-नवरात्रि, विचार, व्यवहार और जीवन में सकारात्मक बदलाव का अवसर

-वायु है तो आयु है : स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश। नवरात्रि, समाज में जागरूकता, शुद्धता और सकारात्मक परिवर्तन का अद्भुत अवसर है। यह समय है अपने भीतर और अपने आस-पास की दुनिया में दिव्यता, संयम और सत्कर्मों को स्थान देने का है। नवरात्रि हमें ‘शुद्धता बाहर, शुद्धता भीतर’ तथा व्यक्तिगत व सामाजिक स्तर पर जीवन में सकारात्मक लाने की प्रेरणा देता है।

जब हम अपने विचारों, भावनाओं और कर्मों को शुद्ध करते हैं, तभी जीवन में स्थायी संतुलन की प्राप्ति होती है। शुद्धता का अर्थ केवल व्यक्तिगत मानसिक शांति तक सीमित नहीं है। हमारे आस-पास का वातावरण भी हमारे स्वास्थ्य, जीवनशैली और मानसिक स्थिति पर गहरा प्रभाव डालता है। नवरात्रि के समय हम अपने घर, कार्यस्थल और सार्वजनिक स्थानों को स्वच्छ, व्यवस्थित और सकारात्मक ऊर्जा से भरते हैं। साफ-सुथरे परिवेश में जीवन का हर क्षण आनंद और ऊर्जा से भर जाता है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि शुद्धता केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि सामाजिक और पर्यावरणीय जिम्मेदारी भी है। इस नवरात्रि हम प्लास्टिक का उपयोग कम करें, पानी और ऊर्जा की बचत करें, पौधारोपण करें और स्वच्छता को जीवन का मंत्र बनाये, यही वास्तविक पूजा है।

इस नवरात्रि अपने भीतर और बाहर शुद्धता का संकल्प लें। अपने विचारों में अपने शब्दों में सच्चाई और अपने कर्मों में सेवा को स्थान दें। यह संकल्प न केवल आपके जीवन को सुंदर बनाएगा, बल्कि समाज और राष्ट्र में भी सकारात्मक ऊर्जा का संचार करेगा।

विश्व पर्यावरण स्वास्थ्य दिवस हमें हमारे स्वास्थ्य और पर्यावरण के बीच अटूट संबंधों का स्मरण कराता है। इस वर्ष का विषय “स्वच्छ वायु, स्वस्थ लोग” हमें यह संदेश देता है कि स्वच्छ वायु ही स्वस्थ जीवन और सतत विकास की नींव है। स्वच्छ वायु केवल एक प्राकृतिक संसाधन नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन और भविष्य का आधार भी है। वायु है तो आयु है, हर सांस जो हम लेते हैं, हमारे स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता से जुड़ी होती है। प्रदूषित वायु न केवल फेफड़ों और हृदय को प्रभावित करती है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य, बच्चों और बुजुर्गों की सुरक्षा, और जीवन की समग्र गुणवत्ता पर भी गहरा असर डालती है। वायु प्रदूषण हमारे शहरों, गाँवों और प्राकृतिक वातावरण को धीरे-धीरे कमजोर कर रहा है।

स्वामी जी ने कहा कि स्वच्छ हवा का अर्थ केवल स्वास्थ्य नहीं, बल्कि सतत विकास और जीवन के हर पहलू में स्थिरता है। जब हम अपने वातावरण को स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त बनाएंगे, तो प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण होगा, जैव विविधता सुरक्षित रहेगी और समाज और अर्थव्यवस्था भी मजबूत बनेंगे। 

विश्व पर्यावरण स्वास्थ्य दिवस हमारे जीवन और सोच में सकारात्मक बदलाव लाने का अवसर है। जब हम अपने वातावरण को स्वच्छ बनाएंगे, अपने व्यवहार को जिम्मेदार बनाएंगे और समाज में जागरूकता फैलाएंगे, तभी हम स्वस्थ जीवन और सतत विकास की दिशा में वास्तविक कदम उठा पाएंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *