RISHIKESH PARMARTH NIKETAN परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और डिवाइन शक्ति फाउंडेशन की अध्यक्ष साध्वी भगवती सरस्वती जी, कनाडा से आयी विख्यात चक्रहीलिंग विशेषज्ञ तारा मनियार, कोलकता से आयी श्रीमती अर्चना सराफ जी सहित विश्व के 10 से अधिक देशों से आये योग जिज्ञासुओं ने परमार्थ विद्या मन्दिर में मनाये जा रहे दीपावली महोत्सव के भव्य आयोजन में सहभाग किया। RISHIKESH PARMARTH NIKETAN
- परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, डिवाइन शक्ति फाउंडेशन की अध्यक्ष साध्वी भगवती सरस्वती जी और विश्व के 10 से अधिक देशों से आये योग जिज्ञासुओं और अन्य विशिष्ट अतिथियों ने किया सहभाग
- परमार्थ विद्या मन्दिर के बच्चों ने पुराने सामानों का पुनः उपयोग करके दीये, तोरण, झूमर, झालर और साज-सज्जा की अन्य वस्तुएं बनाईं। उनकी रचनात्मकता और पर्यावरण के प्रति यह संवेदनशीलता अद्भुत
- पर्यावरण संरक्षण के साथ परंपराओं के संरक्षण का दिया संदेेश
RISHIKESH PARMARTH NIKETAN इस अवसर पर परमार्थ विद्या मन्दिर के छात्र-छात्राओं ने रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किये। सांस्कृतिक कार्यक्रमों को देखकर सभी मंत्रमुग्ध हो गये। सभी ने परमार्थ विद्या मन्दिर के बच्चों और शिक्षकों के साथ दीपावली महोत्सव मनाया। स्वामी जी एवं साध्वी जी ने सभी शिक्षकों और बच्चों को दीपावली के उपहार भेंट किये। दीपावली महोत्सव के इस आयोजन में सभी ने मिलकर हर्षाेल्लास के साथ रंगारंग प्रस्तुतियों नृत्य, गीत और नाटक का आनंद लिया। RISHIKESH PARMARTH NIKETAN
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने सभी को दीपावली की शुभकामनायें देते हुये सुरक्षित, प्रदूषण मुक्त और एकता के साथ दीपावली मनाने का संदेश दिया। उन्होंने कहा, ‘दीपावली का पर्व हमें एकता और सद्भाव का संदेश देता है। स्वामी जी दीपावली के अवसर पर दीप जलाकर उत्सव मनाने का संदेश देते हुये कहा कि जब दीपक जलता है, तो यह अंधकार को दूर करता है और वातावरण को उज्जवल करता है। उसी प्रकार, ज्ञान और शिक्षा भी अज्ञानता के अंधकार को दूर करके जीवन को प्रकाशित करते हैं।
दीपावली के अवसर पर दीप प्रज्वलित करके हम न केवल अपने घरों को प्रकाशित करते हैं, बल्कि उन दीये बनाने वालों के जीवन में भी आशा की किरणें भरते हैं। जब हम मिट्टी के दीये जलाते हैं, तो यह उन कारीगरों के अथक परिश्रम और उनकी कला का सम्मान होता है। यह न केवल उनके काम को प्रोत्साहित करता है, बल्कि उनके जीवन में आर्थिक और सामाजिक स्थिरता भी लाता है।
हमारे घरों में दीयों का प्रकाश उन कारीगरों के लिए उम्मीद और खुशी का प्रतीक बनता है। यह हमें हमारी जड़ों से जोड़ता है और हमारी परंपराओं की अहमियत को समझने का अवसर देता है। इस प्रकार, दीपावली का यह पर्व न केवल हमारी आत्मा और घरों को आलोकित करता है, बल्कि समाज के उन लोगों के जीवन में भी खुशियाँ भरता है, जिनके बिना यह पर्व अधूरा है।
दीयों की यह ज्योति सभी जीवन में समृद्धि, शांति, और प्रेम का प्रकाश लाये। साथ ही उन कारीगरों के जीवन में नई ऊर्जा और उत्साह का संचार हो। इस दीपावली पर, आइए हम सब मिलकर दीये जलाएं और दीये बनाने वालों के चेहरे पर भी मुस्कान लाएं। साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि दीपावली का पर्व हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है। यह पर्व हमें अपने अंदर की नकारात्मकता को दूर करके सकारात्मकता को अपनाने की प्रेरणा देता है। इस त्योहार का वास्तविक अर्थ ही है आत्मशुद्धि और सामाजिक समरसता आप सभी अपने विद्यालय, परिवार व समाज में समरसता बनाये रखे।
साध्वी जी ने बच्चों को बताया कि भगवान श्रीराम 14 वर्षों के वनवास और रावण पर विजय प्राप्त करने के बाद अयोध्या लौटे थे। अयोध्यावासियों ने उनके आगमन की खुशी में दीप जलाए और दीपावली मनायी। उन्होंने सभी बच्चों को भगवान श्रीराम की तरह मर्यादा युक्त जीवन जीने का संकल्प कराया और दीपक के प्रकाश की तरह आत्मप्रकाश को जागृत करने का संदेश दिया। दीपावली महोत्सव के दौरान विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, जिसमें बच्चों और शिक्षकों ने भाग लिया। इन कार्यक्रमों ने सभी को आनंद और उत्साह से भर दिया और आने वाले दीपावली के पर्व को और भी खास बना दिया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और साध्वी भगवती सरस्वती जी के पावन सान्निध्य और आशीर्वाद ने इस आयोजन को और भी आनंददायक व गरिमामय बना दिया। इस अवसर पर गंगा नन्दिनी, आचार्य दीपक शर्मा, श्रीमती पूनम, भारती, उपासना, आशा गैरोला, जिमी, करूणा, भगत सिंह, टिफनी, रोहन, शिवानी और विश्व के कई देशों से आये योग जिज्ञासुओं, योगाचार्यो आदि ने सहभाग किया। आज विश्व कलाकार दिवस पर सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करने वाले नन्हे-नन्हें बच्चों को उपहार देकर सम्मानित किया और इस उत्कृष्ट कार्यक्रम के लिये सभी शिक्षक-शिक्षिकाओं, ऋषिकुमारों और सभी अगंतुकों को धन्यवाद दिया।