*परमार्थ निकेतन दर्शनार्थ आये पद्मश्री आध्यात्मिक गायक कैलाश खेर*

*💥रूप चतुर्दशी के पावन अवसर पर प्रसिद्ध गायक कैलाश खेर ने लिया पूज्य स्वामी जी का आशीर्वाद*

*🔥कैलाश खेर की जादूई आवाज़ से गंूजा परमार्थ गंगा तट*

*💫रूप चतुर्दशी के पावन अवसर पर परमार्थ गंगा तट से विश्व शान्ति व राष्ट्र समृद्धि की प्रार्थना*

*🌸परमार्थ गंगा तट भक्ति, आध्यात्म और दिव्य ऊर्जा से परिपूर्ण*

*🌺दीपावली, दीपों वाली, दीपावली, स्वदेशी वाली*

*🙏🏾स्वामी चिदानन्द सरस्वती*

ऋषिकेश, 19 अक्टूबर। रूप चतुर्दशी के पावन अवसर पर विख्यात आध्यात्मिक गायक पद्मश्री कैलाश खेर जी का परमार्थ निकेतन दर्शनार्थ आगमन हुआ। उन्होंने परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष, स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी का आशीर्वाद लिया।

कैलाश खेर जी ने अपनी जादुई आवाज ने अनेकों दिलों को छुआ है, आज उनके भजनों और आध्यात्मिक गीतों की प्रतिध्वनि पूरे गंगा घाट पर गूंज उठी। वहां उपस्थित साधक और श्रद्धालु इस अनुभव से भावविभोर हो गए। इस अवसर पर विश्व शांति और राष्ट्र की समृद्धि के लिए विशेष प्रार्थनाएँ की गईं।

रूप चतुर्दशी का पर्व परमार्थ निकेतन में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया गया। इस पावन दिन पर मंदिर को दीपों से सजाया। सभी ने विश्व शान्ति यज्ञ के माध्यम से आत्मिक शुद्धि, सुख-समृद्धि और समाज कल्याण के लिए प्रार्थना की।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि रूप चतुर्दशी और दीपावली केवल बाहरी उत्सव नहीं, बल्कि आंतरिक जागृति, ज्ञान और दिव्यता का प्रतीक हैं। उन्होंने सभी से आह्वान किया कि इस बार की दीपावली “दीपों वाली, स्वदेशी वाली” हो। अर्थात् हमें केवल दीप जलाने तक सीमित नहीं रहना है बल्कि हर घर, हर हृदय और हर जीवन में प्रकाश फैलाना है।

स्वामी जी ने कहा कि हम हजारों दीप एक साथ जलाएँ, यह अच्छा है, लेकिन असली महत्व तब है जब हम कुछ ऐसा करें कि सबके घरों में दीप जले और सबके दिल खुशियों से भर जाएँ। दीपावली केवल बाहरी दीपों का उत्सव नहीं है, बल्कि यह आंतरिक प्रकाश, नैतिकता, सांस्कृतिक गौरव और सेवा का प्रतीक है।

आध्यात्मिक गायक कैलाश खेर ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि उनके जीवन और संगीत में आध्यात्म का विशेष स्थान है। परमार्थ गंगा तट पर भजन और कीर्तन करना उनके लिए अत्यंत दिव्य और आत्मिक अनुभव है। पूज्य स्वामी जी के पावन सान्निध्य में दीपावली मनाना सौभाग्य की बात है।

साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि यह पर्व अंधकार पर प्रकाश और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। नरक चतुर्दशी हमें याद दिलाती है कि जीवन में अंधकार चाहे कितना भी गहरा हो, एक दीपक की रोशनी उसे मिटा सकती है। यह केवल बाहरी अंधकार का प्रतीक नहीं, बल्कि हमारे मन और आत्मा के भीतर के अंधकार का भी प्रतिनिधित्व करता है। हमारे डर, चिंता और नकारात्मक भावनाएँ इसी अंधकार का रूप हैं। इस अवसर पर मिट्टी के दीप जलाकर हम अपने घरों, रास्तों और हृदय को प्रेम, करुणा और सकारात्मकता के प्रकाश से आलोकित करें। यही नरक चतुर्दशी का वास्तविक संदेश है।

आज परमार्थ गंगा तट पर मां गंगा की लहरों पर दीपों की झिलमिलाहट और कैलाश खेर के भजन गूंज रहे थे मानों स्वर्ग धरती पर उतर आया हो। सभी श्रद्धालुओं ने इस अद्भुत आनंद को आत्मसात किया।

स्वामी जी ने कैलाश खेर जी को रूद्राक्ष का पौधा देकर ग्रीन, क्लीन और प्रदूषण मुक्त दीपावली मनाने का आह्वान किया। इस अवसर पर भारत सहित विश्व के अनेक देशों से आये पर्यटकों ने परमार्थ निकेतन गंगा आरती में सहभाग किया।

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