*💥परमार्थ निकेतन में आयोजित दस दिवसीय मोतियाबिंद चिकित्सा शिविर का आज समापन*
*✨भारत, आस्ट्रेलिया, अमेरिका, इग्लैंड, नेपाल सहित अन्य देशों के नेत्र चिकित्सा विशेषज्ञ प्रदान की उत्कृष्ट सेवायें*
*अमेरिका से आये वरिष्ठ नेत्र चिकित्सक डा मनोज पटेल, आस्ट्रेलिया डा पूर्णिमा राय, डॉ. योगा, डॉ. विवेक जैन, डॉ. संपथ, डॉ. अश्विनी सुहासराव, डॉ. इरीना, डॉ. साई सुश्रुथा पेरुरी, डॉ. पारुल देसाई, डॉ. सतीश देसाई, डॉ. कलई, डॉ. आनंद चंद्रशेखरन, डॉ. विजयलक्ष्मी वद्रेवी, डॉ. भट्ट, डॉ. नीलिमा गाँधम, डॉ. जया माधुरी, डॉ. मनोज पटेल, डॉ. रोजी आहूजा आदि चिकित्सकों ने परमार्थ निकेतन से ली विदा*
*🌺एक हजार से अधिक जांच और 264 मोतियाबिंद के सफल आपरेशन*
*उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश के बिजनौर, शामली, नजीबाबाद, सहारनपुर, दिल्ली, आदि स्थानों से आये रोगियों की निःशुल्क जांच, विजन टेस्टिंग, मोतियाबिंद के आपरेशन, दवाइयां, निःशुल्क आवास और भोजन की व्यवस्थायें*
*🌸जहां सेवा है, वहीं साधना है, और जहां साधना है, वहीं सच्चा परमार्थ*
*स्वामी चिदानन्द सरस्वती*
। मां गंगा के पावन तट, स्वामी चिदानंद सरस्वती जी और साध्वी भगवती सरस्वती जी के दिव्य सान्निध्य और परमार्थ निकेतन के पवित्र वातावरण में आज दस दिवसीय निःशुल्क मोतियाबिंद चिकित्सा शिविर का समापन हुआ जो चिकित्सा सेवाओं के साथ मानवता, करुणा और वैश्विक एकता का अद्भुत संगम है।
इस शिविर में भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और नेपाल सहित अनेक देशों से आये वरिष्ठ नेत्र चिकित्सा विशेषज्ञों ने अपनी सेवाएं प्रदान कीं। शिविर में एक हजार से अधिक रोगियों की नेत्र जांच और 264 मोतियाबिंद ऑपरेशन निःशुल्क सम्पन्न हुए। उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, दिल्ली, बिजनौर, नजीबाबाद, शामली, सहारनपुर आदि क्षेत्रों से बड़ी संख्या में आए मरीजों को निःशुल्क विजन टेस्टिंग, दवाइयां, आवास, भोजन और मोतियाबिंद ऑपरेशन की सुविधा प्रदान की गई।
अमेरिका से पधारे डा. मनोज पटेल, ऑस्ट्रेलिया से डा. पूर्णिमा राय, डा. योगा, डा. विवेक जैन, डा. संपथ, डा. अश्विनी सुहासराव, डा. इरीना, डा. साई सुश्रुथा पेरुरी, डा. पारुल देसाई, डा. सतीश देसाई, डा. कलई, डा. आनंद चंद्रशेखरन, डा.विजयलक्ष्मी वद्रेवी, डा. भट्ट, डा. नीलिमा गाँधम, डा. जया माधुरी, डा. रोजी आहूजा और कई अन्य विशेषज्ञों ने परमार्थ निकेतन में रहकर यह सेवा यज्ञ संपन्न किया। हरिद्वार के केयर नर्सिंग काॅलेज के विद्यार्थियों ने भी उत्कृष्ट सेवायें प्रदान की।
