-परमार्थ गंगा आरती श्री गिरिधर मालवीय जी की आत्मा की शान्ति के लिये की समर्पित
-श्री गिरिधर मालवीय जी की देशभक्ति और नवाचार की विरासत का सम्मान
ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदनन्द सरस्वती जी ने महामना पं० मदनमोहन मालवीय जी के पौत्र न्यायमूर्ति श्री गिरिधर मालवीय जी कुलाधिपति काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के निधन पर गहरा दुःख व्यक्त किया। आज की परमार्थ निकेतन गंगा आरती उनकी आत्मा की शान्ति के लिये समर्पित की। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि जो दूसरों के लिये जीते हैं उनका स्मरण होता है और जो अपने लिये जीते हैं उनका मरण होता है। इतिहास वे लोग नहीं लिखते जो लकीरों पर चलते हैं बल्कि वे लोग लिखते हैं जो देखते है लकीरों के बीच में क्या है, ऐसे ही नई लकीरों का निर्माण करते हुये हमारे श्री गिरिधर मालवीय जी ने इतिहास लिख दिया।
स्वामी जी ने कहा कि श्री गिरिधर मालवीय जी एक ऐसे महापुरूष थे जिनके परिवार ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय जैसा विश्व विख्यात पहला और अद्भुत विश्व विद्यालय दिया और भारत में भारतीय संस्कृति व सनातन की ज्योति को जलाये रखा।
श्री गिरिधर मालवीय जी ने पीढ़ियों के अंतराल को नई पहचान दी है, नवाचार की भावना के साथ आधुनिकता को अपनाते हुए। उनके असाधारण नेतृत्व में, माँ गंगा के अविरलता के लिए संकल्पबद्ध कार्यकर्ताओं की एक अविरल टोली खड़ी हुई है, जो इस पवित्र उद्देश्य के प्रति उनकी अडिग प्रतिबद्धता को दर्शाती है। गंगा की अविरलता को बढ़ावा देने के उनके प्रयासों ने न केवल हमारे सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित किया है, बल्कि अनगिनत व्यक्तियों को इस पवित्र मिशन में शामिल होने के लिए प्रेरित किया है। पर्यावरण और सांस्कृतिक संरक्षण के प्रति उनकी सतत लगन उनके सेवा और समर्पण के नमन हैं।
अपने जीवन के उपक्रमों के माध्यम से, श्री मालवीय जी युवाओं के लिए एक मार्गदर्शक प्रकाश बन गए हैं और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत बने रहेंगे। वे वर्तमान समय में रणनीतिक शुचिता के दीप्तिमान प्रकाश स्तंभ थे। एक सच्चे नेतृत्व और सांस्कृतिक और आध्यात्मिक आदर्शों के प्रति प्रतिबद्धता का उदाहरण हैं।
श्री गिरिधर मालवीय जी की अद्भुत क्षमता सामान्य व्यक्ति से आत्मीयता स्थापित करने की है, जिसे हम कभी नहीं भूलेंगे। वे भारत माँ के सच्चे पुत्र हैं।
श्री मालवीय जी ने परंपरा और आधुनिकता के बीच के अंतर को पाटने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने अतीत के मूल्य और ज्ञान को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।
आज की दुनिया में, जहां अखंडता और नैतिक नेतृत्व महत्वपूर्ण हैं, श्री मालवीय जी आशा और प्रेरणा का एक प्रकाशस्तंभ बनकर उभरे हैं। उनकी रणनीतिक दूरदर्शिता और नैतिक सिद्धांतों के प्रति अडिग प्रतिबद्धता ने दूसरों के लिए एक मानक स्थापित किया है। उनके प्रयासों ने न केवल समुदाय को उन्नत किया है, बल्कि युवाओं को अपने सभी प्रयासों में उत्कृष्टता और अखंडता के लिए प्रेरित किया है।
अपने विभिन्न पहलों के माध्यम से, श्री मालवीय जी युवा पीढ़ियों के लिए एक रोल मॉडल बन गए हैं। उनके जीवन का कार्य उन्हें उनकी सांस्कृतिक धरोहर में निहित रहने और साथ ही आधुनिकता के अवसरों को अपनाने के लिए प्रेरित करता है। इस प्रकार, उन्होंने सुनिश्चित किया है कि हमारे पूर्वजों की समृद्ध विरासत न केवल संरक्षित है, बल्कि समकालीन जरूरतों को पूरा करने के लिए विकसित और उन्नत भी की गई है।
श्री मालवीय जी की सबसे उल्लेखनीय गुणों में से एक उनकी हर वर्ग के लोगों के साथ गहरी, सार्थक संबंध स्थापित करने की क्षमता है। उनकी सहानुभूति और दूसरों के प्रति सच्ची चिंता ने उन्हें समुदाय में एक प्रिय व्यक्ति बना दिया है। सामान्य व्यक्तियों से आत्मीयता स्थापित कर लेने की उनकी अद्वितीय क्षमता ने उनके चारों ओर के लोगों पर एक गहरा प्रभाव डाला है। सहानुभूति और संबंध की यह विरासत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित और मार्गदर्शन करती रहेगी।
श्री मालवीय जी का जीवन यह दर्शाता है कि उद्देश्य, अखंडता और सहानुभूति के साथ कैसे जिया जाए। उनके योगदानों पर विचार करते हुए, आइए हम उनके आदर्शों और सिद्धांतों को कायम रखते हुए उनके विरासत को अपने जीवन में आगे बढ़ाने का संकल्प लेें।