ऋषिकेश। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), ऋषिकेश में आयोजित होने वाले छटवे पारिवारिक चिकित्सा एवं प्राथमिक देखभाल पर राष्ट्रीय सम्मेलन (एफएमपीसी 2024) का उद्घाटन माननीय राज्यपाल, उत्तराखंड लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह जी और परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने किया। 

इस महत्वपूर्ण सम्मेलन में स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करने वाले चिकित्सकों को सम्मानित किया गया और सामुदायिक स्वास्थ्य सेवा पर एक नई पुस्तक का विमोचन भी किया गया। इस सम्मेलन का उद्देश्य पारिवारिक चिकित्सा और प्राथमिक देखभाल के क्षेत्र में नवीनतम अनुसंधान, तकनीकों और प्रथाओं पर चर्चा करना है जिसमें देशभर के विशेषज्ञ, चिकित्सक और शोधकर्ताओं ने भाग लिया और अपने अनुभव साझा किये।

पारिवारिक चिकित्सा एवं प्राथमिक देखभाल पर राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारम्भ राष्ट्रगान, दीप प्रज्वलन और सरस्वती वंदना के साथ हुआ। एम्स ऋषिकेश की कार्यकारी निदेशक प्रो. मीनू सिंह जी के स्वागत उद्बोधन के पश्चात सभी गणमान्य अतिथियों के अभिनंदन के पश्चात सम्मेलन स्मारिका और पुस्तक शीर्षक “जीवन बदलना – एकीकृत सामुदायिक स्वास्थ्य सेवा” का उद्घाटन किया गया।

माननीय राज्यपाल, उत्तराखंड लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह जी ने कहा कि पारिवारिक चिकित्सा एवं प्राथमिक देखभाल एक सामान्य विषय है परन्तु यह समाज की नींव है; आधार है। परिवार का स्वास्थ्य अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि परिवार से ही हम सब कुछ सीखते हैं। परिवार के माध्यम से ही प्रेम, आपसी जुड़ाव व दिल से जुड़े रहना सीखते हंै। उन्होंने कहा कि भगवान शिव जी के त्रिशूल में तीन शूल है उसी प्रकार हमारा परिवार, चिकित्सक और हमारा स्वास्थ्य है। चिकित्सक पर लोगों का जो भरोसा होता है वह अद्भुत होता है। पारिवारिक चिकित्सा एवं प्राथमिक देखभाल हमारे समाज की प्रथम आवश्यकता है।

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि पारिवारिक चिकित्सा एवं प्राथमिक देखभाल बहुत जरूरी है। कई बार दवाईयां तो होती हैं परन्तु दवाई खिलाने वाला कोई नहीं होता इसलिये हमें यह भी ध्यान रखना है कि जो वृद्धजन हमारे घर व आसपास है उनका भी ध्यान रखें। इलनेस को वेलनेस में बदलने के लिए हमें अपनी जीवनशैली में छोटे-छोटे बदलाव करने की आवश्यकता है। यह न केवल हमारे शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारता है बल्कि मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को भी मजबूत बनाता है।

इस अवसर पर स्वामी जी ने कहा कि उत्तराखंड के रहने वालों को हिमालय संस्कृति का ध्यान रखना, हिमालय संस्कृति को सहेज कर रखना भी बहुत जरूरी है क्योंकि हिमालय है तो हमारी संस्कृति है, संस्कार है, हम है और हमारा स्वास्थ्य भी है। उन्होंने अपने परिवार को अपनी संस्कृति से जोड़ने का संदेश दिया।

स्वामी जी ने एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) से आर आई (ऋषियों की इंटेलिजेंस) ऋषियों के रास्ते पर बढ़ने का संदेश दिया। एआई भी हो साथ में आर आई भी हो क्योंकि दोनों की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हम पीआर से व्यापार खड़ा कर सकते है परन्तु परिवार को खड़ा करना है तो प्यार की जरूरत है।

स्वामी जी ने कहा कि आज विश्व हृदय दिवस है इसलिये जिस से भी मिले दिल से मिले क्या पता किस गली में जीवन की शाम हो जाये। दूसरों के साथ दिल से मिलने और स्नेह और करुणा रखने से हमें अपने दिल की सेहत का ख्याल रखने के साथ दूसरों के साथ अच्छे संबंध बनाने का भी अवसर प्राप्त होता है।

इस अवसर पर एफएमपीसी आयोजन समिति को “प्राथमिक देखभाल में उत्कृष्टता” का पुरस्कार – डॉ. सतोष कुमार, डॉ. शैली व्यास, डॉ. नेहा शर्मा, डॉ. महेंद्र, डॉ. सुरेंद्र को प्रदान किया गया साथ ही “युवा पारिवारिक चिकित्सक” का पुरस्कार – डॉ. तेजा, डॉ. कंचन, डॉ. सेवाप्रीत को प्रदान किया गया।

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