-प्रमाणित योग शिक्षक ग्रीषा ढ़ींगरा, योगाचार्य सचिन, योगाचार्य शुभेंदु शुक्ला ने स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी से भेंट कर लिया आशीर्वाद
-स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने योगभ्यास के साथ ध्यान, प्राणायाम, सात्विक आहार, मंत्र जप, स्वाध्याय, आत्मनिरिक्षण आदि को भी जीवन शैली का अंग बनाने हेतु किया प्रेरित
-योगमय जीवन, जीवन की श्रेष्ठ अभिव्यक्ति : स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन द्वारा योग के वैश्विक विस्तार के लिये विभिन्न उत्सवों व महोत्सवों का आयोजन किया जाता हैं ताकि योग प्रत्येक व्यक्ति से वैश्विक स्तर तक पहुंचे। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी से प्रमाणित योग शिक्षक ग्रीषा ढ़ींगरा, योगाचार्य सचिन, योगाचार्य शुभेंदु शुक्ला ने भेंट कर आशीर्वाद लिया। 
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने योगाचार्यो को योग के साथ भारतीय संस्कृति, संस्कार और शास्त्रों में उल्लेखित दिव्य मंत्रों व संदेशों को योग जिज्ञासुओं के साथ साझा करने हेतु प्रेरित किया।
स्वामी जी ने कहा कि योगशालायें केवल फिटनेस के लिये नहीं है बल्कि योगशालाओं से योग के वास्तविक अर्थ व भाव को प्रसारित किया जाये। ’समत्वं योग उच्यते’ अर्थात योग एक संतुलित अवस्था है, योग, प्राणी व प्रकृति के बीच एकता की अवस्था है। एक सच्चा योगी प्रकृति का शोषण कभी नहीं कर सकता। योग का उद्देश्य अपने आस-पास के वातावरण से जुड़ना और एकता की भावना को बढ़ाना है।
स्वामी जी ने कहा कि योग मानसिक स्वच्छता के साथ शरीर, मन व प्रकृति के अनावश्यक प्रदूषकों को शुद्ध करने की विधा है। आज की सबसे बड़ी आवश्यकता आपसी प्रेम, शान्ति व सार्वभौमिक एकता के साथ प्राकृतिक समन्वय स्थापित करना है। हमारे ऋषियों ने योग के माध्यम से केवल उत्तम स्वास्थ्य ही प्राप्त नहीं किया बल्कि उत्तम प्रकृति बनी रहे इस पर भी विशेष ध्यान दिया। वर्तमान समय में हम योग को अपने स्वास्थ्य के लिये आत्मसात कर रहे हैं, साथ ही दूसरी ओर प्रकृति का शोषण भी चरम पर कर रहे हैं। अब समय आ गया कि योग की शक्ति को हम स्वयं के स्वास्थ्य के साथ प्रकृति, संस्कृति व संतति के स्वास्थ्य के लिये भी लगाये। अब योग के साथ प्रकृति योग करने की नितांत आवश्यकता है।
योग शिक्षक ग्रीषा ढ़ींगरा ने कहा कि पूज्य स्वामी जी का दर्शन करना मेरा सौभाग्य है। स्वामी जी केवल योग के माध्यम से प्रकृति संरक्षण संदेश ही नहीं देते बल्कि उनका पूरा जीवन योग के विस्तार व प्रकृति के संरक्षण हेतु समर्पित है। ऋषिकेश योग की वैश्विक राजधानी है ऐसे में यहां से योग के साथ प्रकृति योग की मुहिम को विस्तार देना जरूरी है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने योगाचार्यो को आशीर्वाद स्वरूप रूद्राक्ष की माला व रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया।

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