-डा. अम्बेडकर इंटरनेशनल सेंटर नई दिल्ली में आयोजित आचार्य सुशील जी जन्म शताब्दी महोत्सव में परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, भारत के 14 वें राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद जी, सरकार्यवाह, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ श्री दतात्रेय होसबाले जी, अध्यक्ष विश्व हिन्दु परिषद्, श्री आलोक कुमार जी, चेयरमैन राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोज श्री किशोर मकवाना जी, चेयरमैन, विश्व अहिंसा संघ ट्रस्ट, श्री गौतम ओसवाल जी, वाइस चेयरमैन, श्री कमल ओसवाल जी और अनेक गणमान्य विभूतियों की गरिमामयी उपस्थिति
-संयोजक, आचार्य सुशील जन्म शताब्दी महोत्सव श्री सत्य भूषण जैन जी ने सभी अतिथियों का किया अभिनन्दन
-गुरू कभी जाते नहीं वे सदैव हमारे भीतर ही रहते हैं
नई दिल्ली। डा. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित आचार्य सुशील जी महाराज की जन्म शताब्दी महोत्सव का भव्य एवं प्रेरणादायक आयोजन देश की प्रतिष्ठित आध्यात्मिक, सामाजिक और राजनीतिक विभूतियों की गरिमामयी उपस्थिति में संपन्न हुआ। यह महोत्सव विशेष रूप से पर्यावरण वर्ष के रूप में समर्पित किया गया, जिससे यह आयोजन एक पुण्य स्मृति के साथ ही आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का सशक्त माध्यम भी है।
इस अवसर पर भारत के 14वें राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद जी, परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष, स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले जी, विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष श्री आलोक कुमार जी, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के चेयरमैन श्री किशोर माकवाना जी, और अन्य अनेक गणमान्य अतिथियों ने कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।
महोत्सव के संयोजक श्री सत्य भूषण जैन जी ने सभी अतिथियों का आत्मीय स्वागत करते हुए बताया कि यह शताब्दी समारोह केवल स्मरण का अवसर नहीं है, बल्कि आचार्य सुशील जी महाराज के मूल्यों और शिक्षाओं को आत्मसात कर उन्हें आधुनिक युग के संदर्भ में पुनर्परिभाषित करने का दिव्य प्रयास भी है।
आचार्य सुशील जी महाराज एक युगपुरुष, एक पर्यावरण संत थे। आचार्य सुशील जी महाराज एक ऐसे युगद्रष्टा थे, जिन्होंने न केवल अहिंसा और आध्यात्मिकता का मार्ग दिखाया, बल्कि पर्यावरण संरक्षण, वैश्विक शांति, सर्वधर्म समभाव और मानवीय एकता जैसे विषयों को अपने जीवन का आधार बनाया। उनका मानना था कि जब तक हम अपनी आत्मा के प्रति सजग नहीं होंगे, तब तक पृथ्वी के प्रति सजग नहीं हो सकते।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने इस अवसर पर कहा, आचार्य श्री केवल जैन समाज के नहीं, पूरे मानव समाज के आध्यात्मिक धरोहर हैं। उन्होंने धर्म को केवल पूजा तक सीमित नहीं रखा, बल्कि उसे पर्यावरण की सेवा, सामाजिक समरसता और विश्व शांति का आधार बनाया। उनका जीवन आज की युवा पीढ़ी के लिए दिशा और दर्शन दोनों है। जन्म शताब्दी को पर्यावरण वर्ष के रूप में मनाना एक सामयिक और दूरदर्शी प्रयास है, जो वर्तमान पीढ़ी के जीवन को प्रकृति से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा।
आज जब दुनिया ग्लोबल वॉर्मिंग, जलवायु परिवर्तन, और सामाजिक विषमताओं से जूझ रही है, ऐसे समय में आचार्य सुशील जी का जीवन हमें बताता है कि अहिंसा केवल हिंसा से दूर रहना नहीं, बल्कि प्रकृति और समस्त जीवन के प्रति करुणा और संवेदना का व्यवहार करना भी है।
श्री रामनाथ कोविंद जी ने भी अपने संबोधन में आचार्य श्री की शिक्षाओं को भारत की आध्यात्मिक विरासत का महत्वपूर्ण स्तंभ बताया और कहा कि युवा वर्ग को उनके सिद्धांतों से जुड़ना चाहिए।
श्री दत्तात्रेय होसबाले जी ने कहा कि आचार्य सुशील जी महाराज ने जिस तरह से धर्म को सामाजिक उत्तरदायित्व से जोड़ा, वह आज के हर नागरिक के लिए एक प्रेरणास्रोत है।
जन्म शताब्दियां केवल भूतकाल की स्मृतियाँ नहीं होतीं, वे भविष्य का मार्ग भी प्रशस्त करती हैं। आचार्य सुशील जी महाराज की स्मृति को पर्यावरण वर्ष से जोड़ना उनके विचारों की जीवंतता का प्रमाण है।
आचार्य श्री सुशील जी महाराज के प्रति हम सभी की सच्ची श्रद्धांजलि यही है कि हम जीवन को अहिंसा, पर्यावरण सेवा और मानवीय करुणा के मूल्यों से जोड़ें। यही आचार्य सुशील जी महाराज का संदेश है, और यही भारत की आत्मा की पुकार भी है।
आचार्य सुशील कुमार जी महाराज जन्म शताब्दी महोत्सव पर्यावरण वर्ष पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने हिमालय की हरित भेंट रूद्राक्ष का दिव्य पौधा भेंट किया।