ऋषिकेश। परमार्थ निकेेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी को दशहरा मैदान, जयपुर में आयोजित पांच दिवसीय हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा मेला में विशेष रूप से आमंत्रित किया।
इस अवसर पर माननीय उपराष्ट्रपति, भारत श्री जगदीप धनखड़ जी और पूज्य संतों और विशिष्ट विभूतियों का पावन सान्निध्य, उद्बोधन व मार्गदर्शन प्राप्त हुआ।   
फर्स्ट इंडिया के सीईओ पवन अरोड़ा जी एवं सर्वमंगलाय सनातन धर्म फाउंडेशन के संस्थापक योगाचार्य योगी मनीष जी ने सभी पूज्य संतों का अभिनन्दन किया।
योगाचार्य योगी मनीष जी ने सभी से आह्वान किया कि पांच दिनों तक चलने वाले इस मेले में जरूर पधारें तथा पूज्य संतों से धर्म, अध्यात्म, संस्कृति व संस्कारों को जाने।
माननीय श्री उपराष्ट्रपति भारत श्री जगदीप धनखड़ जी ने अत्यंत प्रेरणादायी उद्बोधन।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि अध्यात्म हमें आत्मवत् सर्वभूतेषु का संदेश देता है और सर्वभूतहिते रताः की कल्पना को साकार करता है।
स्वामी जी ने कहा कि वर्तमान समय में पूरा विश्व जिन समस्याओं का सामना कर रहा है वह है वायु प्रदूषण, वाणी प्रदूषण और वैचारिक प्रदूषण और इन तीनों का समाधान अध्यात्म में समाहित है।
स्वामी जी ने कहा कि जीवन में विशिष्ट अनुभव, विशिष्ट संस्कारों से ही सम्भव है इसलिये ऐसे उत्कृष्ट संदेश देने वाले मेलों की आज पूरे समाज को जरूरत है ताकि समाज में संस्कारों को जागृत या पुनर्जीवित किया जा सके।
उन्होंने कहा कि संस्कार ही संकल्प की जननी है; संस्कारों से ही संकल्पों का जन्म होता है इसलिये बच्चों को कार दे या न दे संस्कार अवश्य दें।
मेले में विभिन्न आध्यात्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे है। यथा कन्या सुवासिनी वंदन, गंगा-भूमि वंदन, अहिल्या बाई होल्कर नाटक, शिक्षक वंदन, वृक्ष-गौ-तुलसी वंदन, कत्थक विविधा, मातृ-पितृ वंदन, समरस भारत संगम आदि अनेक कार्यक्रमों के साथ सेवा कार्यों की प्रदर्शनी, विज्ञान मॉडल प्रदर्शनी, और भारतीय मूल्यों पर लाइव पेंटिंग जैसे आकर्षक कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं।
फर्स्ट इंडिया के सीईओ पवन अरोड़ा जी ने बताया कि मेले का उद्देश्य भारतीय संस्कृति, आध्यात्मिकता और सेवा के मूल्यों को बढ़ावा देना है। मेले में योग, ध्यान, आयुर्वेद, और प्राकृतिक चिकित्सा से संबंधित सत्र भी आयोजित किये जा रहे हैं।
स्वामी जी ने सभी विशिष्ट अतिथियों हो हिमालय की हरित भेंट रूद्राक्ष का दिव्य पौधा भेंट किया।

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