*✨पूज्य दलाई लामा जी के 90वें जन्मदिवस पर मैक्लॉडगंज में पूरे सप्ताह आध्यात्मिक उत्सव*

*🌺स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और साध्वी भगवती सरस्वती जी की गरिमामयी उपस्थिति*

*✨हिमालय की हरित भेंट रूद्राक्ष का पौधा और इलायची की माला पहनाकर अवतरण दिवस की शुभकामनायें दी*

धर्मशाला, हिमाचल प्रदेश। बौद्ध धर्म के परम पावन आध्यात्मिक गुरु, करुणा व शांति के पुंज, 14वें दलाई लामा जी के 90वें जन्मदिवस के पावन अवसर पर मैक्लॉडगंज, धर्मशाला में सप्ताहव्यापी भव्य समारोहों की शुरुआत हो चुकी है। यह उत्सव सम्पूर्ण मानवता के लिए एक प्रेरणास्रोत है। इस पावन अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और साध्वी भगवती सरस्वती जी की गरिममायी उपस्थिति रही।

पूरे सप्ताह चलने वाले इन आयोजनों में पारंपरिक अनुष्ठानों, प्रार्थना सभाओं, सांस्कृतिक प्रस्तुतियों एवं सार्वजनिक कार्यक्रमों की श्रृंखला आयोजित की जा रही है, जिनके माध्यम से उनके शांति, अहिंसा और करुणा के संदेश को जन-जन तक पहुँचाने का प्रयास किया जा रहा है।

इस शुभ अवसर पर दुनिया भर से हजारों अनुयायी, श्रद्धालु, बौद्ध भिक्षु और सामाजिक कार्यकर्ता मैक्लॉडगंज पहुँचे हैं। तिब्बती समुदाय के प्रतिनिधियों के साथ-साथ भारत व विदेशों के भी अनेक आध्यात्मिक, राजनयिक और सांस्कृतिक प्रतिनिधि इस आयोजन में भाग ले रहे हैं। धर्मशाला इस समय आध्यात्मिक ऊर्जा और सांस्कृतिक उत्सव का जीवंत केंद्र बन चुका है।

पूज्य दलाई लामा जी का सम्पूर्ण जीवन करुणा, मैत्री और अहिंसा की भावना को समर्पित रहा है। वे न केवल तिब्बती बौद्ध धर्म के सर्वोच्च नेता हैं, बल्कि वैश्विक स्तर पर मानवता के प्रतीक हैं। उनका यह संदेश कि हम सभी एक मानव परिवार के सदस्य हैं आज के समय में विशेष रूप से प्रासंगिक है, जब विश्व असहिष्णुता, संघर्ष और विभाजन की चुनौतियों से जूझ रहा है।

इस अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष, स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने शुभकामनाएं देते हुए कहा परम पवन दलाई लामा जी का जीवन समर्पण, सेवा और शांति का आदर्श है। वे समस्त विश्व के लिए एक ऐसे दीपस्तंभ हैं जो अज्ञान और हिंसा के अंधकार में प्रेम, करुणा और जागरूकता की ज्योति जलाते हैं। भारत की भूमि पर उनका सान्निध्य हम सभी के लिए एक दिव्य सौभाग्य है।

हम इस धरती पर हैं तो शांति (Peace) के लिए हैं, न कि टुकड़ों (Pieces) में बाँटने के लिए इस दुनिया को बेहतर (Better) बनाने के लिए हैं, न कि कड़वाहट (Bitter) फैलाने के लिए। हम अपने चारों ओर और पूरी दुनिया में युद्ध को देख रहे हैं, ऐसे समय में परम पावन दलाई लामा जी का शांति और करुणा का संदेश अत्यंत आवश्यक है। उनका यह संदेश केवल तिब्बत या भारत के लिए नहीं, बल्कि पूरे विश्व के लिए है। यही संदेश हमारे देश के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का भी है।

पूरे विश्व का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि हिंसा नहीं, अहिंसा ही एकमात्र रास्ता है, युद्ध नहीं, प्रेम (वार नहीं प्यार) में ही सब समस्याओं का समाधान निहित है। स्वामी जी ने कहा कि पूजा-पद्धति अपनी-अपनी हो सकती है, परंतु सम्मान सबका होना चाहिए, यही जीवन जीने का मार्ग है।

स्वामी जी ने कहा कि पूरा भारत परम पावन दलाई लामा जी को प्यार करता है। भारत में जो भी आया, भारत ने उसे दिल से अपनाया, गले लगाया और सम्मान दिया, यही भारत की संस्कृति है।

साध्वी जी ने कहा कि परम पावन दलाई लामा जी ने पूरे विश्व को यह संदेश दिया है कि विश्व की जितनी भी समस्याएँ हैं, उन सभी का समाधान शांति में निहित है। उन्होंने कहा We are the solution दुनिया में जितनी भी समस्याएँ हैं, उनका समाधान हमारे पास ही है।

पूज्य दलाई लामा जी ने अपने जीवन के नौ दशक मानवता की सेवा, पर्यावरण की रक्षा, धर्मों के बीच संवाद और युवाओं में नैतिक मूल्यों के प्रचार में समर्पित किए हैं। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि सच्चा धर्म करुणा है, और सच्चा आध्यात्मिक मार्ग वह है जो दूसरों के दुःख को अपना मानकर उसे दूर करने के लिए प्रयासरत रहता है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और साध्वी भगवती सरस्वती जी ने हिमालय की हरित भेंट रूद्राक्ष का पौधा भेंट कर परम पावन दलाई लामा जी को उनके 90 वें जन्मदिवस की शुभकामनायें भेंट की। इस अवसर पर आचार्य लोकेश मुनि जी, तिब्बती समुदाय की महान विभूतियाँ, बौद्ध धर्म के पूज्य लामा, हिन्दू धर्म, जैन धर्म, सिख धर्म, यहूदी धर्म और यहूदी धर्म की महान विभूतियों ने सहभाग किया।

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