*🌺राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के संस्थापक श्री केशव बलिराम हेडगेवार जी और धर्म एवं मानवता की रक्षा के लिये अपने प्राण न्यौछावर करने वाले सिखों के नौवें गुरू तेग बहादुर जी की जयंती पर नमन*

*✨स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने श्री केशव बलिराम हेडगेवार जी और गुरू तेग बहादुर जी को अर्पित की भावभीनी श्रद्धाजंलि*

*💥राष्ट्रभक्ति और मानवता की सेवा ही सच्ची श्रद्धांजलि*

ऋषिकेश, 1 अप्रैल। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष, स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार जी और धर्म एवं मानवता की रक्षा के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले सिखों के नौवें गुरु, श्री गुरु तेग बहादुर जी की जयंती पर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने अपने संदेश में कहा, भारत की सांस्कृतिक धरोहर और आध्यात्मिक विरासत में इन दोनों महापुरुषों का अतुलनीय योगदान है। डॉ. हेडगेवार जी ने राष्ट्रभक्ति और संगठित समाज की भावना को मजबूत किया, गुरु तेग बहादुर जी ने मानवता की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया। इन महापुरूषोें की जयंती हमें सेवा, त्याग, और निस्वार्थ प्रेम के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना करने वाले डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार जी का जीवन देशभक्ति, अनुशासन और सेवा का प्रतीक है। उनका उद्देश्य था कि भारत को एक संगठित, आत्मनिर्भर और सांस्कृतिक रूप से सशक्त राष्ट्र बनाया जाए। उनका संपूर्ण जीवन समाज में एकता, समरसता और राष्ट्रीय चेतना को जागृत करने के लिए समर्पित रहा।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा, डॉ. हेडगेवार जी ने न केवल राष्ट्र निर्माण का स्वप्न देखा, बल्कि उसे साकार करने के लिए जीवनभर अथक परिश्रम किया। उन्होंने एक ऐसा संगठन खड़ा किया, जिसने देशभर में समाजसेवा, आपदा राहत और राष्ट्रप्रेम की अलख जगाई।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने विगत 100 वर्षों से जो साधना की है, वह अत्यंत अद्भुत और प्रेरणादायक है। संघ ने समाज में एक नई सोच विकसित करने का कार्य किया है। आदरणीय डॉ. हेडगेवार साहब, गुरूजी और अब राष्ट्रऋषि डॉ. मोहन भागवत जी तक के नेतृत्व में सभी स्वयं सेवकों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है, जिन्होंने भारतीय संस्कृति और संप्रभुता को सर्वोच्च मानते हुए ’इदम् राष्ट्राय इम न मम् के सिद्धांत को सामने रखा है। वे भारत को महाभारत से नहीं, बल्कि महान भारत बनाने की दिशा में अग्रसर किया।

गुरु तेग बहादुर जी सिख धर्म के नौवें गुरु थे, जिन्हें हिंद की चादर कहा जाता है। उन्होंने न केवल सिख समुदाय बल्कि सम्पूर्ण मानवता की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। उनके बलिदान ने यह सिद्ध किया कि धर्म और सत्य के मार्ग पर चलने वालों को किसी भी प्रकार के अन्याय और अत्याचार से डरना नहीं चाहिए।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा, गुरु तेग बहादुर जी का बलिदान केवल एक धर्म की रक्षा के लिए नहीं था, बल्कि सम्पूर्ण मानवता के लिए था। उन्होंने अत्याचार के विरुद्ध अपनी आवाज उठाई और निर्भीकता से अपना बलिदान दिया। वे सच्चे मानवता प्रेमी और सहिष्णुता के प्रतीक थे।

आज जब समाज विभिन्न चुनौतियों से जूझ रहा है, तब डॉ. हेडगेवार जी और गुरु तेग बहादुर जी के जीवन से हमें प्रेरणा लेने की आवश्यकता है। हमें संगठित होकर देश के विकास और समाज में प्रेम, शांति और समरसता बनाए रखने के लिए कार्य करना होगा।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने सभी से आग्रह किया कि, आइए, हम इन महापुरुषों के विचारों को आत्मसात करें और उनके दिखाए मार्ग पर चलकर समाज और राष्ट्र की सेवा करें।

इस पावन अवसर पर परमार्थ निकेतन गंगा जी की आरती महापुरूषों को समर्पित कर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

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