ऑस्ट्रेलिया से डा. पूर्णिमा राय ने कहा कि मां गंगा के तट पर, पूज्य स्वामी जी के सान्निध्य में सेवा का अवसर मिलना उनके जीवन का सबसे पवित्र और अविस्मरणीय अनुभव हैं। वे विगत 20 वर्षों से लगातार नवम्बर में भारत आकर मां गंगा के पावन तट पर अपनी सेवायें दें रही हैं।
यहां सेवा केवल पेशेवर कर्तव्य नहीं, बल्कि पूजा बन जाती है। हर रोगी की मुस्कान हमारे लिए प्रसाद के समान है। परमार्थ निकेतन का वातावरण, मां गंगा की शीतल लहरें और स्वामी जी की करुणा हमें यह संदेश देती हैं कि चिकित्सा केवल आंखों की नहीं, आत्मा की भी होनी चाहिए।
स्वामी चिदानंद सरस्वती जी ने कहा कि सेवा ही साधना है। जब हम किसी की दृष्टि लौटाते हैं, तो केवल उसकी आंखें नहीं, उसका विश्वास, उसका भविष्य और उसकी आशा लौटाते हैं। जो व्यक्ति सेवा करता है, वह ईश्वर का कार्य करता है। यही हमारे वेदों व सनातन धर्म का सन्देश है ‘नर सेवा ही नारायण सेवा’।”
स्वामी जी ने कि जिस प्रकार मां गंगा सभी को बिना भेदभाव के जीवन देती हैं, उसी प्रकार सेवा का भाव भी सार्वभौमिक होना चाहिए। उन्होंने कहा आज जब दुनियाभर में स्वार्थ और विभाजन बढ़ रहा है, तब ऐसे शिविर विश्व बंधुत्व और मानव एकता के सशक्त उदाहरण हैं। यहां चिकित्सा के माध्यम से प्रेम, शांति और करुणा का संदेश दिया जा रहा है।
शिविर के दौरान परमार्थ निकेतन के स्वयंसेवक और डॉक्टरों की टीम ने मिलकर सेवा की एक सुंदर श्रृंखला रची जिससे रोगियों को केवल शारीरिक उपचार ही नहीं, बल्कि मनोबल और आत्मविश्वास भी प्राप्त हुआ।
कई वृद्ध जनों ने ऑपरेशन के बाद भावविभोर होकर कहा कि उन्हें वर्षों बाद स्पष्ट दिखाई देने लगा है। किसी ने कहा, “मां गंगा ने मेरी दृष्टि लौटा दी,” तो किसी ने कहा, “अब मैं अपने पोते का चेहरा साफ देख पा रही हूँ।” ऐसे क्षण शिविर के हर चिकित्सक और सेवा टीम के लिए अमूल्य प्रसाद बन गए।

पूज्य स्वामी जी ने सभी डॉक्टरों, स्वयंसेवकों और सहयोगियों का अभिनंदन करते हुए कहा कि यह सेवा शिविर “नेत्रदान” ही नहीं, “आशा व उम्मिद” का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि “जब हम किसी को देखने की शक्ति देते हैं, तो हम केवल उसकी दृष्टि नहीं, बल्कि उसकी दिशा भी सुधारते हैं।”
चिकित्सकों ने पूज्य स्वामी जी से आशीर्वाद प्राप्त किया और कहा कि वे हर वर्ष परमार्थ निकेतन में आकर मां गंगा की गोद में सेवा यज्ञ में भाग लेना चाहेंगे। वे भावविह्वल होकर बोले कि भारत की पवित्र भूमि ने उन्हें केवल सेवा का अवसर नहीं दिया, बल्कि जीवन का गहरा अर्थ भी सिखाया।
इस शिविर में जय, गुरूप्रसाद, अशीष, कुलवंत, प्रेमराज, प्रेम, डा राठी, डा एस पी मिश्रा, करूणा, आध्या, राकेश रोशन, प्रभा गौरव, नर्सिंग केयर कालेज, हरिद्वार के विद्यार्थियों ने अद्भुत योगदान दिया।

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