-रूद्राक्ष का दिव्य पौधा किया भेंट
ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन में माननीय सांसद श्री अनिल बलूनी जी सपरिवार दर्शनार्थ आये। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में आयोजित विश्व विख्यात गंगा आरती में सहभाग किया। इस अवसर पर स्वामी जी ने सांसद श्री अनिल बलूनी जी के व्यक्तित्व और उनके कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि “माननीय श्री बलूनी जी अकड़ से नहीं बल्कि पकड़ से जीते हैं। वे उत्तराखंड के विकास के लिए नए-नए प्रयोग और पहल करते रहते हैं। उनके कार्यों में सूझ-बूझ और दूरदर्शिता झलकती है।
स्वामी जी ने दीपावली की शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि दीपावली केवल प्रकाश का पर्व नहीं, बल्कि सदाचार, मर्यादा और आध्यात्मिक दिव्यता का पर्व है। उन्होंने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम जी ने सदैव राजधर्म और नैतिकता का पालन किया। आज के समय में भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी उन दिव्य परंपराओं को आगे बढ़ा रहे हैं। स्वामी जी ने कहा कि “वे इतने शक्तिशाली राष्ट्र के प्रधानमंत्री हैं, पूरा विश्व इस समय भारत की ओर देख रहा है। उन्होंने श्रीराम मंदिर के उद्घाटन के समय भी कहा गया था कि राम आग नहीं, ऊर्जा हैं, राम विवाद नहीं, संवाद हैं, राम विजय नहीं, विनय हैं। हमें उनके आदर्शों का सम्मान करना चाहिए।”
स्वामी जी ने कहा कि प्रत्येक नागरिक को अपने कार्यक्षेत्र में ईमानदारी, जिम्मेदारी और मर्यादाओं का पालन करना चाहिए। यही सच्ची राष्ट्रसेवा है, और यही सनातन सेवा भी है। उन्होंने सभी का आह्वान करते हुये कहा कि राष्ट्रहित, राष्ट्रप्रथम और राष्ट्रसेवा के भाव को अपने जीवन का मार्गदर्शन बनाएं और समाज में एकता की संस्कृति को आगे बढ़ाएँ।
इस अवसर पर सांसद श्री अनिल बलूनी जी ने कहा कि परमार्थ निकेतन की आध्यात्मिक गतिविधियाँ और स्वामी जी के मार्गदर्शन से समाज में नैतिकता, सेवा और संस्कार का संदेश प्रतिदिन गंगा जी की आरती से प्रसारित होता है। उन्होंने गंगा आरती में सम्मिलित होकर अपना अनुभव साझा किया कि आध्यात्मिकता और सेवा का संयोग जीवन में संतुलन और स्थिरता लाता है, और यही हमारे समाज और राष्ट्र की सच्ची शक्ति है।

स्वामी जी ने कहा कि दीपावली केवल रोशनी और मिठाइयों का पर्व नहीं है, बल्कि यह हमें सत्य, धर्म, करुणा और समर्पण की ओर प्रेरित करता है। जैसे हम दीपक जलाते हैं और अंधकार को दूर करते हैं, वैसे ही हमें अपने कार्यों, विचारों और व्यवहार में दिव्यता और नैतिकता का प्रकाश फैलाना होगा।
स्वामी जी ने कहा कि राष्ट्र और समाज की सेवा के लिए हमेशा आध्यात्मिक चेतना, मर्यादा और विवेक का मार्ग अपनाना होगा। यही वह रास्ता है जो न केवल हमारी संस्कृति को महान बनाता है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनता है।
स्वामी जी ने माननीय सांसद श्री अनिल बलूनी जी को रूद्राक्ष का पौधा देकर उनका अभिनन्दन किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *