-आचार्य महामंडलेश्वर, निरंजनी अखाडा, स्वामी कैलाशानंद गिरी जी, परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती जी, मंसा देवी मन्दिर के अध्यक्ष महंत रविन्द्र पुरी जी, जूना अखाड़ा के राष्ट्रीय महामंत्री मंहत हरी गिरी जी, आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी बालकानन्द जी महाराज, स्वामी प्रेम गिरी जी और पूज्य संतों का पावन सान्निध्य व आशीर्वाद
-उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता कानून लागू करने पर पूज्य संतों ने माननीय मुख्यमंत्री जी को किया सम्मानित

प्रयागराज। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी का महाकुम्भ, प्रयागराज में आगमन हुआ। निरंजनी अखाड़ा में आयोजित समानता के साथ समरसता’ कार्यक्रम में माननीय श्री पुष्कर सिंह धामी जी ने सहभाग किया। महाकुम्भ के दिव्य अवसर पर माननीय श्री पुष्कर सिंह धामी जी को पूज्य संतों ने सम्मानित किया।
निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी जी और परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती जी और पूज्य संतों के पावन सान्निध्य में उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता कानून लागू करने हेतु माननीय मुख्यमंत्री जी का अभिनन्दन किया।।
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि समान नागरिक संहिता कानून भारत के उन्नत भाल मस्तिष्क पर सिंदूर की तरह हैं। चारों धामों ने जिसे चुना है वह हमारे धामी जी है। सारी दुनिया चारों धामों को चुनती है और चारों धामों ने धामी जी को चुना है। उत्तराखंड की धरती पर एकता, शांति और समरसता की भावना हमेशा से जीवित रही है। हमारे राज्य की असली शक्ति हमारे लोगों की एकता और भाईचारे में है।
आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी जी ने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी पर सदैव से ही पूज्य संतों का आशीर्वाद व कृपा बनी हुई है। समरसता और एकता का संदेश भारत की प्राचीन सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न अंग रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि समाज में असहमति और मतभेद हो सकते हैं, लेकिन जब तक हम एक दूसरे के प्रति सम्मान और प्रेम रखेंगे, समाज में शांति बनी रहेगी।
माननीय मुख्यमंत्री उत्तराखंड श्री पुष्कर सिंह धामी जी ने कहा कि उत्तराखंड के सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर को संजोते हुए, राज्य सरकार समाज में समरसता के लिए निरंतर प्रयास कर रही है और पूज्य संतों के पावन सान्निध्य व आशीर्वाद से आगे भी समर्पित होकर कार्य करती रहेगी। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि इस तरह के आयोजनों से उत्तराखंड की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को नया जीवन मिलता है। उत्तराखंड स्वतंत्रता के बाद देश का पहला राज्य है, जिसने समान नागरिक संहिता को लागू किया है। समान नागरिक संहिता सभी के लिए समान अधिकार सुनिश्चित करेगा। समान नागरिक संहिता में इस प्रकार का प्रावधान किया गया है कि अब कोई भी अपनी पहचान को छिपा नहीं सकेगा। अब कोई व्यक्ति, जैसे कि आफताब, श्रद्धा जैसी बेटी के साथ क्रूरता नहीं कर पाएगा…मुझे पूरा विश्वास है कि समान नागरिक संहिता भारत के सभी राज्यों में लागू होगी।
सभी पूज्य संतों ने माननीय मुख्यमंत्री जी का अभिनन्दन किया।

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