-आने वाली पीढ़ियों को एक स्वच्छ, स्वस्थ और हरित पृथ्वी दें
-प्रकृति के साथ युद्ध नहीं, सहयोग : स्वामी चिदानन्द सरस्वती
ऋषिकेश। आज पूरा देश भारतीय अक्षय ऊर्जा दिवस मना रहा है। यह दिन भारत को हरित ऊर्जा के महत्व का स्मरण कराता है, साथ ही पूरे विश्व को यह सशक्त संदेश देता है कि यदि हमें प्रदूषण मुक्त, स्वच्छ और स्वस्थ भविष्य चाहिए तो अक्षय ऊर्जा ही एकमात्र मार्ग है।
भारत की संस्कृति सदैव प्रकृति के साथ सह-अस्तित्व की रही है। वैदिक ऋचाओं में सूर्य, वायु, जल और अग्नि की आराधना इसीलिए की गई क्योंकि यही तत्व हमारे जीवन और ऊर्जा के शाश्वत स्रोत हैं। आज वही प्राचीन दृष्टि आधुनिक विज्ञान के साथ मिलकर अक्षय ऊर्जा के रूप में हमारे सामने खड़ी है। सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जलविद्युत और बायोमास, ये सभी न केवल असीमित हैं, बल्कि पर्यावरण को हानि पहुँचाए बिना ऊर्जा का सतत प्रवाह सुनिश्चित करते हैं।
आज विश्व के सामने सबसे बड़ी चुनौती केवल जलवायु परिवर्तन नहीं, बल्कि वह अंधा उपभोग और स्वार्थ है जिसने वनों को काटा, नदियों को प्रदूषित किया और वायुमंडल को जहर से भर दिया। औद्योगिक क्रांति से लेकर अब तक हमने जितना प्राकृतिक ईंधन जलाया है, उसने वातावरण में इतना कार्बन और विषैली गैसें भर दी हैं कि उसके दुष्परिणाम अब स्पष्ट रूप से सामने आ रहे हैं। हिमनद पिघल रहे हैं, समुद्र का स्तर बढ़ रहा है, अनेकों लोग वायु प्रदूषण के कारण असमय मृत्यु को प्राप्त हो रहे हैं और जल व भूमि का संकट दिन-ब-दिन गहराता जा रहा है। यदि हम आज नहीं जागे तो आने वाली पीढ़ियाँ हमें कभी क्षमा नहीं करेंगी।
ऐसे समय में अक्षय ऊर्जा एक आशा की किरण बनकर सामने आई है। सूर्य हर दिन इतना प्रकाश देता है कि पूरी पृथ्वी की ऊर्जा आवश्यकताओं को कई गुना पूरा किया जा सकता है। हवा का प्रवाह मानवता को स्वच्छ ऊर्जा दे सकता है और प्रदूषण को घटा सकता है। नदियों का प्रवाह केवल जीवन ही नहीं देता, बल्कि सतत ऊर्जा का स्रोत भी है। कृषि और जैविक अपशिष्ट से ऊर्जा उत्पादन ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाते हुए पर्यावरण की रक्षा का भी मार्ग है। यह ऊर्जा केवल तकनीकी समाधान नहीं, बल्कि मानवता के अस्तित्व की रक्षा का मार्ग है।

भारत इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने 2030 तक 500 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा है। देशभर में सौर पार्क स्थापित किए जा रहे हैं, ग्रामीण क्षेत्रों में सौर पंप किसानों को आत्मनिर्भर बना रहे हैं, छतों पर सोलर पैनल आमजन को ऊर्जा उत्पादक बना रहे हैं और इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रसार से प्रदूषण घटाने की दिशा में निर्णायक कदम उठाए जा रहे हैं। यह प्रयास भारत को आत्मनिर्भर बना रहा हैं, साथ ही पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा भी बन रहे हैं।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि आज का दिन भारत के साथ ही पूरे विश्व के लिए है। भारत का संदेश स्पष्ट है “आओ, हम सब मिलकर हमाारी इस धरती को बचाएँ। स्वार्थ, उपभोग और प्रदूषण की संस्कृति छोड़ें। प्रकृति को पूजें, अक्षय ऊर्जा अपनाएँ और भविष्य को उज्ज्वल बनाएँ।” प्रकृति के साथ युद्ध नहीं, सहयोग चाहिए और यह सहयोग तभी संभव है जब विश्व अक्षय ऊर्जा को अपना धर्म, अपना कर्तव्य और अपना जीवन मंत्र बनाए।
इस अवसर पर हमें तीन संकल्प लेने होंगे स्वच्छ ऊर्जा का अधिकतम उपयोग करें, प्रदूषणकारी जीवन शैली को त्यागें और प्रकृति का सम्मान करते हुए वृक्षारोपण, जल संरक्षण और संतुलित उपभोग को अपनाएँ। यही संकल्प हमें प्रदूषण मुक्त विश्व की ओर ले जाएगा।
अब हमारे अस्तित्व का प्रश्न है। सूर्य का प्रकाश, वायु का प्रवाह, जल की धारा और धरती की हरियाली ही आने वाले कल का वास्तविक धन हैं। इस भारतीय अक्षय ऊर्जा दिवस पर आओ हम सब मिलकर यह संकल्प लें कि आने वाली पीढ़ियों को एक स्वच्छ, स्वस्थ और हरित पृथ्वी देंगे। यही हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है और यही मानवता की सबसे बड़ी सेवा है।

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