-श्री स्वामिनारायण गुरूकुल विश्वविद्यालय, अहमदाबाद द्वारा आयोजित सत्संग साधना शिविर में पूज्य माधवप्रिय स्वामी जी महाराज, पूज्य बाल स्वामी जी महाराज और पूज्य संतों का मार्गदर्शन व आशीर्वाद
-परमार्थ निकेतन गंगा तट पर पूज्य माधवप्रिय स्वामी जी महाराज के जीवन की 75 वर्षों की दिव्य यात्रा का मनाया उत्सव
-भक्तों ने मनाना पूज्य स्वामी जी का 76 वां जन्मोत्सव
-पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी का पावन सान्निध्य, आशीर्वाद व उद्बोधन
-जीवन में सब कुछ सेट पर हम अपसेट परन्तु साधना हमें सेट करती है, हमारे विचार, व्यवहार और चिंतन को सेट व अपडेट करती है : स्वामी चिदानन्द सरस्वती
ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन, गंगा तट पर अध्यात्म और साधना का अद्भुत संगम हुआ। श्री स्वामिनारायण गुरुकुल विश्वविद्यालय, अहमदाबाद द्वारा आयोजित सत्संग साधना शिविर का शुभारम्भ पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज के पावन सान्निध्य में हुआ। यह शिविर साधना के साथ आत्मजागरण का उत्सव है।
पूज्य माधवप्रिय स्वामी जी महाराज, पूज्य बाल स्वामी जी महाराज तथा स्वामिनारायण परंपरा के पूज्य संतों के पावन सान्निध्य में साधक साधना का आनंद ले रहे हैं। अपने प्रेरक उद्बोधनों के माध्यम से साधकों को जीवन के गूढ़ रहस्यों और साधना की गहराइयों का दर्शन करा रहें हैं।
पूज्य माधवप्रिय स्वामी जी महाराज के 75 वर्षों की दिव्य यात्रा के इस पावन अवसर पर, परमार्थ निकेतन के पवित्र गंगा तट पर उनका 76वां जन्मोत्सव बड़ी श्रद्धा, भक्ति और आनंद के साथ मनाया। देश-विदेश से आए भक्तों ने भक्ति भाव से उनका अभिनंदन किया और उनके चरणों में अपनी कृतज्ञता व्यक्त की।
पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने अपने प्रेरक उद्बोधन में कहा कि पूज्य माधवप्रिय स्वामी जी महाराज के जीवन की यह यात्रा केवल वर्षों की गणना नहीं, बल्कि सेवा, संस्कार और साधना के उन क्षणों की यात्रा है जिन्होंने असंख्य जीवनों को दिशा और प्रेरणा दी है।
स्वामी जी ने कहा कि जीवन में सब कुछ सेट हो सकता है, घर, काम, परिवार लेकिन अगर मन अपसेट है, तो सब व्यर्थ हो जाता है। साधना ही वह प्रक्रिया है जो हमें भीतर से सेट करती है। यह हमारे विचार, व्यवहार और चिंतन को न केवल संतुलित करती है, बल्कि अपडेट भी करती है। जब हम साधना में रमे रहते हैं, तो जीवन में आने वाले उतार-चढ़ाव हमें विचलित नहीं कर पाते। जीवन को सेट करने का असली सूत्र बाहर नहीं, भीतर है। साधना ही वह चाबी है जो मन के द्वार खोलकर हमें ईश्वर से जोड़ती है।
पूज्य स्वामी जी ने कहा कि साधना केवल अपने लिए नहीं, समाज के लिए भी होनी चाहिए। जब हम अपने भीतर शांति का दीप जलाते हैं, तभी हम दुनिया में प्रकाश फैला सकते हैं।
पूज्य स्वामी जी ने कहा कि आज का युग ‘टेक अपडेट’ का युग है, लेकिन हमें यह भी याद रखना चाहिए कि जैसे हम अपने फोन और कंप्यूटर को अपडेट करते हैं, वैसे ही अपने मन, भाव और दृष्टिकोण को भी साधना द्वारा अपडेट करना आवश्यक है और साधना हमें स्थिरता, संतुलन और सच्ची शांति प्रदान करती है।
पूज्य माधवप्रिय स्वामी जी महाराज ने अपने आशीर्वचन में कहा कि साधना केवल मौन बैठना नहीं, बल्कि अपने विचारों को दिव्यता की दिशा में प्रवाहित करना है। उन्होंने कहा, जब मन ईश्वर में रमता है, तब जीवन का हर कर्म साधना बन जाता है।
पूज्य बाल स्वामी जी महाराज ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि आज की पीढ़ी को अपने अंदर की शक्ति को पहचानने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सच्ची स्वतंत्रता बाहरी नहीं, बल्कि भीतर की निर्भरता से मुक्ति है। जब हम साधना से अपने मन को नियंत्रित कर लेते हैं, तभी हम वास्तव में स्वतंत्र होते हैं।
परमार्थ निकेतन के गंगा तट पर आयोजित इस साधना शिविर में प्रतिदिन प्रार्थना, ध्यान, योगाभ्यास, गंगा आरती, भजन-संकीर्तन और प्रेरक प्रवचनों के माध्यम से साधक अपने भीतर के दिव्य स्वर को सुनने का प्रयास कर रहे हैं। परमार्थ निकेतन के दिव्य वातावरण में अध्यात्म और भक्ति का अद्भुत संचार हो रहा है। मां गंगा की लहरें साधना के स्वर में झूम रही है और साधकों को शान्ति प्रदान कर रही है।

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