हरिद्वार। अध्यात्म चेतना संघ की ओर से मोतीमहल मंडपम्, ज्वालापुर में आयोजित किये जा रहे श्रीमद्भागवत भक्ति यज्ञ के पंचम दिवस नन्दोत्सव में प्रवेश करते हुए भगवान के प्रकट्य का कारण बताते हुए कथा व्यास आचार्य करुणेश मिश्र ने कहा कि- “भगवान के प्रकट होने का उद्देश्य तो भक्तों को आनन्द प्रदान करना, उन्हें कृतार्थ करना तथा उनका कल्याण व उद्धार करना है।”
आचार्य ने आगे कह कि, “भगवान श्रीरामचन्द्रजी ने विप्र, धेनु, सुर और संतोंका हित करने के किये ही मनुष्य का अवतार लिया था। श्रीकृष्ण को भी इसी कार्य के लिये इस धराधाम पर आना पड़ा। संसार में आकर जो मनुष्य माया के वशीभूत हो रहे हैं, उनका उद्धार करने के लिये भगवान आते हैं।” भगवान के प्राकट्य के बाद उनके गोकुल में सुरक्षित पहुँच जाने की खुशी में आज भी कथा मंडप में भजन, संकीर्तन व नृत्य-गान की आनन्द वर्षा की धूप रही। ‘कृष्ण जनम सुन आई, यशोद मैया दे दो बधाई’ जैसे बधाई गीतों की ताल पर भक्तनजन रह-रह कर नृत्य करते नज़र आये।
कथा के अन्तर्गत कृष्ण की विभिन्न बाल लीलाओं का वर्णन हुआ। भगवान के गौशाला में हुए नामकरण संस्कार के बाद, पूतना, शक्टासुर व धेनुकासुर जैसे असुरों का वध, मुखमंडल में ब्रह्मांड के दर्शन, गोपियों की मटकी भेदन, चीर हरण जैसे अनेक बाल लीलाओं का कर्णप्रिय वर्णन आचार्य करुणेश मिश्र ने किया। ‘बह जाएगी कजरे की धार ना मोपे रंग डारो’ के साथ फूलों की होली की धूम रही।
प्रतिदिन की भाँति कथा का विश्राम भगवान की आरती व प्रसाद वितरण के साथ हुआ। आज की कथा में मुख्य यजमान प्रभाष कंसल व श्रीमती ममता कंसल के साथ-साथ योगाचार्य विशाल शर्मा, अशोक सरदार, ब्रजेश शर्मा, रवीन्द्र सिंघल, योगेश शर्मा, अर्चना वर्मा तिवारी, अशोक गुप्ता, उमेश खेवड़िया, सतीश श्रीकुंज, डाॅ० राजेश उपाध्याय, कमला कांत शर्मा, प्रद्युम्न किशोर शर्मा, प्रदीप सिखौला सहित अनेक यजमान, अध्यात्म चेतना संघ के अनेक पदाधिकारी व सदस्य प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
