*💐परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में विश्व के कई देशों से आये विश्व विख्यात चिकित्सकों ने दीप प्रज्वलित कर दस दिवसीय मोतियाबिंद शिविर का किया उद्घाटन*
*💥उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, दिल्ली, नजीबाबाद, पंजाब, महाराष्ट्र, हरियाणा, गुजरात आदि अन्य राज्यों से लोग चिकित्सा सुविधाओं का ले रहे लाभ*
*🌸नेत्र ज्योति महाज्योति*
*💥मोतियाबिंद आपरेशन शिवर 15 नवम्बर से 25 नवम्बर, 2025, परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश*
*🌸सभी मोतियाबिंद चिकित्सा सुविधाओं का लाभ ले सकते हैं*
*💐सभी आमंत्रित सब के लिये निःशुल्क*
ऋषिकेश, 17 नवम्बर। परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश में स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में विश्व विख्यात चिकित्सकों द्वारा मोतियाबिंद ऑपरेशन दस दिवसीय शिविर का उद्घाटन किया। इस दस दिवसीय शिविर का दीप प्रज्वलित कर शुभारंभ किया गया, जिसमें विश्व के कई देशों से आये विशेषज्ञ चिकित्सकों ने सहभाग किया। इस शिविर का उद्देश्य वृद्धजनों को नेत्र ज्योति और नई रोशनी प्रदान करना है।
शिविर में उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, दिल्ली, नजीबाबाद, पंजाब, महाराष्ट्र, हरियाणा, गुजरात आदि अन्य राज्यों से लोग चिकित्सा सुविधाओं का लाभ ले रहे हैं। इस शिविर में अत्याधुनिक उपकरणों और तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है, मोतियाबिंद मरीजों को उच्च गुणवत्ता की चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही है। प्रतिदिन 35 से 40 मोतियाबिंद के आपरेशन किये जा रहे है।
परमार्थ निकेतन का यह प्रयास नेत्र ज्योति महाज्योति का प्रतीक है, जो समाज के सभी वर्गों को निःशुल्क चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करने का एक महासंकल्प है। उन्होंने कहा कि मोतियाबिंद ऑपरेशन के माध्यम से कई लोगों की दृष्टि सुधारने का यह प्रयास विगत 20 वर्षों से निरंतर चल रहा है और भविष्य में भी इस तरह के शिविरों का आयोजन किया जाएगा।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि समाज के अभावग्रस्त और निराश्रित लोगों को चिकित्सा सेवाएं प्रदान करना एक उत्कृष्ट सेवा है, परन्तु वृद्ध जनों की दृष्टि वापस लौटाना सबसे बड़ी सेवा है। चिकित्सा सुविधायें प्रदान करना सेवा का सबसे बड़ा रूवरूप है, जिसमें हम दूसरों के जीवन में खुशियाँ और रोशनी लाते हैं। समाज के सभी वर्गों में एक नई ऊर्जा और प्रेरणा का संचार होता है।
आस्ट्रेलिया से आयी डा पूर्णिमा राय जी ने कहा कि परमार्थ निकेतन द्वारा आयोजित मोतियाबिंद ऑपरेशन शिविर को एक विशिष्ट पहचान दी है। इस शिविर का उद्देश्य नेत्रहीनों को दृष्टि देने के साथ-साथ उन वृद्ध जनों के जीवन में प्रकाश लाना है, जो विभिन्न कारणों से अपनी दृष्टि खो चुके हैं। यह शिविर समाज के उन लोगों के लिए एक नई उम्मीद का स्रोत बना हुआ है, जिन्हें नेत्र चिकित्सा सेवाओं की अत्यंत आवश्यकता है। पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के नेतृत्व में इस शिविर में विश्वभर से आये हुए चिकित्सा विशेषज्ञों ने सहभाग किया है। इन चिकित्सकों ने अपने अनुभव और तकनीकी कौशल से मरीजों को सर्वश्रेष्ठ नेत्र चिकित्सा सेवाएं प्रदान की जा रही हैं। अत्याधुनिक तकनीकों और उपकरणों का उपयोग कर मोतियाबिंद के ऑपरेशन किए, जिससे मरीजों की दृष्टि वापस लौटाई जा सके।
वरिष्ठ चिकित्सक डा मनोज पटेल जी ने कहा कि पूज्य स्वामी जी की कृपा से सेवा की यह गंगा कई वर्षों से प्रवाहित हो रही है। उन्होंने कहा कि हम यहां आकर केवल चिकित्सा सेवायें ही प्रदान नहीं करते बल्कि भारत की धरती पर आकर हमें भी शान्ति प्राप्त होती है। हमारी आत्मा तृप्त हो जाती है। हमारा तन भले ही विदेश में हो परन्तु मन और आत्मा भारत व भारतीय संस्कृति के रंगों से रंगी है। माँ गंगा और पूज्य स्वामी जी के श्री चरणों में आकर हमारी भी चिकित्सा; हमारा भी ट्रीटमेंट हो जाता है। हमारे तन से सेवा होती है और हमारे मन, दिल, आत्मा का ट्रीटमेंट अपने आप हो जाता है। परमार्थ निकेतन आकर गंगा का ध्यान और समय का दान करने का अवसर प्राप्त होता है।
मोतियाबिंद चिकित्सा शिविर के माध्यम से मरीजों निःशुल्क आपरेशन सुविधायें, दवाईयां, लेंस, रहने व भोजन की सर्वोत्तम व्यवस्थायें परमार्थ निकेतन द्वारा प्रदान की जा रही है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने सभी चिकित्सकों और स्वयंसेवकों को धन्यवाद दिया और उनके समर्पण की सराहना की। डॉ. मनोज पटेल, डॉ. पूर्णिमा रॉय, मिलिंद भिड़े, डॉ. जया मधुरी, डॉ. विजयलक्ष्मी, डॉ. संपत, डॉ. योग डॉ. हेतवी भट्ट, डॉ हाउ ट्रंक, डॉ. श्याम चंद परख, डॉ. सेंटन पोननियाह, डॉ. मोनिका कतलीन टेक्सी डॉ. विशाल भटनागर और अंजुला डॉ. विवेक जैन डॉ. विशाल भटनागर, वासवी, विमल रॉय, एलिस क्रॉफ्ट, जेनी मॉरिस, डेविड बटलर, मोनिका मूरी, डोना नॉर्टन, मेरी क्रॉफ्ट, सुनीता हरीश किरण रॉय, जय प्रज्ञा आर्य, गुरु प्रसाद जी, स्वाति, श्रीमती मंजू, श्री भट्ट और श्री इयान, रीकी हेतवीयोला मौरचेड, श्री नीलाई हेमंत सक्सेना, श्रीमती रेनू सक्सेना राकेश, प्रतीमा सक्सेना, निखिल सक्सेना, रत्नेश्वरी टंग्गावेल्लू, श्रीमती थेवरत्नम्मा पोननियाह डॉ. किंशुक बिस्वास, श्रीमती पियाली बिस्वास, श्रीमती महालिंगशिवम महंता और मालिनी, श्रीमती ब्रिजेट हांग फाम, श्री परमालिंगन श्री स्टीफन डीन सिटको और श्रीमती अंजुला भटनागर आदि अन्य चिकित्सकों और सहायक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।