हरिद्वार। पतित पावनी मां गंगा जी का जन्मोत्सव धर्मनगरी हरिद्वार में धूमधाम के साथ मनाया गया। हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के दिन मां गंगा जी का प्राकट्य हुआ था। शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार गंगा सप्तमी तिथि के दिन मां गंगा जी का दर्शन पूजन करने से मनुष्य के समस्त पापों का नाश होता है और मनुष्य को सुख, सौभाग्य, धन, ऐश्वर्य एवं लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। इस शुभ अवसर पर आज हर की पौड़ी पर सुबह से लेकर शाम तक मां गंगा जी की पूजा अर्चना करने वालों का ताता लगा रहा। इस दौरान ज्वालापुर, हरिद्वार, कनखल, पंचपुरी में रहने वाले हजारों तीर्थ-पुरोहितों, साधु-संतों, व्यापारियों एवं गंगा भक्तों ने मां गंगा जी का जन्मोत्सव प्राकट्य दिवस पूजा पाठ कर मनाया। तीर्थ पुरोहितों ने बड़ी संख्या में सपरिवार हर की पौड़ी ब्रह्मकुंड जाकर मां गंगा का वैदिक मंत्रोच्चार दुगधाभिषेक करते हुए मां गंगा भगवती की विधिवत आरती पूजा की।

इस मौके पर धड़ा पंचायत फिराहेडियान की ओर से मध्यान काल में हर की पौड़ी ब्रह्मकुंड पर श्री गंगा जी की विशेष पूजा की गई। धड़ा पंचायत फिराहेडियान के अध्यक्ष पंडित उमाशंकर वशिष्ठ, मंत्री सचिन कौशिक, अनिल कौशिक, प्रदीप निगारे, वैभव भगत, उमेश कौशिक आदि सदस्यों ने मां गंगा जी का विधिवत दुग्धाभिषेक एवं पूजन कर मां गंगा जी को फल, फूल, वस्त्र एवं मिष्ठान अर्पित करते हुए मां भगवती गंगा जी की दिव्य आरती की तथा सभी प्राणियों के लिए आरोग्य एवं सुख समृद्धि की कामना की। वहीं दूसरी और सायंकाल में गंगा जन्मोत्सव मंडल तीर्थ पुरोहित समाज की ओर से हरिद्वार में मां गंगा जी की भव्य शोभा यात्रा निकाली गई। जिसमें बड़ी संख्या में तीर्थ पुरोहितों ने भाग लिया। “हर हर गंगे जय मां गंगे” के दिव्य उद्घोष के साथ मां गंगा जी की दिव्य शोभायात्रा ढोल-नगाड़ों, बैंड-बाजो के साथ कुशा घाट से प्रारंभ होकर बड़ा बाजार, सब्जी मंडी, रामघाट, श्रवणनाथ घाट, बिरला घाट, अपर रोड से होते हुए हर की पौड़ी गंगा आरती स्थल पर पहुंची। जहा आरती से पूर्व तीर्थ पुरोहितों के द्वारा मां गंगा जी का विशेष पूजन किया गया। पूजा-अर्चना आरती करने वालों में श्री गंगा सभा के महामंत्री तन्मय वशिष्ठ, पं श्रीकांत वशिष्ठ, रजनीश रामचंद्र के, विपुल मिश्रोटे, अभिषेक सिखौला, शैलेश मोहन, वीरेंद्र कौशिक, अविक्षित रमन सहित बड़ी संख्या में तीर्थ पुरोहित उपस्थित रहे।

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