हरिद्वार। स्वामी रामभजन वन महाराज ने कहा कि 18 फरवरी, शनिवार को सर्वार्थ सिद्धि योग में महाशिवरात्रि व्रत रखा जायेगा। वहीं निशित काल, रात्रि में भगवान शिव का विवाह होगा। इस साल 2023 में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 18 फरवरी को शाम 05 बजकर 55 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 19 फरवरी को 03 बजकर 32 मिनट पर समाप्त होगी। प्रदोष पूजन 07.11 तक ही कर ले तो उत्तम होगा।
देश विदेश में भारतीय संस्कृति की पताका फहराने वाले, लाखों भटके हुए लोगों को वापस सनातन संस्कृति से जोड़ने वाले श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी, भारत के प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय संत एवं शिवोपासना संस्थान डरबन साऊथ अफ्रीका के संस्थापक स्वामी राम भजन वन महाराज ने कहा कि महाशिवरात्रि का पावन पर्व 18 फरवरी, दिन शानिवार को मनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि हिन्दु पौराणिक कथाओं के अनुसार, शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस साल यह 18 फरबरी 2023, दिन शनिवार को पड़ रहा है। शिवरात्रि का पर्व सर्दियों के अंत और वसंत की शुरुआत का भी प्रतीक है,और माना जाता है कि यह शिव और शक्ति के अभिसरण का दिन है, सनातन शास्त्रों में निहित है कि महाशिवरात्रि को देवों के देव महादेव और माता पार्वती का विवाह हुआ है, अतः इस दिन का विशेष महत्व है। शास्त्रों में महाशिवरात्री की पूजा निशिता काल में करने का ही विधान है, साल 2023 में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 18 फरवरी को शाम 05 बजकर 55 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 19 फरवरी को 03 बजकर 32 मिनट पर समाप्त होगी। प्रदोष पूजन 07.11 तक ही कर ले तो उत्तम होगा,बाबा को बिल्वपत्र एवं दूध से जरूर स्नान करवाये, संभव हो तो इस दिन रुद्राभिषेक करवाये। इसका फल अन्य दिनों के अपेक्षा काफ़ी ज्यादा फलदाई है! स्वामी राम भजन 1 महाराज ने कहा कि देवों के देव महादेव की आराधना सभी के लिए मंगलकारी है। इसलिए देवता, दानव, यक्ष, गंधर्व, किन्नर सभी समान रूप से भगवान शिव की आराधना करते हैं। भगवान शिव को सृष्टि का संहारक भी कहा जाता है। भगवान शिव की आराधना करने वाले भक्त का काल भी कुछ नहीं बिगाड़ सकता है। महामृत्युंजय का जाप करने से साधक की अकाल मृत्यु नहीं होती है।