-भारत के इतिहास में कभी भी नही मिला जाति-धर्म को महत्त्व-जे.नन्द कुमार

हरिद्वार। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पश्चिम उत्तर प्रदेश क्षेत्र का संघ शिक्षा वर्ग द्वितीय वर्ष (सामान्य) का भव्य समापन सरस्वती विद्या मंदिर सेक्टर-2, रानीपुर, बीएचएल, हरिद्वार में हुआ। इस अवसर पर प्रशिक्षक स्वयंसेवकों ने विभिन्न योग, व्यायाम, नियुद्ध, दंड, स्किट, घोष वादन का प्रदर्शन किया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए शंकराचार्य स्वामी राजराजेश्वराश्रम महाराज ने कहा कि इस देश में बहुत सारे प्रकार के विद्यालय, बहुत सारे विश्वविद्यालय है। लेकिन आज जिस शिक्षा की आवश्यकता है वह आर्ट की नही, ह्रदय परिवर्तन करने वाला विश्वविद्यालय है। हमारा सौभाग्य है कि हम सब उसके छात्र है। यह कोई आंदोलन नही, कोई दल नही, बल्कि परिवार है। हमारे देश धर्म पर समय-समय पर आक्रमण हुए, लेकिन कोई भी हमारा बल बांका नही कर पाया उसका मुख्य कारण परिवार था। हम सँयुक्त परिवारों में रहा करते थे। संघ वही परिवार है जो सभी को एक परिवार के रूप में जोड़ता है। उन्होंने कहा कि जैसे कभी श्रीराम के सहयोगी वानर और भालू थे, श्री कृष्ण के साथी ग्वाल बाल थे, उसी तरह स्वयंसेवक आज इस राष्ट्रयज्ञ में डॉ हेडगेवार का सहयोगी है। देश के पास पूर्णरूप से इस राष्ट्रयज्ञ को समर्पित प्रचारकों का इतिहास है।

इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकरिणी सदस्य व प्रज्ञा प्रवाह के राष्ट्रीय सयोजक जे.नन्द कुमार ने कहा कि जिस देश की सँस्कृति को नष्ट करना हो उसके इतिहास में बिष डाल दिया जाता है, इतिहास कौन लिखता था, वो आक्रंन्ता थे, तो क्यूँ वह आपका इतिहास लिखते, उन्होंने वही लिखा जिसमें उनकी बड़ाई हो, उन्होंने इतिहास को 3 काल खंड में बांटा, प्राचीन, मध्यकालीन इतिहास, आधुनिक इतिहास, यानी उन्होंने साबित करने का प्रयास किया कि पहले भारत में कुछ नहीं था, भारत में जो कुछ भी आया वो आक्रंन्ताओं या मध्य काल से शुरू हुआ। उन्होंने कहा, वो कहते हैं भारत कभी एक नहीं था, भारत कभी एक राष्ट्र नहीं रहा, उन्होंने कहा भारत में सबसे ज्यादा समय कई सौ वर्ष तक राज करने वाले चोल वंश और अहोम राजवंश को इतिहास से गायब कर दिया गया। उसी तरह उन्होंने स्वयम शिव रूप माने जाने छत्रपति शिवाजी को गौण करने के लिए जो हमें बताया पढ़ाया गया है वह मैनिपुल्टेड इतिहास है। आपको क्यूँ 348 साल पहले इतिहास में सन्यासी हिन्दूराज स्वराज के बारे में बताया जाता। इन्होंने हिंदुओं को बांटने के लिए उसे जातियों में तोड़ने का काम किया, भारत के इतिहास में चार चीजें हमेशा से प्रभाव रहा हैं, दो पुस्तकें हैं और दो व्यक्ति, रामायण और महाभारत जिसे हमेशा से हिन्दू जनमानस सुनता आया है, पर कभी ये नहीं बताया जाता कि रामायण और महाभारत के रचयिता कौन थे, भारत में पहले मातृपक्ष से व्यक्ति की पहचान होती थी, भारत को सर्वप्रथम एकता के सूत्र में बांधने वाले चंदगुप्त मौर्य सामान्य घुमन्तु जाति से आते थे। उन्होंने कहा भारत मे कभी भी जाति धर्म के नाम पर महत्त्वा नही मिली यहां तो कर्मो के आधार में महत्त्वा मिली है। शिवाजी के जन्म से पहले ही महाराष्ट्र में ऐसी चर्चा थी कि हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए किसी का जन्म होने वाला है। उन्होंने अपने जन्म को सार्थक भी किया। शिवाजी ने भारत के भविष्य को रूप दिया।

हिंदुत्व को लेकर सौराष्ट्र की परिकल्पा के प्रेरक है शिवाजी। छत्रपति शिवाजी का स्मरण कर हम आगे बढ़े। मंचासीन अतिथियों का परिचय देते हुए वर्ग कार्यवाह विजय कुमार ने कराया। इस मौके पर निरंजनी पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी, साध्वी प्राची, स्वामी रविदेव शास्त्री, निर्मल अखाड़े के स्वामी जसविंदर सिंह, क्षेत्र प्रचारक महेंद्र जी, पूर्व केंद्रीय मंत्री व सांसद रमेश पोखरियाल निशंक, उप्र के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व सासंद लक्ष्मीकांत वाजपेयी, उप्र के सह संगठन मंत्री कमलेश्वर जी, प्रांत प्रचारक युद्ववीर सिंह, कार्यक्रम में क्षेत्र प्रचार प्रमुख व वर्ग पालक पदमजी, सर्वाधिकारी दिनेश सेमवाल, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक, संगठन मंत्री अजेय कुमार, आईपीएस, विधायक मुन्ना सिंह चौहान, प्रदीप बत्रा, आदेश चौहान, पूर्व विधायक कुँवर प्रणव चैंपियन, संजय गुप्ता आदि उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के कई मंत्री, विधायक, दर्जाधारी व प्रमुख नेता मौजूद थे।

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