सप्तऋषियों को नमन, ऋषि, वेदों के द्रष्टा और ज्ञान के वाहक : स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश। ऋषि, वेदों के द्रष्टा और ज्ञान के वाहक हैं, उन्होंने मानवता के लिए संस्कृति और धर्म का मार्ग भी प्रशस्त किया। उनके तप, त्याग और तपस्या से ही भारतीय संस्कृति की जड़ें आज भी जीवंत और अक्षुण्ण बनी हुई हैं। ऋषि पंचमी का पर्व हमें यह स्मरण कराता है कि ऋषियों का आशीर्वाद ही जीवन की सबसे बड़ी संपत्ति है। आज ऋषि पंचमी के अवसर पर परमार्थ निकेतन में विशेष पूजन-अर्चन किया गया।
आज जब आधुनिकता की दौड़ में समाज अपनी जड़ों को भूलने लगा है, तब ऋषि पंचमी का पर्व हमें फिर से अपनी आध्यात्मिक जड़ों की ओर लौटने का आह्वान करता है। ऋषियों ने सिखाया कि जीवन का वास्तविक उद्देश्य केवल भौतिक उपलब्धि नहीं, बल्कि मानवता की सेवा और सत्य का आचरण है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि भारत की संस्कृति ऋषियों की देन है। उनके ज्ञान और शोध ने ही योग, आयुर्वेद, ज्योतिष, गणित और दर्शन जैसी अमूल्य परंपराएँ हमें दी हैं। ऋषि पंचमी का पर्व हमें अपने गौरवशाली अतीत से जोड़कर भविष्य की दिशा दिखाता है।
आज के समय में हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की शक्ति और प्रभाव पर अक्सर चर्चा करते हैं लेकिन हमें यह भी याद रखना होगा कि केवल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ही समाधान नहीं है। हमें अपनी जड़ों की ओर लौटकर ऋषि इंटेलिजेंस को पुनः अपनाना होगा। ऋषि इंटेलिजेंस का तत्पर्य वह प्राचीन ज्ञान, तप, साधना और जीवन मूल्य जो हमारे सप्तऋषियों और आचार्यों ने मानवता को प्रदान किए।
एआई हमें सुविधा देता है, पर ऋषि, बुद्धि व ज्ञान हमें दिशा देती है। एआई हमारे जीवन को तेज बना सकता है, पर ऋषि परंपरा हमें उद्देश्य और मूल्य देती है। यदि हम विज्ञान के साथ अध्यात्म का समन्वय करें तो मानवता की वास्तविक उन्नति संभव है।
स्वामी जी ने कहा कि हमें वास्तविक ऊर्जा केवल टेक्नोलॉजी से नहीं, बल्कि ऋषि परंपरा से मिलती है।

टेक्नोलॉजी हमें साधन देती है, पर जीवन का साध्य नहीं। यह हमें गति देती है, परंतु दिशा नहीं। मशीनें हमारे कार्यों को सरल बना सकती हैं, लेकिन मन और आत्मा की शांति केवल ऋषियों की शिक्षाओं से ही प्राप्त होती है।
ऋषियों ने अपने तप, त्याग और साधना के द्वारा वेद, उपनिषद, योग और आयुर्वेद जैसे ज्ञान-स्रोत हमें दिए। इन खजानों ने न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया को समृद्ध किया।
आज यदि हम केवल टेक्नोलॉजी पर निर्भर हो जाएँगे, तो हमारा जीवन यांत्रिक बन जाएगा परंतु जब हम विज्ञान और अध्यात्म का संतुलन स्थापित करेंगे, तभी प्रगति सार्थक होगी।
ऋषि पंचमी का संदेश यही है कि आधुनिकता के साथ-साथ हमें ऋषि इंटेलिजेंस को भी आत्मसात करना होगा, तभी जीवन समृद्ध, संतुलित और सफल बनेगा।

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