ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी से भेंट कर उन्हें आगामी महाकुम्भ मेला, प्रयागराज हेतु आमंत्रित किया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने बताया कि माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी से दिव्य भेंटवार्ता हुई। वे राष्ट्र की एक दिव्य विभूति हैं। दिव्यता, शान्ति, सौम्यता व पवित्रता की प्रतिमूर्ति हैं। वास्तव में वे भारत की शान और स्वाभिमान हैं। उनका पूरा जीवन साधनामय समर्पित जीवन है। माननीय राष्ट्रपति जी ने अपनी 23 अप्रैल, 2024 की परमार्थ निकेतन गंगा आरती की स्मृतियों का स्मरण करते हुये कहा कि वे दिव्य अनुभूतियाँ अद्भुत शान्ति प्रदान करने वाली है। उत्तराखंड़ की धरती, संस्कृति, संतों का सान्निध्य और माँ गंगा की दिव्यता अवर्णनीय है।
स्वामी जी ने माननीय राष्ट्रपति जी को महाकुम्भ मेला प्रयागराज में आमंत्रित करते हुये कहा कि कुम्भ मेला भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह मेला न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति की विविधता में एकता का उत्कृष्ट प्रतीक भी है। कुम्भ मेला भारतीय संस्कृति की गहराई और उसकी प्राचीन परंपराओं को आत्मसात करने का अवसर हमें प्रदान करता है।
स्वामी जी ने बताया कि परमार्थ निकेतन द्वारा प्रयागराज में आगामी महाकुंभ मेले के दौरान परमार्थ त्रिवेणी पुष्प, प्रयागराज जो कि एक प्रतिष्ठित तीर्थ क्षेत्र हैं। वहां पर न केवल पवित्र नदियों का संगम है बल्कि यह पर्यटन व तीर्थाटन का भी प्रमुख केन्द्र है। यह स्थल हमारी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत का अद्भुत केन्द्र है। इसकी वैश्विक स्तर पर शांति के प्रतीक के रूप में उभरने की अपार क्षमतायें हैं। जिस तरह पश्चिम में डिज्नी वर्ल्ड अपने मनमोहक आकर्षण से आगंतुकों को मोहित करता है, उसी तरह हमारा लक्ष्य परमार्थ त्रिवेणी पुष्प में एक डिवाइन वर्ल्ड बनाना है, जो कि आध्यात्मिक साधना और शांति की खोज करने वाले साधकों को प्रेरणा प्रदान करेगा।
परमार्थ त्रिवेणी पुष्प पवित्र तीर्थ स्थल में भगवान जगन्नाथ मन्दिर, अयोध्या में निर्मित श्री राम मंदिर की प्रतिकृति स्वरूप श्री राम मन्दिर, रामेश्वरम, केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री आदि मन्दिरों की प्रतिकृति के अलावा आदिगुरू शंकराचार्य जी द्वारा स्थापित चारों धामों के प्रतिरूपों को निर्मित किया जा रहा है।
स्वामी जी ने माननीय राष्ट्रपति जी को बताया कि स्वामी रामकृष्ण परमहंस जी के अद्वितीय शिष्य स्वामी विवेकानन्द जी जिन्होंने 1893 में अमेरिका जाकर सनातन संस्कृति का ध्वज फहराया, 12 जनवरी, 2025 को उनके जन्मदिवस ‘‘युवा दिवस’’ के अवसर पर कुम्भ मेला प्रयागराज में उनकी दिव्य-भव्य प्रतिमा का अनावरण के साथ उनके द्वारा दिये गये दिव्य संदेश ’’उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत’’का संदेश भी प्रसारित होगा। साथ ही भारत माता की भव्य व दिव्य प्रतिमा, मीरा बाई की नृत्य करती हुई भक्ति में मग्न प्रतिमा तथा भगवान जगन्नाथ मन्दिर में प्राणप्रतिष्ठा, प्रथम पूजन व संगम आरती में सहभाग हेतु आमंत्रित किया।
उन्होंने कहा कि यह सब इसलिये किया जा रहा है ताकि सभी राष्ट्र प्रथम का भाव लेकर जीवन में आगे बढ़ते रहे। हम सभी देवभक्ति अपनी-अपनी करें परन्तु राष्ट्र भक्ति सब मिलकर करें। यहां से सभी को भक्ति व शक्ति का समन्वय तथा सिद्धि व सफलता का संकल्प का संदेश प्राप्त हो। श्रद्धालुओं को भारत दर्शन का स्वरूप एक ही स्थान पर प्राप्त हो सके।
स्वामी जी ने कहा कि भारतीय संस्कृति केवल एक जीवन शैली नहीं है, बल्कि यह एक संपूर्ण दर्शन है जो सम्पूर्ण मानवता को शांति, प्रेम और करुणा का संदेश देती है। भारतीय संस्कृति की जड़ें बहुत गहरी हैं जो हमें एकता और अखंडता की शिक्षा देती है।
स्वामी जी ने कहा कि वर्तमान समय में नारियों के खिलाफ बढ़ते अपराधों ने हमें यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि हम अपने समाज को कैसे सुरक्षित बना सकते हैं। हमें यह समझना होगा कि महिला सुरक्षा केवल कानून और व्यवस्था का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन की भी मांग करता है। अब समय आ गया कि समाज के प्रत्येक व्यक्ति को नारियों की सुरक्षा के प्रति संवेदनशील बनना होगा और उनके प्रति हो रही हिंसा या उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठानी होगी।
स्वामी जी ने कहा कि नारियों को उनके अधिकारों और अवसरों के प्रति जागरूक करना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना आज की सबसे बड़ी जरूरत है और यह केवल महिलाओं के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए जरूरी है क्योंकि जब महिलाएं सशक्त होगी तो वे अपने परिवार, समुदाय और देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती हैं।
आज हमें एक ऐसा समाज बनाने की जरूरत है जहां पर नारियां सुरक्षित, सशक्त और सम्मानित महसूस कर सके। आइए, हम सभी मिलकर इस दिशा में कदम बढ़ाएं और एक सशक्त और सुरक्षित समाज का निर्माण करें। स्वामी जी ने कहा कि हम सभी एक हैं और हमें मिलकर एक बेहतर समाज और पर्यावरण का निर्माण करना है।