ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन में संत श्री मुरलीधर जी के मुखारविंद से आयोजित 34 दिवसीय श्रीराम कथा के आज तीसरे दिन श्रीराम भक्तों को स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और आचार्य पुण्डरीक गोस्वामी जी का पावन सान्निध्य प्राप्त हुआ।

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आज श्री राम कथा के माध्यम से संदेश दिया कि ‘‘माँ गंगा का पावन तट व हिमालय की गोद में बसा यह स्वर्गाश्रम क्षेत्र, यह ऋषिकेश का क्षेत्र संयम व संगम की धरती है, समता व समरसता की धरती है, यह ऋषियों की तपस्थली है जिसने पूरे विश्व को विश्व मंगल के सूत्र व वसुधैव कुटुम्बकम् के मंत्र दिये। इसी धरती पर गंगा जी के पावन तट पर बसे ये प्यारे-प्यारे आश्रम इस दिव्य गंगा जी के तट पर इसलिये बसे हैं कि यहां से संस्कारों की गंगा सदैव प्रवाहित होती रहे।

स्वामी जी ने कहा कि श्री राम हमारे राष्ट्र के आराध्य है, इस राष्ट्र की आत्मा है और उनके पावन चरित्र का चिंतन कराने व करने के लिये हम सभी के बीच में प्रतिवर्ष पूज्य संत मुरलीधर जी महाराज इस पवित्र परमार्थ गंगा तट पर आते हैं। यह तट केवल कथा श्रवण का नहीं है बल्कि यह हमारे वर्तमान व भावी कर्मों को उत्कृष्ट बनाने का भी है। यहां पर आकर मासिक कथा गाना और श्रवण करना अपनी संस्कृति के प्रति समर्पण का प्रतीक है। कथा के माध्यम से करूणा का प्रवाह करूणारूपी हृदय से ही प्रवाहित हो सकता है। अद्भुत प्रेम है भक्तों का कथा के प्रति इसलिये यह करूणा कथा के माध्यम से प्रवाहित हो रही है और इसका लाभ हम सभी को और पूरे विश्व को ऑनलाइन चैनलों के माध्यम से प्राप्त हो रहा है।

स्वामी जी ने कहा कि आज विश्व दूरसंचार दिवस है और आज कथा में नारद जी का प्रसंग चल रहा है। नारद जी अद्भुत व्यक्तित्व हैं। किस प्रकार उन्होंने सृष्टि के संचालन में, सब ठीकठाक चलता रहे, किसे कहां कौन सा मंत्र देना है, उस मंत्र के माध्यम से कैसे सृष्टि का हित करा लेना है क्योंकि सृष्टि का हित ही नारद जी का ध्येय है, यह अद्भुत कौशल है नारद जी का। विश्व दूर संचार दिवस के दिन विश्व में दिव्य संचरण करने वाले हमारे नारद जी हैं। यही उनका ध्येय भी है कि विश्व भी दिव्य संचरण करता रहे। संसार की वृद्धि संस्कारों से हो; संस्कृति से हो न कि केवल संपति से हो। आचार्य पुण्डरीक गोस्वामी जी ने कहा कि हमें कथा प्रभाव नहीं स्वभाव के दर्शन कराने का संदेश देती है।

कथाव्यास संत मुरलीधर जी महाराज जी ने कहा कि परमार्थ गंगा तट पर कथा गाने का जो आनन्द है वह और कहीं नहीं है। कथा तो स्वयं के सुख के लिये गायी जाती है। आज कथा के प्रसंग में भगवान शिव व माता पार्वती के विवाह का दिव्य प्रसंग गाया। इस दिव्य प्रसंग का श्रवण कर सभी भक्त गद्गद हो गये।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और आचार्य पुण्डरीक गोस्वामी जी ने कथाव्यास संत श्री मुरलीधर जी महाराज को हिमालय की हरित भेंट रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया।

राजस्थान सहित भारत के अन्य राज्यों से आये श्रद्धालु बड़े ही भक्ति भाव से श्रीराम कथा को श्रवण करते हुये माँ गंगा में स्नान का भी पुण्यफल प्राप्त कर रहे हैं।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *