-ईशा देओल तख्तानी और उनके पति श्री भरत तख्तानी ने स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और साध्वी भगवती सरस्वती जी से भेंट कर लिया आशीर्वाद
-हिमालय की हरित भेंट रूद्राक्ष का पौधा किया भेंट
ऋषिकेश। सिनेमा की चकाचैंध से आध्यात्मिक दिव्यता की ओर एक प्रेरणादायक यात्रा के तहत, प्रसिद्ध बॉलीवुड अभिनेत्री एवं धर्मेंद्र जी और हेमा मालिनी जी की सुपुत्री ईशा देओल तख्तानी अपने पति, व्यवसायी श्री भरत तख्तानी के साथ परमार्थ निकेतन पधारीं। इस पावन अवसर पर उन्होंने माँ गंगा की आरती में सहभाग किया और पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी एवं साध्वी भगवती सरस्वती जी से भेंट कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया।
परमार्थ गंगा तट पर सूर्यास्त के समय आयोजित हुई दिव्य आरती में भाग लेकर दोनों अतिथि अत्यंत भावविभोर हुए। दीपों की रोशनी, वेद मंत्रों की गूंज और गंगा मैया के दर्शन ने उनके हृदय को अध्यात्म से ओतप्रोत कर दिया। गंगा जी की आरती के पश्चात स्वामी जी ने उन्हें हिमालय की हरित भेंट रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया, जो प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण का दिव्य प्रतीक है।

ईशा देओल तख्तानी ने कहा, परमार्थ निकेतन आकर आत्मा को जो शांति मिली है, वह शब्दों से परे है। परमार्थ निकेतन केवल एक आश्रम नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक ऊर्जा केंद्र है जहाँ मन, बुद्धि और आत्मा तीनों को विश्राम मिलता है।
इस अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा, सिनेमा समाज को जागरूक करने का एक सशक्त माध्यम है और जब उसके माध्यम से अध्यात्म, संस्कृति एवं सेवा का संदेश दिया जाये, तो उसका प्रभाव कई गुना हो जाता है। हेमा जी व ईशा जी जैसे कलाकार जब आध्यात्मिक स्थलों पर आकर गंगा आरती में सहभाग करते हैं तो पूरे समाज में एक सकारात्मक संदेश जाता है।

साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा, जब सेलिब्रिटी आत्मज्ञान, सेवा और प्रकृति संरक्षण जैसे मूल्यों के साथ जुड़ते हैं, तब वे समाज के लिए एक जीवंत प्रेरणा बन जाते हैं।
इस अवसर पर गंगा स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण, महिलाओं और बालिकाओं के सशक्तिकरण तथा जल संरक्षण जैसे विषयों पर भी विचार-विमर्श हुआ। स्वामी जी ने बताया कि परमार्थ निकेतन, ग्लोबल इंटरफेथ वॉश एलायंस और गंगा एक्शन परिवार जैसे संगठनों के माध्यम से सामाजिक और पर्यावरणीय अभियानों को आगे बढ़ाया जा रहा है।
ईशा देओल और भरत तख्तानी ने युवाओं का आह्वान करते हुये कहा कि वे न केवल अपने करियर में सफल हों, बल्कि समाज सेवा और पर्यावरण संरक्षण को भी जीवन का अभिन्न अंग बनाएं।

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