*✨परमार्थ विद्या मन्दिर, चन्द्रेश्वर नगर में स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में पहलगाम आतंकी हमले में वीरगति को प्राप्त मासूमों को अर्पित की भावभीनी श्रद्धाजंलि*

*💐शिक्षकों और विद्यार्थियों ने पहलगाम आतंकी हमले के शहीद मासूमों को अर्पित की भावभीनी श्रद्धांजलि*

*🌺स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के सान्निध्य में हुआ सादगीपूर्ण पुरस्कार वितरण समारोह*

*💐स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने विद्यालय परिसर में मृतकों की याद में रोपित किये पौधें*

*🌸शिक्षा के मंदिर से राष्ट्र के नाम करूणा, शांति और एकता का संदेेश*

*💥सनातन केवल सहता नहीं, समय आने पर सजग होकर संघर्ष भी करता है*

*स्वामी चिदानन्द सरस्वती*

ऋषिकेश, 24 अप्रैल। परमार्थ विद्या मन्दिर, चन्द्रेश्वर नगर परिसर आज एक भावपूर्ण क्षण का साक्षी बना, जब वहां आयोजित वार्षिक पुरस्कार वितरण एवं अभिनंदन समारोह को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के शोक में सादगी से सम्पन्न किया गया। इस हमले में वीरगति को प्राप्त हुए मासूमों की स्मृति में विद्यालय के शिक्षकों, विद्यार्थियों और समस्त स्टाफ ने मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की।

कार्यक्रम का आयोजन परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, समाजसेवी एवं सनातन धर्म के उपासक, श्री दिनेश शाहरा जी, श्रीमती मीरा शाहरा जी और अन्य विशिष्ट अतिथियों के पावन सान्निध्य में सम्पन्न हुआ।

पूरे परिसर में शांति का वातावरण था, और हर आँख नम थी, परन्तु हृदयों में एक संकल्प भी था, आतंक के विरुद्ध एकजुट होने का ताकि भारत में रहने वाला प्रत्येक व्यक्ति करुणा, संवेदना और शांति के मार्ग पर चले।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने श्रद्धांजलि सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि सनातन धर्म वह धर्म है जो सभी को गले लगाता है, हम ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की महान परंपरा को जीते हैं परंतु यदि कोई हमारी सहिष्णुता को हमारी दुर्बलता समझकर निर्दोषों पर प्रहार करता है, तो उसका प्रतिकार करना, उसके विरुद्ध खड़े होना अब केवल विकल्प नहीं, बल्कि हमारी जिम्मेदारी भी है। सनातन केवल सहता नहीं, समय आने पर सजग होकर संघर्ष भी करता है।

स्वामी जी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि आतंक के विरुद्ध अब हमारी चुप्पी भी बोल उठेगी। आज जब राष्ट्र की अखंडता, उसकी संस्कृति, मूल्यों और संतानों पर आघात हो रहा है, तब हमें चाहिए कि हम राष्ट्र की गरिमा, एकता और अखंडता की रक्षा के लिए संगठित हों।

स्वामी जी ने शिक्षकों को सम्बोधित करते हुये कहा कि अपने विद्यार्थियों को केवल परीक्षा पास करने के लिए नहीं, अपितु जीवन के हर मोर्चे पर राष्ट्र, धर्म और संस्कृति की रक्षा करने के लिए तैयार करना होगा। हमारे बच्चों में ज्ञान तो हो परन्तु अब समय है कि उनमें जीवनमूल्य, संस्कार और राष्ट्रीय चरित्र का भी सिंचन हो। उन्हें धर्म की सच्ची शिक्षा प्रदान की जाये जाये कि सच्चा धर्म वह है जो पीड़ा में साथ दे, जो दूसरों के प्रति करूणा रखे, और जो भय के सामने दृढ़ता से खड़ा रह सके।

स्वामी जी ने कहा कि हम भारतवासी आतंकवाद के किसी भी रूप को अब सहन नहीं करेंगे। हमें सहिष्णुता के साथ सजगता भी रखनी होगी।

विद्यालय की प्रधानाचार्य श्रीमती आशा गौरोला जी ने कहा, परमार्थ विद्या मन्दिर केवल शिक्षा का केंद्र ही नहीं, यह राष्ट्र निर्माण का केन्द्र भी है। यहां पूज्य स्वामी जी व पूज्य साध्वी जी के पावन संरक्षण में हम अपने विद्यार्थियों को केवल ज्ञान ही नहीं, संवेदनशीलता भी सिखाते हैं।

परमार्थ विद्या मन्दिर के वार्षिक समारोह में इस वर्ष भी अपनी कक्षाओं में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को प्रमाण पत्र एवं पुरस्कार राशि प्रदान कर सम्मानित किया गया। साथ ही, विद्यालय के समर्पित शिक्षकों को भी उनकी सेवाओं हेतु सम्मानित किया गया। समारोह का शुभारंभ पहलगाम आतंकी हमले के शिकार निर्दोष मासूमों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित कर किया गया। यह आयोजन सादगीपूर्ण वातावरण में सम्पन्न हुआ, जिसमें विद्यार्थियों, शिक्षकों एवं अतिथियों ने एकजुट होकर करुणा, शांति और एकता का संदेश दिया। समापन उन दिवंगत आत्माओं को मौन भावांजलि अर्पित कर किया गया। श्रद्धांजलि सभा के पश्चात विशेष प्रार्थना आयोजित की गयी, जिसमें सभी शिक्षकों और छात्रों ने माँ गंगा से प्रार्थना की कि वे घायलों को शीघ्र स्वास्थ्य लाभ प्रदान करें और मृतकों के परिवारों को इस असहनीय दुख को सहने की शक्ति दें।

कार्यक्रम का समापन ‘शांति पाठ’ और सामूहिक मौन से हुआ, जिसमें समस्त विद्यार्थी, शिक्षक, अतिथि व परिजन शामिल हुए।

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