साक्षरता वह दीप है, जो अज्ञान के अंधकार को मिटाकर जीवन को प्रकाशमय बनाती है : स्वामी चिदानन्द सरस्वती
भाषा, विविधताओं में सौहार्द का बीज बो सकती है : स्वामी चिदानन्द सरस्वती
ऋषिकेश। आज सम्पूर्ण विश्व अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस मना रहा है। यह दिवस हमें यह स्मरण कराता है कि साक्षरता केवल अक्षर पहचानने की क्षमता नहीं, बल्कि आत्मबोध, आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता की राह है। इस वर्ष की थीम बहुभाषी शिक्षा को बढ़ावा देना, आपसी समझ और शांति के लिए साक्षरता रखी गयी है। जो मानवता को एक नई दिशा की ओर अग्रसर करेगी।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि जब एक बच्चा अक्षर पहचानना सीखता है, तब वह केवल शब्द नहीं पढ़ता, बल्कि अपने जीवन का नया अध्याय लिखना शुरू करता है। साक्षरता ही सच्ची स्वतंत्रता है, जो मनुष्य को अज्ञान, भय और असमानता से मुक्त करती है।
आज भी विश्व में अनेक लोग अशिक्षा की बेड़ियों में जकड़े हुए हैं। यह केवल आँकड़े नहीं हैं, बल्कि मानवता के सपनों पर लगा ताला हैं। शिक्षा से वंचित रहना केवल अक्षरों का अभाव नहीं है, बल्कि अवसरों, आत्मविश्वास और उज्ज्वल भविष्य से वंचित रहना है। बहुभाषी शिक्षा इस ताले को खोलने की कुंजी है, जो बच्चों और युवाओं को उनकी मातृभाषा में सहज ज्ञान देती है और उन्हें वैश्विक संवाद से भी जोड़ती है।
स्वामी जी ने कहा कि भारत एक ऐसा देश है जहाँ विविधता ही पहचान है। यहाँ अनेक भाषाएँ और बोलियाँ हैं, और यही हमारी ताकत भी है। नई शिक्षा नीति ने मातृभाषा में शिक्षा को प्राथमिकता देकर इस वर्ष की थीम को और अधिक सार्थक बना दिया है।
स्वामी जी ने कहा कि मातृभाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं है, बल्कि यह हमारे संस्कारों और संस्कृति की आत्मा है। जब बच्चा अपनी भाषा में सीखता है, तब उसकी जड़ें मजबूत होती हैं और वह विश्व के साथ भी आत्मविश्वास से खड़ा हो सकता है।
साक्षरता केवल ज्ञान नहीं, जागरूकता और आत्मविश्वास का संकल्प है। एक साक्षर समाज में संवाद की दीवारें टूटती हैं तथा समझ और विश्वास बढ़ता है। बहुभाषी शिक्षा का अर्थ है, एक-दूसरे की संस्कृति, भाषा और पहचान को सम्मान देना। यही सम्मान शांति की पहली सीढ़ी है।
आज का युवा वर्ग डिजिटल युग में है लेकिन डिजिटल साक्षरता तभी सार्थक होगी जब मूल साक्षरता मजबूत होगी। स्वामी जी ने युवाओं से आह्वान किया, आपके हाथ में मोबाइल की स्क्रीन है, लेकिन यदि आँखों में साक्षरता का प्रकाश नहीं है, तो वह स्क्रीन केवल भ्रम है। साक्षरता ही वह शक्ति है, जो आपकी दृष्टि को सकारात्मक बनाती है और आपको दुनिया को बदलने का साहस देती है।
स्वामी जी ने कहा कि एक दीप से दूसरा दीप जलता है। वैसे ही एक साक्षर व्यक्ति, दस अन्य लोगों को साक्षर बना सकता है। आइए, हम सब मिलकर शिक्षा और साक्षरता की ज्योति को ऐसा फैलाएँ कि अज्ञान का अंधकार कहीं शेष न रहे।
साक्षरता केवल भविष्य की कुंजी नहीं, बल्कि वर्तमान का प्रकाश भी है। शिक्षा किसी वर्ग, लिंग, भाषा या क्षेत्र तक सीमित न हो बल्कि यह हर व्यक्ति का अधिकार है। जब हम बहुभाषी शिक्षा को बढ़ावा देंगे, तभी हम अपनी विविधता को एकता में बदल पाएँगे और विश्व को शांति का मार्ग दिखा पाएँगे।