भेंटवार्ता
-भक्ति की शक्ति का अनुपम दृश्य
-प्रयाग का प्रयोग संगम, संगम और सब संस्कृतियों का संगम
प्रयागराज। महाकुम्भ, भारत के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक इतिहास का एक अभिन्न अंग है। महाकुम्भ, मानवता की शाश्वत शक्ति और अद्वितीयता के दर्शन करता है। महाकुम्भ करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था, भारतीय धर्म और संस्कृति का प्रतीक है। महाकुम्भ की दिव्य धरती सीमाओं से पार सभी श्रद्धालु को अपनी ओर खींचती है और उन्हें एक गहरे आध्यात्मिक अनुभव से साक्षात्कार कराती है।
महाकुम्भ न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक विविधता और समृद्धता का प्रमाण है। यहां हर जाति, पंथ और धर्म का व्यक्ति अपनी आस्था और श्रद्धा के साथ एकत्रित होता है। यह संगम का प्रतीक है, जहां न केवल नदियाँ मिलती हैं, बल्कि संस्कृतियाँ, विश्वास और जीवन के मूल्य भी एक साथ मिलते हैं। महाकुम्भ की ऊर्जा का प्रवाह अद्भुत है, जो न केवल मनुष्य के हृदय को आकर्षित करता है, बल्कि उसे आत्मिक शांति और परम सत्य की ओर अग्रसर करता है।
महाकुम्भ की भूमि पर जो ऊर्जा का प्रवाह हो रहा है, वह शब्दों से परे है। यह ऊर्जा, नदियों के संगम से लेकर लाखों भक्तों की एकजुटता और उनकी भक्ति से उत्पन्न होती है। हर एक डुबकी, हर एक मंत्र और हर एक भजन के साथ एक अद्वितीय अनुभव होता है, जो श्रद्धालुओं को आत्मा के गहरे संसार में ले जाता है। यह वह अद्भुत प्रवाह है, जो न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक स्तर पर भी श्रद्धालुओं को सशक्त करता है।
महाकुम्भ की दिव्य धरा पर प्रवेश करते ही यहां का वातावरण कुछ खास होता है। यहां की शांति, नदी की लहरें और भक्तों की सामूहिक आवाज में एक अद्भुत ऊर्जा का संचार होता है, जो श्रद्धालुओं को अतीत, वर्तमान और भविष्य के एक अद्वितीय तारतम्य का अनुभव कराती है। यह वही ऊर्जा है, जो व्यक्ति को अपने असली स्वरूप की ओर मार्गदर्शित करती है और जीवन के मूल उद्देश्य की ओर अग्रसर करती है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आज देश के विभिन्न क्षेत्रों से आये अतिथियों का अभिनन्दन करते हुये महाकुम्भ की इस अद्वितीय ऊर्जा को समझाते हुए कहा कि यह हमारे समाज के संस्कृतिपूर्ण पुनर्निर्माण की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। यह जीवन के हर पहलू को समाहित करने वाली एक शक्ति है, जो दुनिया भर से लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है।
महाकुम्भ हमें भक्ति की शक्ति के अनुपम दृश्य प्रत्यक्ष दर्शन करा रहा है। यहां हर व्यक्ति अपनी आस्था, श्रद्धा और भक्ति के साथ सहभाग कर रहा है। महाकुम्भ की दिव्य धरती पर होने वाली भक्ति और ऊर्जा का प्रवाह किसी दिव्यता से कम नहीं है।
प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता राजकुमार राव, अभिनेत्री पत्रलेखा, योगाचार्य इरा त्रिवेदी, प्रसिद्ध ने साध्वी भगवती सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में संगम में डुबकी लगायी तत्पश्चात गंगा जी की आरती में सहभाग किया। साध्वी जी ने सभी अतिथियों को रूद्राक्ष का पौधा भेंट कर उनका अभिनन्दन किया।