*💥भगवान जगन्नाथ जी की रथ यात्रा की देशवासियों को अनेकानेक शुभकामनायें*
*✨रथ यात्रा, भक्ति, सेवा और सनातन संस्कृति का दिव्य उत्सव*
*🌸रथ यात्रा का हर पहिया, हर मोड़ और हर धक्का जीवन की यात्रा का दर्पण*
*🙏🏾स्वामी चिदानन्द सरस्वती*
ऋषिकेश। भगवान जगन्नाथ जी की दिव्य रथ यात्रा के पावन अवसर पर परमार्थ निकेतन से सभी को शुभकामनायें देते हुये स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि भगवान जगन्नाथ जी की रथ यात्रा श्रद्धा, भक्ति और सनातन संस्कृति की भव्य व दिव्य अनुभूतियों का उत्सव है।
भगवान जगन्नाथ जी की रथ यात्रा एक दिव्य आध्यात्मिक यात्रा है, जो हमें जीवन के सार की ओर ले जाती है। यह यात्रा हमें याद दिलाती है कि जीवन में स्थायित्व केवल ईश्वर के श्रीचरणों में है और यही सच्चा मोक्ष है। रथ यात्रा का हर पहिया, हर मोड़ और हर धक्का जीवन की यात्रा का दर्पण है। जब रथ आगे बढ़ता है, तो यह हमें सिखाता है कि जीवन की राह सरल नहीं होती, उसमें बाधाएं भी होती हैं, ठहराव भी, किंतु यदि समर्पण, सेवा और धैर्य के साथ हम आगे बढ़ें, तो हर चुनौती मार्ग बन जाती है।
रथ को खींचते हुए श्रद्धालु जिस शक्ति और भक्ति के साथ आगे बढ़ते हैं, वह यह दर्शाता है कि जब हम सामूहिक भाव से, निःस्वार्थ भावना से किसी कार्य में लगते हैं, तो असंभव भी संभव हो जाता है। मोड़ हमें लचीलापन सिखाते हैं, पहिए निरंतरता का प्रतीक हैं, और रथ को धक्का देना हमें यह स्मरण कराता है कि जीवन को गति देने के लिए पुरुषार्थ आवश्यक है।
यह रथ यात्रा हमें सिखाती है कि ईश्वर तक पहुँचने का मार्ग भक्ति, करुणा, सेवा और धैर्य से होकर गुजरता है। जब हम इन मूल्यों को अपने जीवन का आधार बना लेते हैं, तब हमारा जीवन स्वयं एक रथ यात्रा बन जाता है।
श्री जगन्नाथ रथ यात्रा आत्मा की परमात्मा तक की यात्रा है। यह जीवन को रथ समझकर धर्म, भक्ति और सेवा के पहियों से चलने की प्रेरणा देती है। भगवान जगन्नाथ का रथ हमें यह सिखाता है कि जो अपने जीवन में प्रेम, करुणा और सेवा को अपनाता है, वही सच्चा रथी है।
आज की पीढ़ी तकनीक से जुड़ रही है और परंपराओं से दूर होती जा रही है। रथ यात्रा जैसे पर्व हमें हमारी जड़ों से जोड़ते हैं। यह पर्व हमें हमारी संस्कृति, मूल्यों और आत्मिक चेतना से पुनः परिचित कराते हैं। भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा केवल ओडिशा या पुरी की नहीं, यह पूरे भारतवर्ष की आध्यात्मिक चेतना का उत्सव है।
भगवान जगन्नाथ जी की रथ यात्रा बताती है कि परमात्मा स्वयं भक्तों के पास आते हैं। जब हम प्रेम और श्रद्धा से पुकारते हैं, तो वह साकार रूप में हमारे समीप आकर हमें अपने साथ यात्रा का सहभागी बनाते हैं। रथ यात्रा हमें यह भी सिखाती है कि जो स्वयं को रथ का चालक नहीं, बल्कि सेवक मानता है, वही जीवन की सच्ची दिशा को जान पाता है।
आज के समय में जब भौतिकता की दौड़ ने हमारे युवाओं को थका दिया है, ऐसे में यह दिव्य यात्रा हमें भीतर की यात्रा करने का आमंत्रण देती है आत्मनिरीक्षण का, सेवा का, और परम सत्ता से जुड़ने का संदेश देती है।
भगवान जगन्नाथ जी की रथ यात्रा हमें बाहरी संसार से भीतर की ओर देखने की प्रेरणा देती है। यह हमें जीवन के रथ को धर्म, भक्ति और सेवा के पहियों पर आगे बढ़ाने की शिक्षा देती है।