-श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी, प्रकाश पर्व कर्तव्य और उत्तरदायित्व की पुकार का महोत्सव

-गुरु ग्रंथ साहिब विश्व बंधुत्व, अखंडता एवं एकता का अनुपम प्रतीक

-सच्चा धर्म मानवता की सेवा : स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन से श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी के प्रकाश पर्व शुभकामनायें देते हुये स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने अपने संदेश में कहा कि श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की अमर वाणी में मानवता, करुणा और सत्य का संदेश निरंतर गूंजता है। आज का दिन मानवता की एकता, प्रेम और सेवा का उत्सव है। इस पवित्र अवसर उन महान गुरुओं को नमन जिन्होंने श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के रूप में समस्त मानव समाज को एक शाश्वत दिव्य मार्गदर्शन प्रदान किया।

श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी समूची मानवता के लिए शांति और समरसता का अद्भुत घोषणापत्र है। इसमें किसी जाति, धर्म या संप्रदाय का भेदभाव नहीं है। इसमें एक ही स्वर है “इक ओंकार सतनाम”, अर्थात् एक ही परमात्मा है, जो सत्य है, शाश्वत है और सबमें व्याप्त है। यह शिक्षा हमें बताती है कि सृष्टि की विविधता के बीच भी एकत्व ही वास्तविकता है।

गुरु वाणी हमें करुणा, प्रेम, सेवा, विनम्रता और न्याय का मार्ग दिखाती है। यह संदेश जीवन के हर क्षेत्र में लागू होता है। आज जब दुनिया आतंक, युद्ध, जलवायु संकट, असमानता और स्वार्थ की आग से जूझ रही है, तब गुरु वाणी हमें शांति और समाधान का मार्ग दिखाती है। श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी हमें याद दिलाते हैं कि सच्चा धर्म मानवता की सेवा में है।

आज हम पर्यावरण संकट देख रहे हैं, ऐसे में गुरु वाणी हमें प्रकृति को ईश्वर का रूप मानकर उसकी रक्षा करने की प्रेरणा देती है। यदि समाज में विभाजन और असमानता है, तो गुरु वाणी हमें सबको समान दृष्टि से देखने और भाईचारे को बढ़ाने का मार्ग दिखाती है।

आज की पीढ़ी, जो भौतिकता और प्रतिस्पर्धा में तनावग्रस्त है, उनके लिए गुरु वाणी आत्मिक शांति और संतुलन का स्रोत है। यह हमें सिखाती है कि वास्तविक सफलता दूसरों को पीछे छोड़ने में नहीं, बल्कि सबको साथ लेकर चलने में है।

गुरु परंपरा का सबसे बड़ा योगदान है सेवा की संस्कृति। लंगर की परंपरा इसका सबसे सुंदर उदाहरण है। इसमें जाति, पंथ, रंग या भाषा का कोई भेद नहीं, सब एक साथ बैठकर भोजन ग्रहण करते हैं। यह एकता और समानता का जीता-जागता स्वरूप है।

आज के समय में यदि समाज में असमानता और अलगाव है, तो हमें इस भावना को आत्मसात करना होगा। जब हर मनुष्य सेवा और करुणा की राह पर चलेगा, तभी वास्तविक प्रकाश फैलेगा।

श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का प्रकाश पर्व हमें यह संकल्प दिलाता है कि हम अपने भीतर के अज्ञान और अहंकार का अंधकार मिटाएँ और अपने जीवन में सत्य, करुणा, प्रेम और सेवा के प्रकाश को धारण करें।

यह पर्व केवल श्रद्धा का विषय नहीं है, बल्कि कर्तव्य और उत्तरदायित्व की पुकार है। हमें एक ऐसे समाज और राष्ट्र का निर्माण करना है जहाँ कोई भूखा न रहे, कोई शोषित न हो और कोई भी अकेला महसूस न करे।

श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का प्रकाश पर्व हमें बार-बार याद दिलाता है कि सच्चा प्रकाश बाहर की दीपावली या रोशनी में नहीं, बल्कि हमारे भीतर के आत्मज्ञान, करुणा और सेवा में है। श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की पावन वाणी का प्रकाश संसार में हर हृदय को आलोकित करे और मानवता को एकता और सद्भाव की राह पर अग्रसर करता रहे। प्रकाश पर्व की सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ!

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