*✨मासिक मानस कथा में पूज्य संतों का पावन सान्निध्य*

*💥श्रीराम कथा के मंच से पूज्य संतों ने स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी को समर्पित किये अपने भाव*

*🌺जगद्गुरू स्वामी कृष्णाचार्य जी महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी दयारामदास जी महाराज, डा साध्वी भगवती सरस्वती जी, पंडित श्री रवि प्रपन्नाचार्य जी, राष्ट्रीय कवि संगम के अध्यक्ष श्री जगदिश परमार्थी जी का श्रीराम कथा में पावन सान्निध्य*

*💐राजस्थान की धरती मीरा बाई, भामाशाह, महाराणा प्रताप जैसे महापुरूषों की दिव्य धरती*

*🌸राजस्थान की धरती पर वैदिक एवं वैलनेस शिक्षा केंद्र बनाने पर हुआ विचार मंथन*

*💐स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने अपने जन्मदिवस पर आये सभी पूज्य संतों के आशीर्वाद, प्रेम, समर्पण और डिजिटल प्लेटफाॅर्म से प्राप्त हुये संदेशों को स्वीकार करते हुये सभी के प्रति व्यक्त किया आभार*

परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश, 4 जून। परमार्थ निकेतन में आयोजित मासिक श्रीराम कथा के पावन अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज के प्राकट्य दिवस के दूसरे दिन एक दिव्य आध्यात्मिक संगम था। इस अवसर पर पूज्य संतों, विद्वानों एवं भक्तगणों ने पूज्य स्वामी जी के सेवा-समर्पणमय जीवन को नमन किया।

जगद्गुरू स्वामी कृष्णाचार्य जी महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी दयारामदास जी महाराज, डा साध्वी भगवती सरस्वती जी, संत श्री मुरलीधर जी, पंडित श्री रवि प्रपन्नाचार्य जी, तथा राष्ट्रीय कवि संगम के अध्यक्ष श्री जगदीश परमार्थी जी सहित अनेक संतों और विद्वानों ने श्रीराम कथा में सहभाग कर अपने भावों को समर्पित किया।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि राजस्थान की पावन भूमि समाजसेवियों की भूमि है, वहाँ वैदिक विश्व विद्यालय एवं वेलनेस विश्वविद्यालय की स्थापना की पर भी विचार मंथन किया गया। उन्होंने कहा कि राजस्थान की धरती मीरा बाई, भामाशाह, और महाराणा प्रताप जैसे महापुरुषों की धरती है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने अपने जन्मदिवस के अवसर पर देश-विदेश से आए संतों, भक्तों, विद्वानों के साथ-साथ डिजिटल माध्यमों से प्राप्त अनेकों संदेशों, आशीर्वादों एवं शुभकामनाओं के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, यह जीवन परमात्मा का उपहार है और सेवा ही सबसे बड़ी उपासना है और प्रकृति की रक्षा ही आज का सबसे बड़ा धर्म है।

जगद्गुरू स्वामी कृष्णाचार्य जी महाराज ने कहा कि पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी हमारे ऋषिकेश के गौरव है और गंगा सहित अन्य पवित्र नदियों के तटों पर आरती के माध्यम से अपनी गौरवान्वित उपस्थिति रखने वाले पूज्य संत हैं। ऐसे उदार चरित्र वाले पूज्य संतों से भारत भूमि पवित्र है। सभी को एक सूत्र में बांधने के लिये पूज्य स्वामी जी जैसे संतों की इस देश को जरूरत है। आप शतायु हो! जीवेम् शरदः शतम्।

साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि पूज्य स्वामी जी का जीवन एक ज्योति की तरह है जो स्वयं जलती और अनेकों के जीवन को प्रकाशित करती है। पूज्य स्वामी जी का जीवन, सेवा, साधना और समर्पण का ऐसा संगम है, जहाँ हर कोई अपने जीवन की दिशा और धारा बदल सकता है।

वे एक चेतना हैं, एक ऐसी दिव्य शक्ति जो वर्षों से समाज के हर स्तर, हर आयाम में प्रकाश फैलाने में जुटी है। उनकी करुणा, उनका समर्पण, उनका धैर्य और उनकी विश्वदृष्टि यह सब मिलकर उन्हें एक आध्यात्मिक मार्गदर्शक से कहीं अधिक बनाते हैं। वे जल, जंगल, जीवन और जनजागृति का एक आंदोलन हैं। उनका जीवन, उनका मार्गदर्शन, उनकी ऊर्जा यह सब हम सबके लिए एक वरदान है।

महामंडलेश्वर स्वामी दयारामदास जी ने कहा कि पूज्य स्वामी जी ने न केवल ऋषिकेश, उत्तराखंड, भारत बल्कि पूरे विश्व में सनातन संस्कृति की ध्वजा को फहराया है।

पंडित श्री रवि प्रपन्नाचार्य जी ने कहा कि हमारा जीवन उपकार के लिये और धर्म की रक्षा के लिये हो ऐसा ही पूज्य स्वामी जी का जीवन है। इस अवसर पर गौ मुख संकल्प यात्रा के विषय में जानकारी देते हुये कहा कि जिस प्रकार हम अपने बच्चों को सोलह संस्कार देते हैं उसी प्रकार हमें पौधों का भी संरक्षण करना होगा।

राष्ट्रीय कवि संगम के अध्यक्ष श्री जगदिश परमार्थी जी ने पूज्य स्वामी जी को शुभकामनायें देते हुये कहा कि आपका वरद हस्त सभी पर बना रहे।

स्वामी जी ने सभी पूज्य संतों को रूद्राक्ष का दिव्य पौधा और श्रीराम परिवार का चित्र भेंट किया।

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