-सहकार्यवाह, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, श्री दत्तात्रेय होसबले जी, परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष, स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, पतंजलि योगपीठ, हरिद्वार, आचार्य बालकृष्ण जी, परमाध्यक्ष, श्री बाबा मस्तनाथ मठ, अस्थल बोहर रोहतक, श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन एवं समस्त षडदर्शन साधु समाज व महापुरूषों का पावन सान्निध्य
-वैदिक मंत्रोच्चारण एवं पारंपरिक अनुष्ठानों के साथ स्वामी रामतीर्थ मिशन, देहरादून में पट्टाभिषेक विधि सम्पन्न
-यह केवल पट्टाभिषेक नहीं, अपितु गुरु परंपरा की पादूका का दिव्य अभिषेक
-यह पट्टाभिषेक नहीं पात्रताभिषेक व पवित्रताभिषेक : स्वामी चिदानन्द सरस्वती
देहरादून। स्वामी रामतीर्थ मिशन, देहरादून में एक ऐतिहासिक, आध्यात्मिक और प्रेरणादायक क्षण का साक्षी बना जब डॉ. स्वामी शिवचंद्र दास जी को मिशन का परमाध्यक्ष पद ग्रहण करते हुए भव्य पट्टाभिषेक समारोह सम्पन्न हुआ। यह कार्यक्रम सनातन परंपरा की गौरवगाथा को पुनः सजीव करते हुये सेवा, समर्पण और संकल्प की त्रिवेणी का दिव्य महोत्सव है।
इस पावन अवसर पर सहकार्यवाह, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, श्री दत्तात्रेय होसबाले जी, परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष, स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, पतंजलि योगपीठ, हरिद्वार, आचार्य बालकृष्ण जी, परमाध्यक्ष, श्री बाबा मस्तनाथ मठ, अस्थल बोहर रोहतक, श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन एवं समस्त षड्दर्शन साधु समाज व महापुरूषों की दिव्य उपस्थिति ने समारोह को गरिमा प्रदान की। सनातन धर्म की मूल भावना, ‘गुरु-शिष्य परंपरा’ की यह पुनर्पुष्टि भारतीय सांस्कृतिक चेतना की अमिट छवि है।
परमार्थ निकेतन अध्यक्ष, पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने डा स्वामी शिवचंद्र दास जी को पट्टाभिषेक की शुभकामनायें देते हुये कहा कि भारत की इस सांस्कृतिक धारा में तपस्या, त्याग, तप, तितिक्षा हो, साधना हो, समर्पण हो, शक्ति हो, साहस हो यह सनातन की दिव्य धारा है।यह समय जगने व जगाने का है। यह समय कुछ नया चुनने व कुछ नया बुनने के साथ सब को सुनने का अवसर है।
यह पट्टाभिषेक केवल एक दायित्व का हस्तांतरण नहीं, बल्कि एक जीवंत संस्कृति के संरक्षण का संकल्प है। डॉ. स्वामी शिवचंद्र दास जी ने वर्षों तक स्वामी रामतीर्थ मिशन की सेवा की है। उनका जीवन, त्याग, तप और शिक्षण आज के युवाओं के लिए दीपस्तंभ बनेंगे। इस संस्था का सौभाग्य है कि उसे ऐेसे श्रेष्ठ संत मिले। गुरू केवल शिष्य नहीं बनाते बल्कि गुरू, गुरू बनाते है। यह विधाता का निर्णय है, आपको ईश्वर ने चुना है।
पतंजलि योगपीठ, हरिद्वार के आचार्य बालकृष्ण जी ने कहा कि सनातन परंपरा का यह पट्टाभिषेक समारोह एक दिव्य धार्मिक आयोजन है। यह हमारी संस्कृति का केंद्रीय स्तम्भ है। जब ज्ञान, साधना और सेवा एक साथ आते हैं, तब एक महान संस्था जन्म लेती है। स्वामी शिवचंद्र दास जी में वह सामर्थ्य है जो मिशन को एक नई ऊँचाई देगा। आप इसे संयम व साधना का किला बनाकर पूरे विश्व को प्रसाद वितरण करे।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि स्वामी रामतीर्थ भारत माता के यशस्वी सपूत थे, जिन्होंने राष्ट्र-निर्माण और आत्मनिर्भरता का मंत्र युवाओं को दिया। आज डॉ. स्वामी शिवचंद्र दास जी का पट्टाभिषेक उस धारा को गति देने का कार्य करेगा।
श्री बाबा मस्तनाथ मठ, अस्थल बोहर, रोहतक के परमाध्यक्ष ने कहा कि धर्म की रक्षा और संस्कृति की समृद्धि का मार्ग इन्हीं परंपराओं से प्रशस्त होता है। पट्टाभिषेक एक केवल कर्तव्यों को ही नहीं आत्मिक जिम्मेदारी का भी संदेश देता है। यह मिशन भारत की आत्मा को जीवंत रखने का माध्यम बनेगा।
डॉ. स्वामी शिवचंद्र दास जी ने कहा कि मैं स्वयं को सौभाग्यशाली मानता हूँ कि मुझे इस मिशन की सेवा और स्वामी रामतीर्थ जी के महान आदर्शों को आगे बढ़ाने का अवसर मिला। मेरा जीवन राष्ट्र, धर्म और समाज के कल्याण हेतु समर्पित रहेगा। मेरा हर क्षण युवाओं को स्वामी रामतीर्थ के विचारों से जोड़ने, और भारत को आत्मिक रूप से सशक्त करने में अर्पित होगा।
भारत की गुरुकुल एवं तपोभूमि परंपरा में पट्टाभिषेक को एक महान संस्कार माना गया है। यह केवल संगठनात्मक उत्तरदायित्व नहीं, बल्कि शिष्य को गुरु के पद पर प्रतिष्ठित करने की दिव्य परंपरा है, जहाँ सेवा, तप, विनम्रता और समर्पण की कसौटी पर खरा उतरने के पश्चात यह सम्मान प्रदान किया जाता है। यह समारोह शिष्य को “कर्तव्य बोध” और “धार्मिक नेतृत्व” की ओर अग्रसर करता है।
