-स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी से भेंट कर दिव्य आशीर्वाद प्राप्त किया
-विश्व शान्ति हेतु समर्पित की आहुतियाँ
-गंगा तट पर गूंजीं भक्ति की स्वर लहरियाँ
-शिव कैलाशों के वासी, धौली धारों के राजा, शंकर संकट हरना, मेरा भोला है भंडारी, करता नंदी की सवारी, भोले और महादेवा आदि भजनों से किया मंत्रमुग्ध
ऋषिकेश। सुप्रसिद्ध भक्ति संगीत गायक श्री हंसराज रघुवंशी जी अपनी जीवनसंगिनी श्रीमती कोमल सकलानी, रघुवंशी जी के साथ परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश के दर्शनार्थ पधारे। आध्यात्मिकता, शांति, भक्ति और प्रकृति से ओत-प्रोत इस दिव्य स्थल पर पहुँचते ही उन्होंने आध्यात्मिक प्रमुख, परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष, स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी से भेंट कर आशीर्वाद प्राप्त किया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने उन्हें रुद्राक्ष का पौधा भेंट कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया और कहा, जैसे रुद्राक्ष आध्यात्मिक उर्जा और महाकाल का प्रतीक है,वैसे ही आप अपनी भक्ति भरी वाणी से जनमानस में सकारात्मक ऊर्जा का संचार कर रहे हैं। आज की युवा पीढ़ी को संगीत के माध्यम से आध्यात्मिकता से जोड़ना एक अद्भुत सेवा है।
स्वामी जी ने कहा कि हंसराज जी की भक्ति संगीत शैली न केवल मन को शांत करती है, बल्कि आत्मा को जागृत करती है। आज जब युवा वर्ग आधुनिकता की अंधी दौड़ में उलझा हुआ है, ऐसे में आपका भक्ति संगीत एक उजास की किरण है, जो युवाओं को धर्म, संस्कृति और जीवन मूल्यों की ओर आकर्षित करता है।
हंसराज जी जैसे कलाकार अपने सुरों से दिलों को जोड़ते हैं। जहाँ सुर, संकल्प और संस्कार एक हो जाएँ, वहाँ ईश्वर स्वयं प्रकट होते हैं। हंसराज जी जैसे कलाकारों की यात्रा केवल संगीत की नहीं, बल्कि संस्कृति और सेवा की यात्रा है। यही सच्चा परमार्थ है।
गायक श्री हंसराज रघुवंशी जी अपनी धर्मपत्नी श्रीमती श्रीमती कोमल सकलानी रघुवंशी जी साथ विश्व प्रसिद्ध परमार्थ गंगा आरती में सहभागी बने। परमार्थ गंगा के तट पर संध्या की स्वर्णिम बेला में जब दीपों की रौशनी में श्री हंसराज जी के भजनों की ध्वनि गूंज, उन्होंने अपनी मधुर वाणी में शिव कैलाशों के वासी, धौली धारों के राजा, शंकर संकट हरना, प्रसिद्ध भजनों को सस्वर गाकर पूरे वातावरण को शिवमय बना दिया।
उनकी स्वर लहरियों से पूरा गंगा तट भक्तिरस में डूब गया। उपस्थित श्रद्धालुओं, भक्तों और देश-विदेश से आये पर्यटकों ने मंत्रमुग्ध होकर उनकी प्रस्तुति का आनंद लिया। गंगा जी का तट, पूरा वातावरण दिव्य और भावमय हो गया।
श्री हंसराज रघुवंशी जी ने कहा, परमार्थ निकेतन आकर जो आत्मिक शांति मिली, वह शब्दों में बयान नहीं की जा सकती। यह स्थान केवल एक आश्रम नहीं, बल्कि अध्यात्म और संस्कृति का जीवंत केंद्र है। पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज के दर्शन और मार्गदर्शन उनकी आध्यात्मिक चेतना, पर्यावरण के प्रति प्रेम से मैं अभिभूत हो गया। उन्होंने यह भी कहा कि गंगा जी की आरती में सम्मिलित होना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। इस भूमि पर आकर लगता है मानो आत्मा की यात्रा को गंतव्य मिल गया हो। स्वामी जी से मिलकर लगा कि जैसे साक्षात संत परंपरा का दिव्य रूप सामने हो। यहाँ आकर मन शांत हो गया और जीवन के उद्देश्य को और गहराई से समझने का अवसर मिला।परमार्थ निकेतन परिवार की ओर से गायक दंपति का वेदमंत्रों से परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों नेे आत्मीय स्वागत किया गया। उन्हें परमार्थ की ओर से स्वामी जी ने हरीत आशीर्वाद स्वरूप एक रुद्राक्ष का पौधा भेंट किया गया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि जैसे आपके भजनों के माध्यम से भक्ति की गंगा बहती है वैसे ही पर्यावरण संरक्षण की गंगा भी बहती रहे।

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