-एक दिन, एक घंटा, एक साथ महाश्रमदान
-राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के स्वच्छ भारत संकल्प और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के आह्वान पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के आशीर्वाद से परमार्थ निकेतन में आज प्रातः 8 से 9 बजे तक ‘‘एक दिन, एक घंटा, एक साथ’’ महा श्रमदान का आयोजन
-भारत माता के महान सपूत, एकात्म मानववाद के प्रणेता और अंत्योदय के अग्रदूत पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की जयंती पर परमार्थ गंगा आरती समर्पित
स्वच्छता ही सेवा, श्रमदान ही महादान : स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश। भारत माता के महान सपूत, एकात्म मानववाद के प्रणेता और अंत्योदय के अग्रदूत पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की जयंती के पावन अवसर पर परमार्थ निकेतन में ‘‘श्रमदान महादान-स्वच्छता ही सेवा’’ का आयोजन किया गया।
‘‘एक दिन, एक घंटा, एक साथ’’ महाश्रमदान-स्वच्छता अभियान का शुभारम्भ स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के आशीर्वाद से साध्वी भगवती सरस्वती जी के मार्गदर्शन में किया गया। यह आयोजन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के स्वच्छ भारत के संकल्प व पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के जन्मदिवस पर माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के आह्वान का जीवंत प्रतीक है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी का जीवन और विचारधारा केवल राजनीति तक सीमित नहीं है, बल्कि समाज के सबसे अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति तक विकास और सम्मान पहुँचाने की प्रेरणा भी देती है। उनका ‘‘अंत्योदय’’ का सिद्धांत हमें स्मरण कराता है कि राष्ट्र निर्माण का आधार केवल आर्थिक उन्नति नहीं, बल्कि स्वच्छता, सेवा और संवेदनशीलता भी है। स्वच्छ भारत अभियान और अंत्योदय का यह संगम समाज को वास्तविक समृद्धि और संतुलन की ओर अग्रसर करता है।
आज परमार्थ निकेतन में आयोजित महाश्रमदान अभियान के अन्तर्गत प्रातः 8 बजे गंगा तट पर सभी ऋषिकुमार और आचार्य एकत्र होकर सभी ने एकस्वर में संकल्प लिया ‘‘स्वच्छ भारत, समृद्ध भारत’’।
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि स्वच्छता केवल बाहरी वातावरण की नहीं, बल्कि यह आंतरिक चेतना और राष्ट्रीय चरित्र की भी शुद्धि है।

स्वामी जी ने कहा, “स्वच्छता ही सेवा और श्रमदान ही महादान है। जब हम मिलकर एक दिन, एक घंटा, एक साथ श्रमदान करते हैं, तो यह केवल कचरा हटाना नहीं है, बल्कि यह अपने भीतर की नकारात्मकता, आलस्य और अज्ञान को भी हटाने का प्रतीक है।’’ आज का श्रमदान महात्मा गांधी जी के सपनों से लेकर माननीय मोदी जी के संकल्प तक की यात्रा का प्रतीक है।
महात्मा गांधी जी ने कहा था कि ‘‘स्वराज का असली अर्थ स्वच्छता और आत्मानुशासन से है।’’ प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने इस संदेश को ‘‘स्वच्छ भारत अभियान’’ के माध्यम से पुनः जन-जन तक पहुँचाया। आज जब पूरा देश विकसित भारत की ओर अग्रसर है, तब स्वच्छता इसका पहला और सबसे महत्वपूर्ण कदम है।
स्वच्छता अभियान केवल सफाई का कार्य नहीं बल्कि समाज के हर वर्ग को यह संदेश देने का माध्यम भी है कि हम सब मिलकर ही स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत और सशक्त भारत का निर्माण कर सकते हैं।
साध्वी भगवती सरस्वती जी ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा, “युवा शक्ति ही राष्ट्र की रीढ़ है। यदि युवा स्वच्छता, अनुशासन और सेवा का संकल्प लें तो भारत को विश्वगुरु बनने से कोई नहीं रोक सकता।’’
जब हम अपने घर, गली, गाँव, शहर और प्रकृति को स्वच्छ रखते हैं, तब वास्तव में हम ईश्वर की सच्ची आराधना करते हैं। उन्होंने कहा कि गंगा जी और धरती माता हमारी सबसे बड़ी धरोहर हैं, उन्हें स्वच्छ रखना ही हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।
आज का श्रमदान अभियान पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के अंत्योदय के चिंतन, महात्मा गांधी जी के स्वच्छता संदेश और श्री मोदी जी के विकसित भारत के विजन का अद्भुत संगम है।
स्वामी जी ने कहा कि स्वच्छता केवल कचरा हटाने की प्रक्रिया नहीं, बल्कि यह चरित्र निर्माण, विचार शुद्धि और समाज कल्याण का महान यज्ञ है। आइए हम सब संकल्प लें ‘‘एक दिन, एक घंटा, एक साथ’’ श्रमदान कर स्वच्छ भारत के सपने को साकार करें और अंत्योदय की भावना से प्रत्येक जीवन को छुएँ।
इस अवसर पर आचार्य संदीप शास्त्री, आचार्य दीपक शर्मा, राकेश रोशन, परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमार, विदेश की धरती से आये श्रद्धालुओं ने विशेष योगदान दिया।

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