परमार्थ निकेतन से भारतीय नौसेना के अदम्य पराक्रमियों को शत-शत नमन*

परमार्थ निकेतन की सम्पूर्ण गुरू परम्परा राष्ट्रभक्ति के भावनाओं से ओतप्रोत*

भारतीय नौसेना, राष्ट्र की समुद्री ढाल, पराक्रम और बलिदान की अमर गाथा*

स्वामी चिदानन्द सरस्वती*

ऋषिकेश, 4 दिसम्बर। भारतीय नौसेना दिवस 2025 के इस पावन अवसर पर परमार्थ निकेतन परिवार, अनंत सागर की गर्त में दिन-रात राष्ट्र की रक्षा में समर्पित उन सभी साहसी, अनुशासित और अद्वितीय वीरों की देशभक्ति को नमन करते हैं, जिनके पराक्रम ने भारत की मर्यादा और सुरक्षा को अटूट आधार प्रदान किया है।

परमार्थ निकेतन की सम्पूर्ण गुरु-परंपरा सनातन मूल्यों के साथ-साथ अदम्य राष्ट्रभक्ति की भावना से ओतप्रोत रही है। इस पवित्र परंपरा के प्रत्येक गुरु ने देश को ईश्वर का जीवंत स्वरूप मानकर राष्ट्र-सेवा को साधना का सर्वाेच्च मार्ग माना है। राष्ट्र की अखंडता, सुरक्षा और संस्कृति की रक्षा के लिए वे निरंतर जनजागरण, सद्भाव और समर्पण का संदेश देते आए हैं।

गंगा तट पर स्थित परमार्थ निकेतन केवल आध्यात्मिक साधना का केंद्र नहीं, बल्कि राष्ट्रनिर्माण की प्रेरणा का दिव्य संगम है, जहाँ हर श्वास में “वसुधैव कुटुम्बकम्’’ और हर कर्म में “मेरा भारत महान” का भाव प्रकट होता है। आज स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज के पावन सान्निध्य में परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों ने समुद्र की अनंत लहरों पर डटे नौसेना के वीरों के लिये विशेष प्रार्थना की।

भारतीय नौसेना केवल एक सैन्य शक्ति नहीं है; वह भारत माता की वह सुदृढ़ ढाल है, जो अथाह सागर की अनिश्चित लहरों, भीषण तूफानों और अनगिनत चुनौतियों के मध्य भी राष्ट्र की रक्षा हेतु दृढ़ता से खड़ी रहती है।

भारत के विस्तृत समुद्री तट, व्यापारिक मार्ग और वैश्विक जल-परिसर हमारे देश की अर्थव्यवस्था ही नहीं, बल्कि हमारी सामरिक और कूटनीतिक शक्ति की जीवन-रेखा हैं। इन सबके प्रहरी बनकर भारतीय नौसेना हमारे वर्तमान और भविष्य दोनों को सुरक्षित बनाती है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि भारतीय नौसेना के वीरों के अनुशासन, धैर्य, त्याग और सर्वाेच्च बलिदान को शब्दों में बाँधना संभव नहीं है। विशाल सागर की गर्जनाओं के बीच, जहाँ कदम-कदम पर जोखिम और अनिश्चितता है, वहाँ खड़े ये पराक्रमी योद्धा अपनी जान की परवाह किए बिना राष्ट्रध्वज को ऊँचा रखते हैं। इनका जीवन भारतीय संस्कृति के इस उच्चतम आदर्श राष्ट्र सर्वाेपरी का सजीव उदाहरण है।

स्वामी जी ने भावपूर्ण शब्दों में कहा कि आज नौसेना दिवस पर हम उन अमर शहीदों को भी नमन करते हैं जिन्होंने भारत की रक्षा हेतु अपने प्राणों का बलिदान दिया। उनका बलिदान हमारी सुरक्षा का आश्रय, हमारे गौरव का आलोक और हमारी राष्ट्रीय चेतना का प्रेरणास्रोत है। आने वाली अनेक पीढ़ियाँ उनके त्याग, साहस और तपस्या से प्रेरणा प्राप्त करती रहेंगी।

स्वामी जी ने यह भी कहा कि बदलते विश्व परिदृश्य में समुद्री शक्ति का महत्व अत्यधिक बढ़ गया है। ऐसे समय में भारतीय नौसेना न केवल हमारी सीमाओं की संरक्षक है, बल्कि मानवता, शांति और वैश्विक सद्भाव के लिए भी निरंतर कार्यरत है।

आज का दिन नौसैनिक परिवारों को भी समर्पित है, जो अपने स्वजनों व संतानों को राष्ट्र-सेवा में अर्पित कर देते हैं। उनके धैर्य, त्याग और मौन तपस्या ने ही इन वीरों के संकल्प को और भी मजबूत बनाया है। राष्ट्र उन परिवारों का सदैव ऋणी रहेगा।

भारतीय सेना के जवानों को परमार्थ निकेतन का हर साधक, हर संत और भारत का हर हृदय नमन करता है।

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