बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी की पुण्यतिथि पर परमार्थ निकेतन से भावभीनी श्रद्धांजलि*

भारत रत्न डॉ. भीमराव आंबेडकर जी की 69वीं पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि*

बाबा साहब की दूरदृष्टि, न्याय के प्रति अटूट निष्ठा और समानता के लिए संघर्ष सदैव प्रेरणा देते रहेंगे*

ऋषिकेश, 6 दिसम्बर। डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर जी की 69 वीं पुण्यतिथि पर परमार्थ निकेतन से भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुये स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि उन्होंने समाज को नई दिशा देने तथा पूरे राष्ट्र के बौद्धिक, सामाजिक और नैतिक ढांचे को पुनर्परिभाषित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। बाबा साहब का जीवन संघर्ष, संकल्प और सामाजिक न्याय की अविचल प्रतिज्ञा का अद्भुत प्रतीक है। उन्होंने अन्याय, भेदभाव तथा असमानता के विरुद्ध अडिग रहते हुए एक ऐसे भारत की नींव रखी जो समान अवसर, संवैधानिक अधिकारों और मानवीय गरिमा पर आधारित है।

आज जब हम बाबा साहब को याद करते हैं, तो यह उस विचार को पुनः जागृत करने का क्षण है, जिसे उन्होंने समता, सम्मान और न्याय के रूप में जीवनभर जिया। भारत के संविधान के मुख्य शिल्पकार के रूप में उन्होंने केवल कानूनों का संग्रह ही नहीं बनाया, बल्कि भारत के भविष्य का नैतिक और सांस्कृतिक मार्गदर्शन निर्धारित किया। उनकी संवैधानिक दृष्टि केवल व्यवस्था चलाने का ढांचा नहीं थी बल्कि वह भारतीय समाज के लिए एक मानवीय घोषणा-पत्र थी, जो कहता है कि प्रत्येक व्यक्ति का जीवन, उसकी जाति, वर्ग, लिंग या परिस्थिति से ऊपर, सम्मान के योग्य है।

डॉ. अम्बेडकर जी ने समाज के सबसे हाशिये पर खड़े लोगों को आवाज दी, उन्हें आत्मविश्वास दिया और दमनकारी सामाजिक ढांचों को चुनौती दी। शिक्षा को उन्होंने मुक्ति का सबसे प्रभावी साधन माना। उन्होंने कहा था “शिक्षित बनो, संगठित रहो, संघर्ष करो” और यह संदेश आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना उनके समय में था।

महिला अधिकारों, श्रमिक अधिकारों और सामाजिक न्याय के लिए उनके दृष्टिकोण ने भारत की लोकतांत्रिक संरचना को मजबूत किया और देश को एक समतामूलक राष्ट्र बनने की दिशा में अग्रसर किया।

आज, जब दुनिया तीव्र परिवर्तन के दौर से गुजर रही है, सामाजिक तनाव, आर्थिक असमानता, डिजिटल विभाजन, और नई-नई चुनौतियों से भरी, तब बाबा साहब की सोच युवाओं को दिशा दिखाने वाली उज्ज्वल किरण है।

उनकी चेतावनी कि राजनीतिक समानता तब तक अधूरी है, जब तक सामाजिक और आर्थिक समानता प्राप्त न हो जाए, आज भी हमारे सामने एक गंभीर प्रश्न रखती है। हमारे लिए यह समझना अनिवार्य है कि विकास तभी सार्थक है, जब वह समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे। जब तक शिक्षा, अवसर, और न्याय सबके लिए समान रूप से उपलब्ध नहीं होंगे, तब तक बाबा साहब के सपनों का भारत अधूरा ही रहेगा।

आज का भारत प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में अभूतपूर्व प्रगति कर रहा है, तकनीक, अंतरराष्ट्रीय सहयोग, नवाचार, स्टार्ट-अप्स, और डिजिटल विकास के माध्यम से आगे बढ़ रहा है परंतु विकास तभी पूर्ण और टिकाऊ माना जाएगा, जब समाज के हर वर्ग को समान रूप से इसका लाभ मिले।

बाबा साहब अम्बेडकर की पुण्यतिथि हमें यह संदेश देती है कि उनके आदर्शों को केवल शब्दों में नहीं, बल्कि व्यवहार में जीवित रखना ही सच्ची श्रद्धांजलि है।

आज जब हम उनका स्मरण करते हैं, तो हमारे भीतर यह संकल्प जागृत होना चाहिए कि हम एक ऐसा समाज बनाएँ जहाँ कोई भी व्यक्ति अपनी पृष्ठभूमि, जाति या आर्थिक स्थिति के कारण पीछे न रह जाए।

उनकी विरासत हमें प्रेरित करती है कि हम निरंतर एक ऐसे भारत के निर्माण में योगदान दें, जो न्याय, समानता और सामाजिक सद्भाव पर आधारित हो, वह भारत, जिसका सपना बाबा साहब ने देखा था और जिसके लिए उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित किया।

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