*दिव्यांगता नहीं बनी बाधा, ग्रामोत्थान (रीप) परियोजना से बदल गई जिंदगी*

दो मशीनों से बढ़कर चार मशीनों तक पहुँची सिलाई की दुकान

मुख्य विकास अधिकारी हरिद्वार, श्रीमती आकांक्षा कोंडे के निर्देशों के क्रम में जनपद हरिद्वार के सभी विकासखंडों में अल्ट्रा पूवर सपोर्ट, एंटरप्राइजेज (फार्म एवं नॉन-फार्म) तथा सीबीओ स्तर के एंटरप्राइजेज की स्थापना की जा रही है। इन्हीं प्रयासों के तहत हरिद्वार जनपद के विकासखंड नारसन के खटका गांव के एक दिव्यांग युवक सत्यवीर ने ग्रामोत्थान (रीप) परियोजना की मदद से अपनी जिंदगी को नई दिशा दी है।

शारीरिक रूप से दिव्यांग और आर्थिक रूप से कमजोर परिवार से जुड़े सत्यवीर का जीवन संघर्षों से भरा हुआ था। आजीविका का साधन केवल एक छोटी सी सिलाई की दुकान थी, जिसमें मात्र दो मशीनें थीं और मासिक आय 5 से 6 हजार रुपये तक सीमित थी।

ग्रामोत्थान (रीप) परियोजना से जुड़ने के बाद सत्यवीर के जीवन में सकारात्मक बदलाव आया। दिव्यांग स्वयं सहायता समूह से जुड़कर उन्होंने एनआरएलएम की मदद से अपनी पहचान बनाई। परियोजना स्टाफ द्वारा आयोजित लगातार बैठकों ने उन्हें विभिन्न योजनाओं और लाभों के बारे में जागरूक किया।

परियोजना के तहत उनका व्यावसायिक बिजनेस प्लान तैयार किया गया। उन्हें 35,000 रुपये का अंशदान तथा बैंक से 20,000 रुपये का ऋण प्राप्त हुआ। इस सहयोग से सत्यवीर ने अपनी दुकान का विस्तार किया और अब उनके पास चार सिलाई मशीनें हैं। आज वह एक बड़ी दुकान से अपना व्यवसाय चला रहे हैं।

ग्रामोत्थान (रीप) परियोजना और अपनी मेहनत के बल पर सत्यवीर की मासिक आय बढ़कर 18 से 20 हजार रुपये हो गई है। सत्यवीर गर्व से कहते हैं— *“मैं ग्रामोत्थान परियोजना (रीप) और जिला प्रशासन का बहुत धन्यवाद करता हूँ। अब मेरी आर्थिक स्थिति बेहतर हो गई है और मैं खुशहाल जीवन जी रहा हूँ।”*

सत्यवीर की यह कहानी इस बात का प्रमाण है कि रीप परियोजना ने न केवल दिव्यांगजनों को आत्मनिर्भर बनाया है, बल्कि उन्हें समाज में सम्मानपूर्वक जीवन जीने की दिशा भी दी है।

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