*शक्ति, समानता और समृद्धि का उत्सव*

*जी-100 महाकुंभ महिला सम्मेलन 2025 का आयोजन ग्लोबल इंटरफेथ वाश एलायंस (जीवा) और जी 100 द्वारा किया गया इसमें यूनिसेफ इंडिया द्वारा सामाजिक और व्यवहार परिवर्तन में तकनीकी समर्थन प्राप्त*
*108 शक्ति सूत्र शान्ति और समृद्धि’ डा हरबीन अरोड़ा राय और विनय राज द्वारा रचित पुस्तक का विमोचन*

*सभी प्रतिभागियों ने अरैल तट पर आयोजित संगम आरती में किया सहभाग*

प्रयागराज। महाकुंभ 2025 परमार्थ निकेतन शिविर, परमार्थ त्रिवेणी पुष्प, प्रयागराज में तीन दिवसीय ’महिला शक्ति शिखर सम्मेलन और रिट्रीट’ का आयोजन किया गया। इस रिट्रीट का उद्देश्य महिला सशक्तिकरण, समानता और समृद्धि पर चर्चा करना है। यह आयोजन नारी शक्ति, समानता और समृद्धि के सिद्धांतों के अंतर्गत नारियों के लिए शक्ति, समानता और समृद्धि के पहलुओं को उजागर करना है। इस सम्मेलन में देश-विदेश से प्रेरणादायक नारी शक्ति व विभूतियों ने सहभाग कर समाज में सकारात्मक बदलाव हेतु विशद् चर्चा की।
शिखर सम्मेलन का उद्घाटन ‘नारी शक्ति’ विश्वास, संगम और सह-निर्माण के साथ जीवन और समाज को बदलना’ विषय के साथ हुआ। यह उद्घाटन व्याख्यान नारियों के अद्वितीय योगदान, शक्ति और समाज में उसकी भूमिका को बढ़ावा देने के लिए किया गया।
शिखर सम्मेलन में हीलिंग सर्कल मेडिटेशन, शांति और एकता पर संवाद तथा नारियों की दिव्य शक्ति जैसे विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए। इसमें योग, ध्यान, कीर्तन, सत्संग और आरती जैसे धार्मिक अनुष्ठान भी किए जा रहे हैं जिसके माध्यम से भागीदारों को आंतरिक शांति और साधना का दिव्य अनुभव हो रहा है।
जी-100 महाकुंभ महिला शिखर सम्मेलन 2025 का उद्घाटन डा साध्वी भगवती सरस्वती जी, श्री अर्जुन मुंडा जी (पूर्व केंद्रीय मंत्री और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री), जी 100 की संस्थापक, डॉ. हरबीन अरोड़ा राय जी, राज्यसभा सांसद, प्रियंका चतुर्वेदी, शिक्षा विशेषज्ञ श्री डा विनय राय, मानसी महाजन, योगाचार्य इरा चतुर्वेदी आदि अनेक विभूतियों ने दीप प्रज्वलित कर किया।
डा साध्वी भगवती सरस्वती जी ने जी-100 महाकुंभ महिला शिखर सम्मेलन को सम्बोधित करते हुये कहा कि महाकुम्भ मेले में आना ही सबसे बड़ा सौभाग्य है। इस अवसर पर शक्ति की चर्चा करना वास्तव में सर्वश्रेष्ठ है। हम सभी माँ गंगा, यमुना और सरस्वती जी की गोद में बैठे हैं। हमने संगम के माध्यम से स्वयं में स्नान किया; हमने इन दिव्य नदियों की शक्ति में स्नान किया।
साध्वी जी ने कहा कि लोग नारी सशक्तिकरण की बात करते हैं। हम यहां पर नारी सशक्तिकरण के लिये एकत्र नहीं हुये हैं। नारियाँ अपने आप में सशक्त है अगर हम देखे कि सृिष्ट और प्रकृति शक्ति के शब्द हंै; मातृत्व की शक्ति का परिचायक है इसलिये नारी शक्ति को सशक्त करने की नहीं बल्कि नारियों को अपनी शक्ति को पहचानने की जरूरत है। नारियों को स्वयं की शक्ति को पहचानना होगा। नारियों को अपने आप को साबित करने के लिये किसी के पीछे भागने की जरूरत नहीं है बल्कि स्वयं को; स्वयं की शक्ति को पहचानने की जरूरत है।
श्री अर्जुन मूंडा जी ने कहा कि वर्तमान समय में जीवन का स्पदंन नष्ट हो रहा है। जीवन का मूल नष्ट हो रहा है। हमें उस ऊर्जा को बचा कर रखना है जो हमारे अस्तित्व का आधार है। भारतीय संस्कृति व ज्ञान ने हमें जीवन के स्पदंन को नष्ट करने की शिक्षा नहीं दी है इसलिये हमें उसका संरक्षण करना है। उन्होंने कहा कि धर्म, कर्मकांड और पूजा में ही नहीं है बल्कि प्रकृति से जो भी हमें प्राप्त होता है, प्रकृति के साथ जो अपने अस्तित्व से खड़ा है, जिसका ब्रह्मण्ड में अस्तित्व है वह सब धर्म है। अपने दायित्व को पूरा करने का संदेश व जीवन का लक्ष्य महाकुम्भ हमें प्रदान करता है।
आदिवासी का मूल है प्रकृति के साथ रहना। वे कलकल करते जल, पक्षियों के साथ जहां पर पत्थर व पहाड़ भी बोलते है वहां रहते हैं। शहर में रहने वाले लोगों के पास सम्पति हो सकती है परन्तु आदिवासियों के पास सम्पदा है; शक्ति है; ऊर्जा है। सम्पति वाले विकसित हो सकते हैं परन्तु जिनके पास सम्पदा है वह बेकवर्ड नहीं है। नारी, सशक्त भारत की सबसे बड़ी विशेषता है इसलिये हम भारत को भारत माता कहते हैं।
प्रियंका चतुर्वेदी जी ने कहा कि महिलाओं को सशक्तिकरण की जरूरत नहीं है, महिलायें स्वयं में सशक्त है बस जरूरत है तो उस शक्ति को पहचानने की जो उनके अन्दर ही समाहित है।
सभी ने संकल्प लिया कि हम समानता, समृद्धि और शक्ति के मार्ग पर आगे बढ़ेंगे, ताकि समाज में नारियों को हर क्षेत्र में समान अवसर मिल सकें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *