*भारत का इतिहास साहस, वीरता व मातृभूमि के प्रति निष्ठा का इतिहास*

ऋषिकेश। श्रीनगर, जम्मू-कश्मीर डल झील के किनारे शेरे कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में आयोजित ’’सैनिक को सलाम’’ समारोह में परमार्थ निकेतन में अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने मुख्य अतिथि के रूप में विशेष रूप से सहभाग किया तथा उत्तराखंड के माननीय राज्यपाल श्री गुरमीत सिंह जी ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से अपना संदेश दिया। इस अवसर पर प्रोफेसर डॉ पवन सिन्हा जी, संस्थापक पावन चिंतन धारा आश्रम, श्री मकबूल मलिक जी, मेजर जनरल, श्री असवाल जी, श्री राजन चिब्बर जी, कर्नल तेजेंद्र पाल त्यागी जी, श्री राजेश कुमार चिब्बर जी, निदेशक जम्मू-कश्मीर बैंक, श्रीमती शिल्पा महाजन जी, श्री राजीव जॉली खोसला जी और अन्य विशिष्ट विभूतियों ने सहभाग किया। 

वीरता को सलाम कार्यक्रम का शुभारम्भ मातृ शक्ति के द्वारा शंखध्वनि के शंखनाद से हुआ। शेरे कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर’ भारत माता की जय और वंदे मातरम् से गंूज उठा।

कार्यक्रम में सहभाग हेतु देश के विभिन्न राज्यों से आयी मातृ शक्ति के लिये कश्मीर की धरती पर वटसावित्री पूर्णिमा के अवसर पर पूजन के लिये श्री मकबूल मलिक जी ने पूजन की सारी व्यवस्थायें की और 50 से अधिक लोगों को अपने घर पर ठहराया और दिखा दिया कि उनके दिल में सभी के लिये प्रेम हैं। उनका पूरा परिवार बहुत खुश था। उन्होंने कहा कि हम कट्टर मुसलमान हैं परन्तु हम मानते है कि इमान अपना, धर्म अपना परन्तु सम्मान सभी का करो। उन्होंने कहा कि हम सब एक हैं, एक होकर रहेंगे और अब कश्मीर से एक नई शुरूआत होगी जिससे कश्मीर की तकदीर व तस्वीर दोनों ही बदलेगी।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि अब दुनिया को युद्ध नहीं योग चाहिये। पत्थर बहुत उछाले यारों अब दुनिया को प्यार करो; नफरत बहुत की है यारों अब मोहब्बत की शुरूआत करो क्योंकि नफरत से कभी किसी का नफा नहीं होता और मोहब्बत से कभी किसी का नुकसान नहीं होता इसलिये अब एक नई शुरूआत की जरूरत है। कश्मीर का जो आम आदमी है उसे पत्थरों से क्या काम, जिनको राजनीति करनी है उन्हें भी इस चुनाव ने दिखा दिया कि पत्थर मार कर नहीं बल्कि प्यार का इजहार करके कश्मीर की एक नई तस्वीर लिखी जा सकती है।

आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी जहां पर भी जाते हैं कुछ नया करके आते हैं। लक्षदीप गये तो वहां का लक्ष्य ही बदल दिया, मालदीव गये तो शक्ल भी बदल दी और अकल भी बदल दी। वे बदले की भावना से नहीं बल्कि बदलाव की भावना से काम करते हैं। उन्होंने शेरे कश्मीर के कन्वेंशन सेंटर जाकर कहा कि मैं कश्मीर के शेरों को जगाने आया हूँ, अब सभी को मिलकर वतन के लिये कार्य करने की जरूरत है। अब महाभारत की नहीं बल्कि महान भारत बनाने की जरूरत है। श्री मोदी जी ने कश्मीर आकर संदेश दिया कि कश्मीर सुरक्षित है, कश्मीर की फिज़ा बदली है और कश्मीर के साथ अब पूरे देश की फिज़ा बदलेगी। स्वामी जी ने कहा कि श्रीनगर की धरती शक्ति की धरती है परन्तु अब शान्ति की धरती बने और यह होगा क्योंकि इस समय भारत के पास श्री नरेन्द्र मोदी जी के रूप में विलक्षण व्यक्तित्व वाले प्रधानमंत्री हैं।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने ’वीरता को सलाम’ कार्यक्रम के माध्यम से भारत के सभी वीर जवानों की शाहदत को नमन करते हुये कहा कि सैनिक है तो देश सुरक्षित है, हम सभी सुरक्षित है और हमारी संस्कृति सुरक्षित है। हमारी सीमाओं पर सैनिक हैं तो हमारी सीमायें सुरक्षित है; सैनिक है तो हम हैं, हमारा अस्तित्व है आज हम सब सुरक्षित हैं व जिंदा है। हमारे सैनिक सियाचिन ग्लेशियर जैसे स्थानों पर रहकर अपने राष्ट्र को सुरक्षित रखते हैं। सैनिक अपनी जान को हथेली पर रखकर अपने देश की रक्षा करते हैं और भारत माता की रक्षा के लिये हसंते-हसंते अपनी जान कुर्बान कर देंते हैं।

स्वामी जी ने कहा कि सैनिक किसी संत से कम नहीं हैं। संत, संस्कृति की रक्षा करते हैं और सैनिक देश की सीमाओं की सुरक्षा करते हैं। इन जाबाज़ जवानों की वजह से हमारा तिरंगा लहरा रहा है और लहराते रहेगा। भारत के ऐसे बहादुर सपूतों के कारण भारत आज गर्व से खड़ा है।

स्वामी जी ने कहा कि भारत का इतिहास आदि काल से ही गौरवशाली एवं स्वर्णिम रहा है। भारत ने शान्ति की स्थापना के लिये अनेक क्रान्तियां की परन्तु कभी भी उसके लिये किसी पर आक्रमण नहीं किया परन्तु अगर किसी आक्रांता ने हम पर युद्ध थोपा तो उसका मुंह तोड जवाब भी दिया पर कभी भी युद्ध की पहल नहीं की, बुद्ध की संस्कृति वाले इस देश ने कभी भी युद्ध की पहल नहीं की।

स्वामी जी ने युद्ध में शहीद हुये जवानों की विधवाओं को सम्मानित करते हुये कहा कि अपनों की शहादत के पश्चात भी देश प्रेम का जज्बा रखने वाले हमारे सैनिकों के परिवारजन वास्तव में नमन करने योग्य है। धन्य है वे माता-पिता जिन्होंने भारत को ऐसे बहादुर सपूत दिये जिनके कारण भारत गौरवान्वित हो रहा है। नमन है ऐसी दिव्य संस्कृति को जहां के सैनिक रणभूमि में लड़ते हुये अपने तिरंगे की गरिमा को बनाये रखने के लिये हसंते-हसंते भारत माता की गोद में सदा के लिये सो जाते हैं।

ज्ञात हो कि इस ऐतिहासिक शेरे कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में जी-20 की बैठक व अंतरराष्ट्रीय योग दिवस, 2024 का दिव्य आयोजन किया गया था।  विशिष्ट अतिथियों के पावन सान्निध्य में कॉफी टेबल बुक का विमोचन किया गया तथा युद्ध में शहीद हुये जवानों की 50 वीरांगनाओं को रूद्राक्ष का पौधा देकर उनका सम्मान किया। अद्भुत कवि, संत, समाज सुधारक, मानवीय चेतना के अग्रदूत संत श्री कबीर दास की जयंती पर उनकी भक्ति की शक्ति को नमन किया।

इस अवसर पर एडवोकेट अंशु त्यागी जी, ऋचा भदौरिया जी, श्रीमती अंजू शर्मा जी, मोनिका गोयल जी, पूनम शर्मा जी, स्थानीय अधिकारी, वरिष्ठ विभूतियाँ और आर्मी के उच्चाधिकारी भी उपस्थित थे।

 

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